वीरेंद्र सहवाग जीवनी - Biography of Virendra Sehwag in Hindi Jivani Published By : Jivani.org विश्व क्रिकेट के सबसे बेहतरीन बल्लेबाजो में से एक सहवाग का जन्म 20 अक्टूबर 1978 को अनाज व्यापारी के घर में नयी दिल्ली में हुआ था। उन्होंने अपना बचपन में संयुक्त परिवार में अपने भाई-बहन, अंकल, आंटी और 16 भाइयो के साथ बिताया। उनका परिवार हरियाणा से है और बाद में वे दिल्ली चले गये थे। अपने पिता कृष्णा और माँ कृष्णा सहवाग के चार बच्चो में सहवाग तीसरे है। उनके पिता ने बचपन में ही सहवाग की क्रिकेट के प्रति रूचि को भाँप लिया था और सात महीनो के सहवाग को ही उन्होंने खिलौने वाली बैट लाकर दी थी। बाद में सहवाग पढने के लिए नयी दिल्ली के अरोरा विद्या स्कूल जाने लगे और सहवाग अपने माता-पिता को हमेशा क्रिकेट खेलने के लिए सताया करते थे। इसी आधार पर उन्होंने अपने क्रिकेट करियर के शुरुवाती दौर में अपनी पहचान एक आक्रामक बल्लेबाज के रूप में बनायी और उस समय उनके कोच अमर नाथ शर्मा थे। 1990 में क्रिकेट खेलते समय जब उनका दांत टुटा था तभी उनके पिता ने उनके करियर को खत्म करने का निर्णय ले लिया था लेकिन सहवाग ने अपनी माँ की सहायता से इस बंदी को टाल दिया। बाद में सहवाग ने जामिया मिलिया इस्लामिया से ग्रेजुएशन पूरा किया। साल 2008 में सहवाग टेस्ट मैच में सबसे तेज ट्रिपल सेंचुरी बनाने वाले बल्लेबाज बन गए. यह मैच उन्होंने चेन्नई में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेला था. सहवाग के नाम 2009 में एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय (ओडीआई) मैच में सबसे तेज शतक का रिकॉर्ड भी बना, जिसे चार साल बाद विराट कोहली ने तोड़ा. 2005 में श्रीलंका के खिलाफ खेला गया सहवाग का यह ओवर भला कौन भूल सकता है जब उन्होंने ओवर की छह गेंदों पर 4,4,6,4,4,4 रन दिए थे. सहवाग ने टेस्ट क्रिकेट में 23 शतक बनाए हैं और टेस्ट के इतिहास में दो तिहरे शतक बनाने वाले दुनिया के चार बल्लेबाजों में से एक हैं. सहवाग के अलावा ऐसी उपलब्धि सर डॉन ब्रैडमैन, ब्रायन लारा और क्रिस गेल ने हासिल की है. अपने 37वें जन्मदिन पर हर प्रकार के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट और आईपीएल से सन्यास की घोषणा करने वाले सहवाग ने अपने करियर में कुल 104 टेस्ट, 251 ओडीआई और 19 टी20 मैच खेले हैं. वीरू के खाते में 17,000 से भी अधिक अंतरराष्ट्रीय रन हैं. इस परिपेक्ष्य में सहवाग उस कड़ी के पहले पडाव है | वे दिल्ली के ग्रामीण क्षेत्र नजफगढ़ के निवासी है और परिवार अनाज व्यापार से जुड़ा हुआ है | “वीरू” के नाम से जाने जानेवाले इस युवक ने सन 1999 में एकदिवसीय और दो साल बाद टेस्ट मैचो में भारत का प्रतिनिधित्व किया | वे एक धुँआधार मध्यम क्रम के बल्लेबाज तथा एक उपयोगी “ऑफ़ स्पिनर” के रूप में विकसित हुए परन्तु बाद में उन्हें सलामी बल्लेबाज का दायित्व सौंपा गया | यह भूमिका उन्होंने इतनी बखूबी निभाई कि टेस्ट क्रिकेट में दो तिहरे शतक जमानेवाले एकमात्र भारतीय बल्लेबाज बने \ उनकी अद्वितीय सफलताओं को उन्हें भारतीय टीम की उप-कप्तानी सौंपकर मान्यता प्रदान की गयी परन्तु बीच में उनके प्रदर्शन में गिरावट भी आई | यही नही उनके टीम में स्थान पर भी प्रश्न-चिन्ह लग गया था | चपल प्रतिक्रियाओं तथा आँख और हाथ का सही तालमेल से उन्हें पराक्रम प्रदान किया कि उन्होंने विश्व विख्यात गेंदबाजों की धज्जियाँ उड़ाकर उनकी औसत तथा मान-मर्यादा को मिटटी में मिला दिया | उनकी आक्रमक बल्लेबाजी का कोई सानी नही है | न्यूजीलैंड के गेंदबाजों को उनकी विद्युतीय बल्लेबाजी का आभास हुआ , जब उन्होंने 79 गेंदों में ही शतक बना दिया | उधर दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध पहले ही टेस्ट में सैंकड़ा ठोककर अपने आगमन का खूब डंका बजाय | अपनी नई जिम्मेदारी को सहवाग ने बड़ी कुशलता से निभाया | चुनौतीपूर्ण परिस्थितिया भी उनके पक्के इरादों को विचलित नही कर पाई | “वीरेन्द्र सहवाग (Virendra Sehwag) भारत का ऐसा बल्लेबाज़ जिससे दुनिया का हर गेंदबाज खौफ खाता है” यह मानना है इमरान ख़ान से लेकर रिचर्ड हेडली और बॉब विलिस के दिल में खौफ पैदा करने वाले विवियन रिचर्डस का। अभी हाल ही में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ युसूफ पठान ने यादगार तूफानी पारी खेलने के बाद पत्रकारों से कहा था “वीरेंद्र सहवाग (Virendra Sehwag) के बेखौफ अंदाज ने उन्हें इस कदर खेलने के लिए प्रेरित किया।” सहवाग भारतीय टीम को बहुत तेज शुरुआत देते हैं और गेंदबाजों पर शुरू से ही हावी हो जाते हैं। सहवाग (Virendra Sehwag) अगर अपने फॉर्म में हों तो किसी भी आक्रमण को ध्वस्त करने की क्षमता रखते हैं। सहवाग जब तक क्रीज पर रहते हैं तब तक विरोधियों के माथे पर उनकी क्रीज पर मौजूदगी का खौफ साफ-साफ देखा जा सकता है। वीरेन्द्र सहवाग (Virendra Sehwag) को भारत सरकार ने 2002 में अर्जुन पुरस्कार देकर सम्मानित किया। इसके अतिरिक्त उन्हें 2008 में अपने शानदार प्रदर्शन के लिये “विजडन लीडिंग क्रिकेटर इन द वर्ल्ड” के सम्मान से नवाजा गया। सहवाग (Virendra Sehwag) ने इस पुरस्कार को 2009 में दोबारा अपने नाम किया। 2011 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर के नाते “ईएसपीएन क्रिकीन्फो अवार्ड” भी दिया गया। कीर्तिमान : मार्च 2010 में उन्होंने हैमिल्टन में न्यूजीलैंड के खिलाफ सिर्फ 60 गेंदों पर शतक बनाया था। टेस्ट क्रिकेट में पहले विकेट के लिये सबसे बड़ी साझेदारी का रिकार्ड भी सहवाग के ही नाम है। राहुल द्रविड़ के साथ 410 रन की साझेदारी बना करके वीरू ने कीर्तिमान बनाया था। एकदिवसीय क्रिकेट मैच में उनका सर्वाधिक स्कोर 219 रन है। जो एक विश्व रिकॉर्ड था। जिसे बाद में रोहित शर्मा ने 264 रन बना कर तोड़ा।[5] सहवाग पहले भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्होंने टेस्ट मैच में तिहरा शतक जड़ा है। सर डोनाल्ड ब्रेडमैन और ब्रायन लारा के बाद सहवाग दुनिया के तीसरे ऐसे बल्लेबाज हैं जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में दो बार तिहरा शतक बनाने का कीर्तिमान स्थापित किया है। अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में किसी बल्लेबाज द्वारा यह सबसे तेज गति से बनाया तिहरा शतक (319 रन) भी है। तीन सौ उन्निस रन बनाने के लिये उन्होंने सिर्फ़ 278 गेंद ही खेलीं। तीस से ज्यादा औसत के साथ सहवाग का स्ट्राइक रेट दुनिया में सबसे ज्यादा है। इसके अलावा वह दुनिया के एकमात्र ऐसे क्रिकेट खिलाड़ी हैं जिन्होंने टेस्ट मैचों में दो तिहरे शतक बनाने के साथ एक पारी में पाँच विकेट भी हासिल किये। सहवाग के आदर्श : सहवाग क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर को अपना मार्गदर्शक मानते हैं। अपनी बैटिंग शैली के लिए सहवाग की तुलना सचिन तेंदुलकर से की जाती है। बड़े स्कोर बनाने के मामले में वह ऑस्ट्रेलिया के सर डॉन ब्रैडमैन और वेस्टइंडीज के ब्रायन लारा के समकक्ष ठहरते हैं। उनके आदर्श सचिन तेंदुलकर इस मामले में उनसे कहीं पीछे हैं। उतार चढ़ाव : सहवाग का अच्छा समय रहा तो बुरा समय भी रहा। लंबे समय तक वे भारतीय टीम से अलग भी रहे। ख़ासकर 2007 के विश्व कप के बाद तो उनका वनवास कुछ लंबा ही रहा। लेकिन वापसी हुई तो ज़बरदस्त। सहवाग ने वनडे के साथ-साथ टेस्ट में भी सलामी बल्लेबाज़ी की है और ख़ूब चले भी हैं। बल्ले के साथ-साथ सहवाग उपयोगी गेंदबाज़ भी हैं और कई मौक़े पर उन्होंने भारत को अहम सफलताएँ दिलाई हैं। ( 13 ) 6 Votes have rated this Naukri. 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