दौलत सिंह कोठारी जीवनी - Biography of Daulat Singh Kothari in Hindi Jivani Published By : Jivani.org दौलत सिंह कोठारी (1905–1993) भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की विज्ञान नीति में जो लोग शामिल थे उनमें डॉ॰ कोठारी, होमी भाभा, डॉ॰ मेघनाथ साहा और सी.वी. रमन थे। डॉ॰ कोठारी रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार रहे। 1961 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष नियुक्त हुए जहां वे दस वर्ष तक रहे। १९६४ में उन्हें राष्ट्रीय शिक्षा आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। प्रशासकीय सेवा के क्षेत्र में योगदान के लिये उन्हें सन १९६२ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। १९७३ में उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया। दौलत सिंह कोठारी का जन्म उदयपुर (राजस्थान) में एक अत्यन्त निर्धन परिवार में हुआ था। वे मेवाड़ के महाराणा की छात्रवृत्ति से आगे पढ़े। 1940 में 34 वर्ष की आयु में दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हुए। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में जाने-माने भौतिकशास्त्री मेघनाद साहा के विद्यार्थी रहे। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से लार्ड रदरफोर्ड के साथ पीएच.डी. पूरी की। 1961 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष नियुक्त हुए जहां वे दस वर्ष तक रहे। डा. कोठारी ने यू.जी.सी. के अपने कार्यकाल में शिक्षकों की क्षमता, प्रतिष्ठा से लेकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय और उच्च कोटि के अध्ययन केन्द्रों को बनाने में विशेष भूमिका निभाई। स्कूली शिक्षा में भी उनकी लगातार रुचि रही। इसीलिए उन्हें राष्ट्रीय शिक्षा आयोग (1964-1966) का अध्यक्ष बनाया गया। आजाद भारत में शिक्षा पर संभवतः सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज, जिसकी दो बातें बेहद चर्चित रही हैं। पहली – समान विद्यालय व्यवस्था (common school system) और दूसरी देश की शिक्षा स्नातकोत्तर स्तर तक अपनी भाषाओं में दी जानी चाहिए। वैज्ञानिक सलाहकार का पद उन्होंने सन 1948 से 1961 तक सम्भाला | सन 1961 से 1972 तक वे UGC के चेयरमैन रहे | सन 1981 में वे जवाहरलाल विश्वविद्यालय के चांसलर रहे | सारे जीवन भर वे बड़े ही जिम्मेदार पद सम्भालते रहे | डा.कोठारी जाने माने एस्ट्रोफिजिस्ट थे | उन्होंने सांख्यिकी थर्मोडाईनॅमिक्स और व्हाइत्वार्फ़ पर बहुत अनुसन्धान कार्य किये | उन्होंने यह दिखाया कि केवल दाब द्वारा परमाणुओं को आयनित किया जा सकता है | डा.कोठारी (Daulat Singh Kothari) ने नाभिकीय विस्फोटो और उनके प्रभावों से संबधित एक पुस्तक लिखी | यह पुस्तक कई भाषाओं में प्रकाशित हुयी | इन्होने बहुत से वैज्ञानिक शोधपत्र भी छपवाए | डा.कोठारी (Daulat Singh Kothari) इंडियन नेशनल साइंस अकादमी के वाइज प्रेसिडेंट और प्रेसिडेंट भी रहे | सन 1962 को डा.कोठारी को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया | सन 1966 को उन्हें शान्तिस्वरूप भटनागर पूरस्कार से भी सम्मानित किया गया | सन 1973 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया | सन 1978 में उन्हें मेघनाथ साहा पुरुस्कार मिला | डा.कोठारी (Daulat Singh Kothari) सारा जीवन उच्च पदों पर रहे और 1983 में उनकी मृत्यु हो गयी | 2011 में उनके सम्मान में उनके नाम का स्टाम्प पेपर भी निकाला गया | उन्हें वैज्ञानिक भाषण देने का बहुत शौक था | उनके भाषण अत्यंत सरल भाषा में होते थे | डा.कोठारी (Daulat Singh Kothari) अपने समय के जाने माने भौतिकशास्त्री रहे | दिल्ली विश्वविद्यालय में इनके नाम से एक बॉयज हॉस्टल भी है और उनके नाम पर ही दिल्ल्ली विश्वविद्यालय में DS Kothari Research Centre बनाया गया | कवैज्ञानिक, शिक्षाविद, भारतीय भाषाओं के संरक्षकव आध्यात्मिक चिंतक के रूप में डॉ. दौलत सिंह कोठारी अद्वितीय हैं । फिर भी डॉ. कोठारी के योगदान का सम्यक मूल्यांकन होना अभी बाकी है । शिक्षा आयोग (1964-66), सिविल सेवा परीक्षाओं के लिए गठित कोठारी समिति, रक्षा विशेषज्ञ एवं विश्वविद्यालय आयोग और अकादमिकक्षेत्रों में प्रो. दौलत सिंह कोठारी के योगदान को उस रूप में नहीं पहचाना गया जिसके कि वे हकदार हैं । स्वतंत्र भारत के निर्माण जिसमें विज्ञान नीति, रक्षा नीति और विशेषरूप से शिक्षा नीति शामिल हैं, को रूपदेने में प्रो. कोठारी का अप्रतिम योगदान है । 2006 मेंउनकी जन्मशती थी लेकिन शायद ही किसी ने सुना होगा । जयपुर से निकलने वाली पत्रिका अनौपचारिक (संपादक : रमेशथानवी) ने एक पूरा अंक जरूर उन पर निकाला था । वरना छिट-पुट एक दो लेखों के अलावा बहुत कम उनके बारे में पढ़ने-सुनने को मिला । भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की विज्ञान नीति में जो लोग शामिल थे उनमें डॉ. कोठारी, होमी भाभा, डॉ. मेघनाथ साहा और सी.वी. रमन थे । डॉ. कोठारी रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार रहे । 1961 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष नियुक्त हुए जहां वे दस वर्ष तक रहे । डा. कोठारी ने यू.जी.सी. के अपने कार्यकाल में शिक्षकों की क्षमता, प्रतिष्ठा से लेकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय और उच्च कोटि के अध्ययन केन्द्रों को बनाने में विशेष भूमिका निभाई । स्कूली शिक्षा में भी उनकी लगातार रुचि रही । इसीलिए उन्हें राष्ट्रीय शिक्षा आयोग (1964-1966) का अध्यक्ष बनाया गया । आजाद भारत में शिक्षा पर संभवतः सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज, जिसकी दो बातें बेहद चर्चित रही हैं । पहली – समान विद्यालय व्यवस्था (common school system) और दूसरी देश की शिक्षा स्नातकोत्तर स्तर तक अपनी भाषाओं में दी जानी चाहिए । प्रशासन, शिक्षा, विज्ञान के इतने अनुभवी व्यक्ति को भारत सरकार ने उच्च प्रशासनिक सेवाओं के लिये आयोजित सिविल सेवा परीक्षा की रिव्यू के लिए कमेटी का 1974 में अध्यक्ष बनाया । इस कमेटी ने 1976 में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी जिसके आधार पर 1979 से भारत सरकार के उच्च पदों आई.ए.एस., आई.पी.एस. और बीस दूसरे विभागों के लिए एक कॉमन परीक्षा का आयोजन प्रारंभ हुआ । सबसे महत्वपूर्ण और क्रांतिकारी कदम जो इस कमेटी ने डा.कोठारी (Daulat Singh Kothari) सारा जीवन उच्च पदों पर रहे और 1983 में उनकी मृत्यु हो गयी | 2011 में उनके सम्मान में उनके नाम का स्टाम्प पेपर भी निकाला गया | उन्हें वैज्ञानिक भाषण देने का बहुत शौक था | उनके भाषण अत्यंत सरल भाषा में होते थे | डा.कोठारी (Daulat Singh Kothari) अपने समय के जाने माने भौतिकशास्त्री रहे | दिल्ली विश्वविद्यालय में इनके नाम से एक बॉयज हॉस्टल भी है और उनके नाम पर ही दिल्ल्ली विश्वविद्यालय में DS Kothari Research Centre बनाया गया ( 12 ) 43 Votes have rated this Naukri. 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