बी. वी. श्रीकांतन बदनवात वेंकटसुब्बा श्रीकांतन की जीवनी - Biography of B. V. Sreekantan. Badanaval Venkatasubba Sreekantan in hindi jivani Published By : Jivani.org नाम : बी. वी. श्रीकांतन बदनवात वेंकटसुब्बा श्रीकांतन जन्म दि : 30 जून 1925 आयू 94 ठिकाण : नंजनगुड, कर्नाटक व्यावसाय : भौतिकविद मारगार : 2019 प्रारंभिक जीवनी : श्रीकांतन का जन्म लक्ष्मीदेवी और बदनवल वेंकट पंडित के साथ 30 जून 1925 को पूर्ववर्ती मैसूर रा्य वर्तमान कर्नाटक में स्थित नंजनगुड के छोटेसे पडाव में हुआ था | वह पंडित दंपत्ति से पैदा हुए आठ बेटों और तीन बेटियों में से पाँचवे थे | जिनके तेलुगू भाषी पूर्वेज आंध्रप्रदेश से कर्नाटक चले गए थे | बी.वी पंडित, पेशे से एक आयुर्वेदिक चिकित्सक और नानजागुड आयुर्वेदिक डेंटल पाउडर के सुत्रधार थे | विव्दानों के बीच झुकाव रखने वाले थे | और एक घरेलु पुस्तकालय था | जो श्रीकांतन को कम उम्र से पढाने की आदत विकसित करने में म्रदद करता था | श्रीकांतन ने नंजनगुड के स्थानीय हाई स्कूल में पढाई की और मैसूर में अपना इंटरमीडिएट डिग्री कोर्स पूरा किया था | उन्होंने 1946 में सम्मान के साथ भौतिकी में अपनी स्त्रातक की डिग्री हासिल की थी | और अगले साल अपनी मास्ट्रर डिग्री पूरी की थी | वायरलेस संचार में विशेषज्ञता, मैसूर विश्वविदयालय से उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर में एक शोध विव्दान के रुप में अपनी पढाई जारी रखी थी | लेकिन 1953में टाटा इंस्टीटयूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में चले गए थे | जब होमी भाभा ने उन्हें उन्न्त शोध के लिए आमंत्रित किया था | टीआईएफआर में उनके शोध ने उन्हे 1954 में मुंबई विश्वविदयालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त् की थी |श्रीकांतन दक्षिण भारतीय शहर बेंगालुरु के उपनगर मलेश्वरम में रहते है | उन्होंने 1953 में एक शास्त्रीय संगीतकार रत्न् से शादी की थी | 2006 में उसकी मृत्यू हो गई | कार्य : बदनवाल वेंकटसुब्बा श्रीकांतन एक भारतीय उच्च्-उर्जा खगोल भौतिकीविद थे |और टाटा इस्टीटयूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) में होमीभाभा के पूर्व सहयोगी है | वह नेशनल इंर्स्टीटयूट ऑफ एडवांस स्टडीज, बैंगलोर में डॉ.एस.राधाकृष्ण्न विजिटिंग प्रोफोसर भी है | ब्रम्हांडीय किरणों, प्राथमिक कणों और उच्च् उर्जा एक्स् रे खगोलविंदों के क्षेत्र में अपने अध्यायनके लिए जाना जाता है | श्रीकांतन 39 साल तक टीआईएफआर में रहे, और 1987 में टीआईएफआर सेवा से सेवानिवृत्त् होनेसे पहले, उन्होंने 1975 से सस्थान के निर्देशक के रुप में कार्य किया था | टीआईएफआर में, उन्होने कॉस्मिक किरण भौतिकी और खगोल भौतिकी मे कई शोध धाराओं की शुरुवात की थी | टीआईएफआर में उनके सुरुआती कामेां में से एक था | ब्रम्हांडीय किरण मिर्मित म्यूनों का अध्यायन जो गहरे भमिगत पाया गया था | और श्रीकांतन ने कर्नाटक के कोलार गोल्डमाइन्स् में 2760 मीटर गहरे में प्राथमिक कणों का पता लगाने के लिए प्रयोग किए गये है | यघ्पि उनके प्रयोग ब्रम्हांडीय किरणों से निर्मित म्यूनों को खोजने में विफल रहे थे | उन्होंने अपनी खोज जारी रखी, जिसके परिणाम स्वरुप कॉस्मिक किरणों से निर्मित न्यूट्रीनों का पता चला था | कथित तौर पर इस तरह की गहराई पर उप-परमाणू कणों का पहला पता लगा था | उनके प्रयोग होमीभाभा के मार्गदर्शन में तैयार किए गए, विभिन्न् गहराई पर म्यूनों की तीव्रता और कोणीय वितरण पर उनके डॉक्टरेट थीसिस के आधार के रुप में कार्य करते है | एक प्रसिध्द इतालवी प्रयोगलॉजी के द्रुनो रॉसी ने थीसिस की जांच की थी | और मुंबई विश्वविदयालय िने उन्हे 1954 में पीएचडी से सम्मानित किया था | 1954 में मेसाचुसेटस इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी में श्रीकांतन का पहला कार्यक्राल तब था | जब उन्होने रॅासीके साथ क्लाऊड चेम्बर्स और के-मेसन्स् पर काम किया था | उस यात्रा के दौरान , उन्होने ब्रिटेन और फ्रांन्समे कई प्रयोगशालाओ का दौरा किया था | और उच्च् ऊर्जा भौतिकी में प्रगती के साथ खुद को परिस्थित किया था | उन्होंने ब्रुकवेन राष्ट्रीय प्रयोगशाला का भी दौरा किया सौर के मेसन क्षय पर प्रयोग किए थे | जिसके परिणाम स्वरुप तीन वैज्ञानिक शोधपत्र प्रकाशित हुए थे | जिसमें हर्बर्ट एस ब्रिज सौर अन्य के साथ संयुक्त् रुप से लिखा गया था | टीआईएपआर में वापस आने के बाद,उन्होने 20 केवी से उपर कॉस्मिक एक्स रे स्त्रोंतो का अध्यायन करने के लिए गुब्बारे जानित प्रयोंगो की एक नई श्रृंखला शुरु की, जिससें एक्स् रे खगोल विदों मिशनों के लिए एक्स् –रे डिरेक्टरों के भविष्यके विकास में मदद मिली थी | उनके समुह व्दारा विकसित तीन एक्स् रे उपकरणों को एस्ट्रो सैट पर ले जाया गया था | जो पहले मल्टीवैलिविजन एस्ट्रोनॉमी वेधशाला थी | जिसे अक्टूबर 2015 में लॉन्च् किया गया था | श्रीकांतन को मुनि के जीवनकाल और क्षय स्पेक्ट्रम पर होमी भाभा और दामोदर धर्मानंद कोसंबी के अध्यायन को आगे बहाने के लिए जाना जाता है | इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स् (IIA)1786 में विलियम पेट्री व्दारा स्थापित किया गया था | 1960 मे आधुनिक भारतीय खगोलविद वीनू बापू व्दारा आधुनिकी करण किया गया था, और श्रीकांतन इस समय संस्थान से जुडे थे | वह 1999 से 2000 तक संस्थान के कांडंसिल के सदस्यथे | उन्होंने परिषद के अध्यक्ष के रुप में कार्य किया था | यह अध्यक्ष के रुप में उनके कार्यकाल के दौरान, संस्थान से 14000 फीट की ऊंचाई पर हुनले, लद्रदाख में हिमालय चंद्र टेली स्कोप (HCT) की स्थापना की थी | उन्हें रामनाथ कौशिक की स्थापना के लिए सहायता करने का श्रेंय भी दिया जाता है | कर्नाटक के होसकोटे में आई आईए के लिए नया परीसर और संस्थान के कर्मचारियों के लिए आवास का निर्माण किया था | वह भारतीय विज्ञान, दर्शन और संस्कृति के इतिहास की परियोजना के पूर्व संपादकीय साथी है | और भारतीय विघा भवन के विज्ञान और मानव मूल्योंके गांधी केंद्र के अध्यक्ष है | वह अपने पिता व्दारा स्थापित एक आयुर्वेदिक दवा कंपनी सव्दिदासला के निदेशक मंडल के अध्यक्ष के रुप में भी चेतना की घटना और भौतिक विज्ञानों के साथ इसके संबंधो का अध्यायन शामिल है | पूरस्कार और सम्मान : 1) श्रीकांतन भारत में चार प्रमुख विज्ञान अकादमियों के एक निर्वाचित साथी है 2) भारतीय विज्ञान अकादमी 1965 2)भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी 1976 3) राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत 1989 और महाराष्ट विज्ञान अकादमी 3) वह टाटा इंस्टीटयूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च और इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स्, बेंगलुरु के मानद साथी है | 4) भारत के विश्वविदयालय अनुदान आयोग ने उन्हे 1977 में सीवी रमन पुरस्कार से सम्मानित किया था | 5) 1977 मे यूजीसी के राष्ट्रीय व्याख्याता के रुप में चुना उसी वर्ष उन्होंने लंदन के आइएनएसए रॉयल सोसाइटी के पीएमएस ब्लैकेट मेमोरियल अवार्ड लेक्च्र को दिया | 6) 1978 मे आईएनएसए होमी भाभा पदक से सम्मनित किया गया था | 7) 1982में भारतीय भौतिकी संघ ने श्रीकांत को आरडी बिडला मेमोरियल अवार्ड से सम्मानित किया | 8) 1987 में IISCप्रतिष्ठित पूर्व छात्र पूरस्कार से सम्मानित 9) 1988 में पदमभूषण 10) 1989 मे आईएससी रामानुजन पूरस्कार और जवाहरलाल नेहरु पूरस्कार से सम्मानित 11) 1998 में रा्योत्स्व प्रशस्ति कर्नाटक सरकार व्दारा प्रदान की गई | 12) सरकार ने 2004 में सर एम विश्वेश्वरैया वरिष्ठ वैज्ञानिक रा्जय पूरस्कार के साथ इसका पालन किया था | पुस्तके : 1) व्यापक हवा की बारीश 1998 2) विज्ञान, प्रौघैागिकी और समाज 2009 3) आइंस्टीन को याद रखना भौतिकी और खगोल भौतिकीपर व्याख्यान 4) चेना और आत्म् पर अंत:विष्य दृष्टिकोण ( 12 ) 0 Votes have rated this Naukri. 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