Kings Biographies :
सत्य की चर्चा जब भी कही जाएगी, महाराजा हरिश्चन्द्र का नाम जरुर लिया जायेगा. हरिश्चन्द्र इकक्षवाकू वंश के प्रसिद्ध राजा थे. कहा जाता है कि सपने में भी वे जो बात कह देते थे उसका पालन निश्चित रूप से करते थे | इनके राज्य में सर्वत्र सुख और शांति थी. इनकी पत्नी का नाम तारामती तथा पुत्र का नाम रोहिताश्व ...
maharaja surajmal history in hindi महाराजा बदनसिंह की मृत्यु के बाद उसके पुत्र महाराजा सूरजमल जाट 1756 ई. में भरतपुर राज्य का शासक बना. राजनैतिक कुशलता और कुशाग्र बुद्धि के कारण उसे जाट जाति का प्लेटों भी कहा जाता है. आगरा, मेरठ, मथुरा, अलीगढ़ आदि उसके राज्य में सम्मिलित थे. महाराजा सूरजमल अन्य राज्यों की तुलना में हिन्दुस्तान का सबसे ...
सिख शासन की शुरुवात करने वाले महाराजा रणजीत सिंह ने उन्नीसवी सदी में अपना शासन शुरू किया, उनका शासन पंजाब प्रान्त में फैला हुआ था और उन्होने दल खालसा नामक एक संगठन का नेतृत्व किया था. उन्होने छोटे गुटों में बंटे हुए सिखों को एकत्रित किया. उनके बाद उनके पुत्र खड़ग सिंह ने सिख शासन की कमान संभाली. महाराजा रणजीत ...
समुद्रगुप्त (राज 335-380) गुप्त राजवंश के चौथे राजा और चन्द्रगुप्त प्रथम के उत्तरधिकरी थे। वे भारतीय इतिहास में सबसे बड़े और सफल सेनानायक में से एक माने जाते है। समुद्रगुप्त, गुप्त राजवंश के तीसरे शासक थे, और उनका शासनकाल भारत के लिये स्वर्णयुग की शुरूआत कही जाती है। समुद्रगुप्त को गुप्त राजवंश का महानतम राजा माना जाता है। वे एक ...
राजा पुरुवास या राजा पोरस का राज्य पंजाब में झेलम से लेकर चेनाब नदी तक फैला हुआ था। वर्तमान लाहौर के आस-पास इसकी राजधानी थी। राजा पोरस (राजा पुरू भी) पोरवा राजवंश के वशंज थे, जिनका साम्राज्य पंजाब में झेलम और चिनाब नदियों तक (ग्रीक में ह्यिदस्प्स और असिस्नस) और उपनिवेश ह्यीपसिस तक फैला हुआ था।।राजा पोरस (King Porus) और ...
नाना साहेब शिवाजी के शासनकाल के बाद के सबसे प्रभावशाली शासकों में से एक थे। उन्हें बालाजी बाजीराव के नाम से भी संबोधित किया गया था। 1749 में जब छत्रपति शाहू की मृत्यु हो गई, तब उन्होंने पेशवाओं को मराठा साम्राज्य का शासक बना दिया था। शाहू का अपना कोई वारिस नही था इसलिए उन्होंने बहादुर पेशवाओं को अपने राज्य ...
भोज प्रथम अथवा 'मिहिरभोज' गुर्जर प्रतिहार वंश का सर्वाधिक प्रतापी एवं महान् शासक था। उसने पचास वर्ष (850 से 900 ई.) पर्यन्त शासन किया। उसका मूल नाम 'मिहिर' था और 'भोज' कुल नाम अथवा उपनाम था। उसका राज्य उत्तर में हिमालय, दक्षिण में नर्मदा, पूर्व में बंगाल और पश्चिम में सतलुज तक विस्तृत था, जिसे सही अर्थों में साम्राज्य कहा ...
दिल्ली के तुगलक वंश की नींव डालने वाले गयासुद्दीन तुगलक के पुत्र और उत्तराधिकारी मुहम्मद बिन तुगलक (Muhammad bin Tughluq) ने 1325 से 1351 ईस्वी तक शासन किया | इस जटिल व्यक्तित्व के शासक को इतिहास में सनक भरी योजनाओं और क्रूर कृत्यों के लिए जाना जाता है | साथ ही उसे विद्वान , महान सेनापति और मौलिक योजनाये बनाने ...
चन्द्रगुप्त द्वितीय महान जिनको संस्कृत में विक्रमादित्य या चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के नाम से जाना जाता है; गुप्त वंश के एक महान शक्तिशाली सम्राट थे। उनका राज्य 380-412 ई तक चला जिसमें गुप्त राजवंश ने अपना शिखर प्राप्त किया। गुप्त साम्राज्य का वह समय भारत का स्वर्णिम युग भी कहा जाता है। चन्द्रगुप्त द्वितीय महान अपने पूर्व राजा समुद्रगुप्त महान के ...
छत्रपति साहू महाराज को एक भारत में सच्चे प्रजातंत्रवादी और समाज सुधारक के रूप में जाना जाता था। वे कोल्हापुर के इतिहास में एक अमूल्य मणि के रूप में आज भी प्रसिद्ध हैं। छत्रपति साहू महाराज ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने राजा होते हुए भी दलित और शोषित वर्ग के कष्ट को समझा और सदा उनसे निकटता बनाए रखी। उन्होंने दलित ...
शाह जहाँ पांचवे मुग़ल शहंशाह था। शाह जहाँ अपनी न्यायप्रियता और वैभवविलास के कारण अपने काल में बड़े लोकप्रिय रहे। किन्तु इतिहास में उनका नाम केवल इस कारण नहीं लिया जाता। शाहजहाँ का नाम एक ऐसे आशिक के तौर पर लिया जाता है जिसने अपनी बेग़म मुमताज़ बेगम के लिये विश्व की सबसे ख़ूबसूरत इमारत ताज महल बनाने का यत्न ...
शिवाजी भारतीय इतिहास के सबसे पराक्रमी योद्धा माने जाते हैं| निडरता और साहस की प्रतिमूर्ति वीर छत्रपति शिवाजी महाराज (Shivaji Maharaj) का जन्म 19 फरवरी, 1627 को शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। शिवाजी के जन्म के समय सम्पूर्ण भारत में मुगलों का राज था। शिवाजी ही वो शख्स थे जिन्होंने औरंगजेब जैसे क्रूर शासक को नाकों चने चबवा दिए थे ...
रावल रतन सिंह (Rawal Ratan Singh) का जन्म 13वी सदी के अंत में हुआ था | उनकी जन्म तारीख इतिहास में कही उपलब्ध नही है | रतनसिंह राजपूतो की रावल वंश के वंशज थे जिन्होंने चित्रकूट किले (चित्तोडगढ) पर शासन किया था | रतनसिंह (Rawal Ratan Singh) ने 1302 ई. में अपने पिता समरसिंह के स्थान पर गद्दी सम्भाली , ...
हर्षवर्धन (590-647 ई.) प्राचीन भारत में एक राजा था जिसने उत्तरी भारत में अपना एक सुदृढ़ साम्राज्य स्थापित किया था। वह हिंदू सम्राट् था जिसने पंजाब छोड़कर शेष समस्त उत्तरी भारत पर राज्य किया। शशांक की मृत्यु के उपरांत वह बंगाल को भी जीतने में समर्थ हुआ। हर्षवर्धन के शासनकाल का इतिहास मगध से प्राप्त दो ताम्रपत्रों, राजतरंगिणी, चीनी यात्री ...
कुषाण मौर्य काल में भारत आने वाले प्रमुख विदेशी जातियों में से एक थी ,और यह लोग मूलतः मध्य एशिया “यू ची ” जाति की एक शाखा थी ,चीन के प्रसिद्ध इतिहास कार सु मा चीन के अनुसार यह जाती दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में पश्चिम चीन में निवास करते थे ,कुई शुआंग राज्य पर इनका अधिकार था ,लगभग 163 ...
हाथरस के राजा दयाराम ने 1817 में अंग्रेजों से भीषण युध्द किया। मुरसान के राजा ने भी युद्ध में जमकर साथ दिया। अंग्रेजों ने दयाराम को बंदी बना लिया। 1841 में दयाराम का देहान्त हो गया। उनके पुत्र गोविन्दसिंह गद्दी पर बैठे। 1857 में गोविन्दसिंह ने अंग्रेजों का साथ दिया फिर भी अंग्रेजों ने गोविन्दसिंह का राज्य लौटाया नहीं - ...
सिकन्दर के पिता का नाम फिलीप था। 329 ई. पू. में अपनी पिता की मृत्यु के उपरान्त वह सम्राट बना। वह बड़ा शूरवीर और प्रतापी सम्राट था। वह विश्वविजयी बनना चाहता था। सिकन्दर ने सबसे पहले ग्रीक राज्यों को जीता और फिर वह एशिया माइनर (आधुनिक तुर्की) की तरफ बढ़ा। उस क्षेत्र पर उस समय फ़ारस का शासन था। फ़ारसी ...
बाजीराव का जन्म ब्राह्मण परिवार में बालाजी विश्वनाथ के पुत्र के रूप में कोकणस्थ प्रान्त में हुआ था, जो छत्रपति शाहू के प्रथम पेशवा थे। २० वर्ष की आयु में उनके पिता की मृत्यु के पश्यात शाहू ने दुसरे अनुभवी और पुराने दावेदारों को छोड़कर बाजीराव को पेशवा के रूप में नियुक्त किया। ...
पंजाब के लोक जीवन और लोक कथाओं में महाराजा रणजीत सिंह से सम्बन्धित अनेक कथाएं कही व सुनी जाती हैं। इसमें से अधिकांश कहानियाँ उनकी उदारता, न्यायप्रियता और सभी धर्मों के प्रति सम्मान को लेकर प्रचलित हैं। उन्हें अपने जीवन में प्रजा का भरपूर प्यार मिला। अपने जीवन काल में ही वे अनेक लोक गाथाओं और जनश्रुतियों का केंद्र बन ...
पुष्यमित्र शुंग उत्तर भारत के शुंग साम्राज्य के संस्थापक और प्रथम राजा थे। इससे पहले वो मौर्य साम्राज्य में सेनापति थे। १८५ ई॰पूर्व में उन्होंने अन्तिम मौर्य सम्राट (बृहद्रथ) की सैन्य समीक्षा के दौरान हत्या कर दी और अपने आपको राजा उद्घोषित किया। उसके बाद उन्होंने अश्वमेध यज्ञ किया और उत्तर भारत का अधिकतर हिस्सा अपने अधिकार क्षेत्र में ले ...
राणा सान्गा ने मेवाड मे १५०९ से १५२७तक शासन किया, जो आज भारत के राजस्थान प्रदेश के रेगिस्थान मे स्थित है।राणा सान्गा सिसोदिआ(सुर्यवन्शी राजपुत) राजवन्शी थे। राणा सान्गा ने विदेशी आक्रमणकारियो के विरुध सभी राज्पुतो को एकजुट किया। राणा सान्गा सही मायनो मे एक बहादुर योद्धा व शासक थे,और जो अपनी वीरता और उदारता के लिये प्रसिध्द हुये। एक विश्वासघाती ...
राणा मोकल के पश्चात् उसका ज्येष्ठ पुत्र कुम्भकर्ण (कुम्भा Rana Kumbha) वि.सं. १४९० (ई.सं. १४३३) में चित्तौड़ के राज्य सिंहासन पर बैठा। कुम्भा राजाओं का शिरोमणि, विद्वान, दानी और महाप्रतापी था। राणा कुम्भा ने गद्दी पर बैठते ही सबसे पहले अपने पिता के हत्यारों से बदला लेने का निश्चय किया। राणा मोकल की हत्या चाचा, मेरा और महपा परमार ने ...
बप्पा रावल को "कालभोज" के नाम से भी जाना जाता है जन्म - 713-14 ई. इनके समय चित्तौड़ पर मौर्य शासक मान मोरी का राज था 734 ई. में बप्पा रावल ने 20 वर्ष की आयु में मान मोरी को पराजित कर चित्तौड़ दुर्ग पर अधिकार किया वैसे तो गुहिलादित्य/गुहिल को गुहिल वंश का संस्थापक कहते हैं, पर गुहिल वंश ...
गयासुद्दीन बलबन इसका वास्तविक नाम बहाउदीन था।(1266 – 1286) दिल्ली सल्तनत में ग़ुलाम वंश का एक शासक था। उसने सन् 1266 से 1286 तक राज्य किया। गयासुद्दीन बलबन, जाति से इलबारी तुर्क था। उसकी जन्मतिथि का पता नहीं। उसका पिता उच्च श्रेणी का सरदार था। बाल्यकाल में ही मंगोलों ने उसे पकड़कर बगदाद के बाजार में दास के रूप में ...
कुतबुद्दीन ऐबक मध्यकालीन भारत के शासक थे, और साथ ही दिल्ली सल्तनत के पहले शासक भी थे और गुलाम वंश के पहले सल्तनत थे। ऐबक समुदाय के वे तुर्किश थे और सिर्फ 1206 से 1210 के बीच चार साल के लिये सुल्तान थे ...
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