• ebiography logo
  |   Skip Navigation Links
  • मुखपृष्ठ
  • वैज्ञानिक
  • प्रेरणादायक
  • अभिनेता
  • कलाकार
  • लेखक
  • संगीतकार
  • कवि
  • राजा
  • रानी
  • संत
  • प्रसिद्ध
  • अध्ययन कक्ष
  • ऑनलाइन परीक्षा
  • संपर्क

Biography :


मस्तानी जीवनी - Biography of Mastani in Hindi Jivani

Published By : Jivani.org
     

 

मस्‍तानी मस्‍तानी एक हिंदु महाराजा, महाराजा छत्रसाल बुंदेला की बेटी थीं। उनकी मां रुहानी बाई हैदराबाद के निजाम के राज दरबार में नृत्‍यांगना थीं। महराजा छत्रसाल ने बुंदलेखंड में पन्‍ना राज्‍य की स्‍थापना की थी। कुछ लोग यह भी कहते हैं कि मस्‍तानी को महाराजा छत्रसाल ने गोद लिया था। मस्‍तानी की परवरिश मध्‍य प्रदेश के छतरपुर जिले से 15 किमी दूर मऊ साहनिया में हुई थी। इस जगह पर मस्‍तानी के नाम पर एक मस्‍तानी महल भी बना हुआ है। मस्‍तानी इसी महल में रहतीं और डांस करती थीं। 

मस्‍तानी को राजनीति, युद्धकला, तलवारबाजी और घर के कामों का पूरा प्रशिक्षण मिला हुआ था। मस्‍तानी के बारे में कहा जाता है कि वह बहुत ही खूबसूरत थीं। उन्‍हें अपनी मां की ही तरह नृत्‍य में कुशलता हासिल थी। कहते हैं कि मस्‍तानी ने बाजीराव की मृत्‍यु के बाद जहर खाकर आत्‍महत्‍या कर ली थी। कुछ लोग कहते हैं कि उन्‍होंने अपनी अंगूठी में मौजूद जहर को पी लिया था। वहीं कुछ लोग मानते हैं कि वह बाजीराव की चिता में कूद कर सती हो गई थीं। उनकी मौत सन 1740 में बताई जाती है।

मस्तानी अपने समय की अद्वितीय सुंदरी एवं संगीत कला में प्रवीण थी। इन्होंने घुड़सवारी और तीरंदाजी में भी शिक्षा प्राप्त की थी। गुजरात के नायब सूबेदार शुजाअत खाँ और मस्तानी की प्रथम भेंट १७२४ ई० के लगभग हुई। चिमाजी अप्पा ने उसी वर्ष शुजाअत-खान पर आक्रमण किया। युद्ध क्षेत्र में ही शुजाअत खाँ की मृत्यु हुई। लूटी हुई सामग्री के साथ मस्तानी भी चिमाजी अप्पा को प्राप्त हुई। चिमाजी अप्पा ने उन्हें बाजीराव के पास पहुँचा दिया। तदुपरांत मस्तानी और बाजीराव एक दूसरे के लिए ही जीवित रहे।

१७२७ ई० में प्रयाग के सूबेदार मोहम्मद खान बंगश ने राजा छत्रसाल (बुंदेलखंड) पर चढ़ाई की। राजा छत्रसाल ने तुरंत ही पेशवा बाजीराव से सहायता माँगी। बाजीराव अपनी सेना सहित बुंदेलखंड की ओर बढ़े। मस्तानी भी बाजीराव के साथ गई। मराठे और मुगल दो बर्षों तक युद्ध करते रहे। तत्पश्चात् बाजीराव जीते। छत्रसाल अत्यंत आनंदित हुए। उन्होंने मस्तानी को अपनी पुत्री के समान माना। बाजीराव ने जहाँ मस्तानी के रहने का प्रबंध किया उसे 'मस्तानी महल' और 'मस्तानी दरवाजा' का नाम दिया।

मस्तानी ने पेशवा के हृदय में एक विशेष स्थान बना लिया था। उसने अपने जीवन में हिंदू स्त्रियों के रीति रिवाजों को अपना लिया था। बाजीराव से संबंध के कारण मस्तानी को भी अनेक दु:ख झेलने पड़े पर बाजीराव के प्रति उसका प्रेम अटूट था। मस्तानी के १७३४ ई० में एक पुत्र हुआ। उसका नाम शमशेर बहादुर रखा गया। बाजीराव ने काल्पी और बाँदा की सूबेदारी उसे दी, शमशेर बहादुर ने पेशवा परिवार की बड़े लगन और परिश्रम से सेवा की। १७६१ ई० में शमशेर बहादुर मराठों की ओर से लड़ते हुए पानीपत के मैदान में मारा गया।

बाजीराव-मस्तानी के इतिहास की अनकही दास्तां :

पुणे से 60 किलोमीटर दूर एक छोटा से गांव पाबल। यहां की सड़कों से गुजरते हुए गांव के एक कोने पर लगभग खंडहर नूमा इस इमारत का दरवाजा खुलता है तो सामने  नजर आती है एक कब्र। एक बारगी यकीन करना मुश्किल है कि इस कब्र के नीचे वो सो रही है, जिसकी जिंदगी की किताब में हिंदुस्तान की इतिहास का सुनहरा पन्ना है।इतिहास का ये पन्ना बिसरा दिया गया है लेकिन इस कब्र की पनाह में खिली चेमली की बेल इतिहास की एक अमर प्रेम कहानी की खुशबू आज भी फिजाओं में घोल रही है। 

ये अमर प्रेम था मराठा साम्राज्य के पेशवा बाजीराव और मस्तानी के इश्क काबाजीराव-मस्तानी, ये नाम चर्चा में है और चर्चा में है इसी नाम से रिलीज होने वाली संजय लीला भंसाली की फिल्म बाजीराव मस्तानी, लेकिन वास्तव में ये नाम हिंदुस्तान के गौरवशाली इतिहास के उस कालखंड का है। जब शिवाजी महाराज के पराक्रम से शुरू हुए मराठा साम्राज्य की विजय पताका दिल्ली के दहलीज तक लहराने लगी थी और मराठों का ध्वज दिल्ली तक पहुंचाने वाला वीर वो था, जो हिंदुस्तान का नेपोलियन कहा जाता है, जिसने कभी कोई युद्ध नहीं हारा था बाजीराव पेशवा। अपने जीवन में कभी कोई युद्ध ना हारने वाले बाजीराव की वीरता की कहानी पुणे में शान से खड़ा ये शनिवाडा भी सुना रहा है जहां वो अपनी रानियों के साथ रहा करते थे। इसकी दीवारें जितनी ऊंची हैं उतनी ही गहराई लिए हुए है मस्तानी से बाजीराव के इश्क की दास्तां।

मस्‍तानी के बारे में कुछ अनकही बातें :

कुछ लोग यह भी कहते हैं कि मस्‍तानी हैदराबाद के निजाम की बेटी थीं। महाराजा छत्रसाल ने निजाम को सन 1668 में एक युद्ध में हरा दिया था। हार के बाद निजाम की पत्‍नी ने मस्‍तानी की शादी छत्रसाल के साथ करने की सलाह दी थी। उनका मकसद था कि शादी से बुंदेलों के साथ निजामों के रिश्‍ते अच्‍छे हो सकेंगे। इन रिश्‍तों की वजह से वह मध्‍य भारत पर अपना प्रभाव बढ़ा सकेंगे। एक और कहानी के मुताबिक मस्‍तानी, छत्रसाल के दरबार में डांस करती थीं। जब बाजीराव पेशवा ने उनका साम्राज्‍य बचाया तो दोस्‍ती के तौर पर मस्‍तानी को उन्‍होंने स्‍वीकार किया। हालांकि लोग सिर्फ इस तथ्‍य को स्‍वीकार करते हैं मस्‍तानी महाराजा छत्रसाल की बेटी थीं।


  ( 19 )
     

5 Votes have rated this Naukri.
Average Rating is 4


 

Category

  • कवि ( 95 )
  • महिला ( 36 )
  • कलाकार ( 123 )
  • वैज्ञानिक ( 76 )
  • लेखक ( 292 )
  • प्रेरणादायक ( 48 )
  • राजा ( 37 )
  • राजनेता ( 150 )
  • व्यवसायी ( 49 )
  • रानी ( 18 )
  • खेल ( 84 )
  • मानवतावादि ( 10 )
  • प्रसिद्ध ( 68 )
  • अभिनेता ( 84 )
  • संत ( 28 )
  • राज-वंश्य ( 6 )
  • अन्य ( 54 )
  • धार्मिक नेता ( 18 )
  • संगीतकार ( 13 )

epapers app logo
  • Home
  • About us
  • Services
  • Terms
  • Team
  • Sitemap
  • Contact