राजेश्वरी चटर्जी की जीवनी - Biography of Rajeshwari Chatterjee in hindi jivani Published By : Jivani.org नाम : राजेश्वरी चटर्जी जनम तिथी : 24 जनवरी 1922 ठिकाण : कर्नाटका, भारत पति : सिसिरकुमार चटर्जी व्यावसाय : प्रोफेसर, वैज्ञानिक प्रारंभिक जीवनी : राजेश्वरी चटर्जी एक भारतीय वैज्ञानिक और आकदमीक थी | भारतीय विज्ञान संस्थान आयआयएससी बैंगलोर मे, वह इलेब्र्ट्रिकल कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग की प्रोफेसर और अध्याक्ष भी रही है | राजेश्वरी का जनम 24 जनवरी 1922 मे भारत के कर्नाटक राजया मे हुआ था |उनके पीता का नाम BM&hirvaramajah है वह नानजिंगुड मे एक वकिल थे | राजेश्वरी ने सन 1953 मे आईआईएससी के संकाय सिसिर कुमार चटर्जी से शादी कि थी | उनकी एक बेटी है | इंदिरा चटर्जी जो अमेरिका के नेवाडा मे एक प्रोफेसर है | राजेश्वरी कि प्रारंभिक शिक्षा उनके दादी व्दारा स्थापित एक विशेष अंग्रेजी स्कूल मे हुई थी | उनहेांने सेंट्रल कॉलेज ऑफ बैंगलोर से गणित मे बीएससी ऑनर्स और एमएससी कि उपाधि प्रात्पा कि थी | उन्होंने अमेरिका के मिशिगन विश्वाविघ्यालय से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग से अपनी मास्टार कि उपाधि प्रात्प कि है | उन्होंने वाशिंग्टन डी सी मे राष्ट्रीय मानक ब्यूरो मे रेडियो फिक्वेंसी माप के डिवीजन मे आठ महिने का व्यावहारिक प्रशिक्षण लिया था | उनहेाने सन 1953 मे प्रोफेसर विलियम गोल्ड डॉव के मार्गदर्शन मे पीएचडी कि उपाधि प्राप्त कि थी | कार्य : राजेश्वरी ने अपने पीएचडी के बाद भारत मे आईआईएससी विदयूत संचार इंजिनियरींग विभाग मे एक संकाय सदस्या के रुप मे काम किया था | उन्हेांने एक प्रोफेसर के रुप मे विदयूत चुंम्बकीय सिध्दांत इलेक्ट्रॉन टयूब सर्किट माईक्रोवेव प्रौधोगिकी और रेडियो इंजिनियरिंग मे पढाया है | राजेश्वरी ने अपनी शादी के बाद अपने पती किमाइक्रेविव अनूसंधान प्रयोगशाला का निर्माण किया था | और माइक्रोविव इंजिनियरींग के क्षेंत्र मे शोध शुरु किया जो भारत मे पहला ऐसा शोध था | उपलब्धि : पूरस्कार और सम्मान : 1) राजेश्वरी को बीएससी ऑनर्स मे प्रथम रैंक के लिए मममदी कृष्णराज पेाडेयार पूरस्कार प्रात्प हुआ था | 2) राजेश्वरी को एमएससी मे प्रथम रैंक के लिए नारायण अयंगर पूरस्कार और वाल्टर्स मेमोरियल पूरस्कार मिला था | 3) राजेश्वरी को यु के से माऊटब्रेटन पूरस्कार प्राप्ता हुआ था | 4) राजेश्वरी को सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र के लिए जेसी बोस मेमोरियल पूरस्कार प्रदान कीया गया था | पुस्तके : राजेश्वरी ने 100 से अधिक शोध पत्र लीखे थे और सात पुस्तके लिखी थी | 1) 1988 मे प्रकाशित : अन्टेना थिअरी एंड प्रॅक्टीस| 2) 1985 : डायइलेक्ट्रीक एंड डायइलेक्ट्रीक लेडिड एन्टेनास| 3) 2003 एन्टेनासू फॉर इन्फॉर्मेशन सूपर स्कायवेझू ऍन एक्सपोझीशन ऑन आउटोर एंड| ( 12 ) 0 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 0