सानिया मिर्ज़ा जीवनी - Biography of Sania Mirza in Hindi Jivani Published By : Jivani.org नाम : सानिया मिर्ज़ा जन्म : 15 नवम्बर 1986 माता : नसीमा मिर्ज़ा पिता : इमरान मिर्ज़ा विवाह : शोएब मलिक के साथ Sania Mirza Biography, सानिया मिर्ज़ा भारत की एक टेनिस खिलाडी है, जिसने भारतीय टेनिस खिलाडी के रूप में अपना स्थान बनाये रखा है। अपने एक दशक से भी लम्बे करियर में सानिया ने खुद को हर मोड़ पर सफल साबित किया और देश की सबसे सफल महिला टेनिस खिलाडी बनी। अपने एकल करियर में, मिर्ज़ा ने शातिर रूप से Svetlana Kunznetsova, Vera Zvonareva और Marion Bartoli और पूर्व नंबर एक खिलाडी Martina Hingis, Dinara Safina और Victoria Azarenka को खेल में धुल चटाई थी। वह अब तक की भारत की सबसे सफल और शीर्ष पर कायम पहली महिला टेनिस खिलाडी है, सानिया अंतरराष्ट्रिय रैंकिंग में 2007 के मध्य में 27 वे स्थान पर काबिज़ थी। लेकिन बाद में कुछ समय बाद कलाई में लगी चोट के करण सानिया को अपना एकल करियर समाप्त करना पड़ा और तभी से वह डबल प्लेयर पर ज्यादा ध्यान देने लगी। जहा फिलहाल वह नम्बर एक स्थान पर काबिज है। सानिया ने US 1 मिलियन डॉलर से भी ज्यादा की कमाई अपने खेल में की है। और अपने स्थानिक देश भारत की वह नंबर एक टेनिस खिलाडी है। सानिया ने अपने करियर में कई पुरस्कार और अवार्ड्स भी हासिल किये है। सानिया जब 14 वर्ष की भी नहीं थी तब उसने पहला आई.टी.एफ. जूनियर टूर्नामेंट इसलामाबाद में खेला था । 2002 में भारत के शीर्ष टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस ने बुसान एशियाड के पूर्व 16 वर्षीय सानिया मिर्जा को खेलते देखा और निश्चय किया कि वह सानिया मिर्जा के साथ डबल्स में उतरेंगे । फिर इस देश को कांस्य पदक दिलाया । उसके बाद सानिया ने 17 वर्ष की उम्र में विंबलडन का जूनियर डबल्स चैंपियनशिप खिताब जीता था । सानिया मिर्जा के पिता इमरान मिर्जा अक्सर उसके अभ्यासों के दौरान उसके साथ रहते हैं । कभी मां तो कभी पिता सानिया के साथ रहते हैं, अत: माता-पिता दोनों साथ-साथ कम ही रह पाते हैं । सानिया पूरे वर्ष घर से बाहर रहती हैं | इमरान मिर्जा का मानना है कि सानिया को खिलाड़ी बनाने के लिए उनके परिवार को बहुत योगदान देना पड़ा है । वैसे तो किसी भी खिलाड़ी को शीर्ष पर पहुंचाने के लिए उसके पीछे कई लोगों का योगदान होता है । सानिया के लिए यह कार्य उसके परिवार ने किया । उसके परिवार ने उसे बढ़ाने के लिए अथक मेहनत की है । उसके माता-पिता ने फैसला किया था कि वे अपनी बेटी को टेनिस खिलाड़ी बनाएंगे । वे उसे स्टेफी ग्राफ जैसी बनाना चाहते थे । सानिया मिर्जा भारत की एक टेनिस खिलाड़ी हैं जिन्होंने मात्र 6 साल की उम्र में ही टेनिस खेलना शुरु कर दिया था। सानिया के खेल से ज्यादा उनकी नोज़ रिंग ने काफी तारीफें बटोरी। हम सोचते हैं कि खिलाडियों का भला फैशन से क्या लेना देना लेकिन ऐसे कई अच्छे और नामचीन खिलाडी़ मौजूद हैं जो मिल्मी दुनिया के सेलेब्रिटियों से भी ज्यादा फैशनेबल और हॉट लगते हैं। उदाहरण के तौर पर डेविड बेखम, रोनाल्डो, विराट कोहली या धोनी को ही ले लीजिये। ये हैंडसम, फैशनेबल और पॉपुलर खिलाडी़ हैं। ऐसा नहीं है कि खिलाडी़ लोग मल्टी टैलेंटेड नहीं हो सकते बल्कि कुछ ऐसे भारतीय खिलाडी़ भी हैं जो अपने आप को फैशन वर्ल्ड में भी साबित कर चुके हैं। सानिया मिर्जा और मैरी कोम ने अभी हाल ही में कुछ फैशन डिजाइनरों के लिये रैंप पर वॉक की। सानिया मिर्जा एक टैनिस खिलाडी़ हैं और मैरी ओलम्पिक गोल्ड मेडिलिस्ट। पर आज हम सानिया मिर्जा के बारे में बात करेंगे जिनको गोल्डन पीस फैशन शो और ब्लेंडर प्राइड फैशन टूअर 2012 के रैंप पर देखा गया। सानिया वही लड़की हैं जिन्होंने भारत में नोज़ रिंग को दुबारा पहचान दिलाई। सानिया पहले से ही काफी फैशनेबल थी और अब शादी के बाद तो और भी अच्छी दिखने लगी हैं। चलिये देखते हैं सानिया की पहली और शादी के बाद की पिक्स पर। करियर : सानिया ने अपने करियर की शुरुआत 1999 में विश्व जूनियर टेनिस चैम्पियनशिप में हिस्सा लेकर की। उसके बाद उन्होंने कई अंतर्राष्ट्रीय मैचों में शिरकत की और सफलता भी पाई। वर्ष 2003 उनके जीवन का सबसे रोचक मोड़ बना जब भारत की तरफ से वाइल्ड कार्ड एंट्री करने के बाद उन्होंने विम्बलडन में डबल्स के दौरान जीत हासिल की। वर्ष 2004 में बेहतर प्रदर्शन के कारण उन्हें 2005 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 2005 के अंत में उनकी अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग 42 हो चुकी थी जो किसी भी भारतीय टेनिस खिलाड़ी के लिए सबसे ज्यादा थी। मई, 2006 में पाँचवीं वरीयता प्राप्त सानिया मिर्ज़ा को 2 लाख अमेरिकी डालर वाली इंस्ताबुल कप टेनिस के दूसरे ही राउंड में हार का मुँह देखना पड़ा। दिसम्बर 2006 में दोहा में हुए एशियाई खेलों में उन्होंने लिएंडर पेस के साथ मिश्रित युगल का स्वर्ण पदक जीता। महिलाओं के एकल मुक़ाबले में दोहा एशियाई खेलों में उन्होंने रजत पदक जीता। महिला टीम का रजत पदक भी भारतीय टेनिस टीम के नाम रहा- जिसमें उनके अतिरिक्त शिखा ओबेराय, अंकिता मंजरी और इशा लखानी थीं। वर्ष 2009 में वे भारत की तरफ से ग्रैंड स्लैम जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनीं। विबंलडन का यह खिताब जीत कर उन्होंने इतिहास रच डाला। वे आस्ट्रेलियन ओपन में हंगरी की पेत्रा मैंडुला को हराने के साथ ही किसी ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट के तीसरे राउंड में पहुँचने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी बन गईं। सानिया मिर्ज़ा की खेल शैली : सानिया मिर्ज़ा / Sania Mirza एक आक्रमक ग्राउंडस्ट्रोक खिलाडी है जो अपने आक्रमण अंदाज़ के लिये जानी जाती है. सानिया की सबसे बड़ी ताकत उसका मस्तिष्क और साथ ही टप्पा पड़ते ही प्रहार करने की योग्यता है. सानिया के खेल शैली की तुलना महान रोमानियाई Llie Nastase से की जाती है. वह खेल में वापसी करने वाली कुशल खिलाडी है, अपने बहोत से मैच सानिया ने खेल में दोबारा वापसी करते हुए जीते है. उसने जब इस बारे में पूछा गया था तब मिर्ज़ा ने कहा था की, “मेरे मस्तिष्क और उलटे हात के प्रहार को कोई नही रोक सकता, और यही एक जगह है जहा से मै आसानी से जीत सकती हु. मुझे बस आक्रमकता से प्रहार करने की जरुरत है.” “मुझे अपने पैरो से नही बल्कि अपने हातो से तेज़ होने की जरुरत है.” अपनी कमजोरियों के बारे में बताते हुए सानिया ने कहा था की कोर्ट के पास वाली जगह ही उनकी सबसे बड़ी कमजोरी है, उस जगह पर सानिया बहोत बार संघर्ष करते हुए नज़र आई है. सानिया ने अपनी दूसरी कमजोरी को बताते हुए कहा था की, वह आसानी से तेज़ी से एक जगह से दुसरे जगह नही जा सकती. और इसी वजह से 2012 में कलाई में चोट लगने की वजह से उनका एकल करियर समाप्त हो गया था. लोकप्रियता : 8 अगस्त, 2004 को सानिया मिर्ज़ा खेलों की सुर्खियों में रहीं। उनका प्रदर्शन व कामयाबी इस क़दर चर्चा में रही कि उसे भारत में सचिन तेंदुलकर के बाद सबसे बड़ा स्टार माना जाने लगा। वर्ष के शुरू में उनकी विश्व रैंकिंग 166 पर थी तो वह प्रथम सौ में आना चाहती थी लेकिन 1 वर्ष के अंतराल में ही उसने सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ते हुए प्रथम 50 रैंकिंग में स्थान पा लिया। यह उपलब्धि केवल सानिया के लिए ही नहीं, भारत के लिए भी महत्त्वपूर्ण है। 2004 की शुरुआत में उनकी रैंकिग 470 से शुरू हुई थी जो सानिया की मेहनत व सफलता से दिसम्बर 2005 में 34 तक पहुँच गई। आज हर भारतीय के दिमाग में यही सवाल है कि सानिया मिर्ज़ा कहाँ तक जाएगी। पिछले 20 वर्षों में कोई भी भारतीय टेनिस खिलाड़ी 50 के नीचे नहीं आ पाया है। लिएंडर पेस 73 से आगे नहीं बढ़ पाए थे। 1980 में विजय अमृतराज 16 तक जा पहुँचे थे। उसके पाँच वर्ष बाद 1985 में रमेश कृष्ण 23 की रैंकिंग तक चले गए थे, जबकि 60 के दशक में रामानाथन कृष्णन नम्बर तीन पर थे। अभी सानिया को रमेश कृष्णन की बराबरी करनी है। विजय अमृतराज और रामानाथन तो अभी बहुत दूर हैं। ( 13 ) 5 Votes have rated this Naukri. 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