सरबजीत सिंह जीवनी - Biography of Sarabjit Singh in Hindi Jivani Published By : Jivani.org सरबजीत सिंह (1963 - 2 मई 2013) एक भारतीय नागरिक थे जिन्हें पाकिस्तान ने जासूसी और आतंकवाद के आरोप लगाकर सजा और प्रताड़ना दी। वे १९९० से पाकिस्तान के कोट लखपत जेल, में थे जहाँ उसी जेल के कैदियों ने हमला करके उन्हें मार दिया। Sarabjit Singh का जन्म पंजाब के भिखिविंद गाँव में हुआ था, जो भारत-पाकिस्तान के बार्डर के बेहद नजदीक स्थित है। वे पेशे से एक किसान थे। इसके अलावा वे पहलवानी का भी शोक रखते थे। उनके दोस्तों और करिबियों के अनुसार खुशमिजाज के सरबजीत 28 अगस्त 1990 की रात को शराब के नशे में बिना घेरा बंदी वाली अंतरराष्ट्रीय सीमा को अनजाने में पार कर गए और दूसरी तरफ पाकिस्तान के बोर्डर में गस्ती दे रहे पाकिस्तानी रैंजंर ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद उनपर भारतीय जासूस होने का आरोप लगाकर पाकिस्तानी जेल में डाल दिया गया। पर पाकिस्तानी पुलिस यहीं तक नहीं रुकी, उन्होंने 30 अगस्त 1990 को पाकिस्तान के लाहौर और फ़ैसलाबाद में हुए दोनों बम ब्लास्ट का आरोप सरबजीत पर मढ़ दिया। बाद में पाकिस्तानी पुलिस द्वारा उनका नाम भी बदल दिया गया। जो मंजीत सिंह था। इसी नाम से पाक-पुलिस ने हाई कोर्ट में केस फाइल की। इधर भारत में सरबजीत के परिवार वाले और गाँव वाले उनके गुमसुदगी से बहुत परेशान थे। वे सभी मिलकर लगातार नौ महीनों तक सरबजीत को खोजते रहे। पर उन्हें मिलता क्या ? उनकी खोज तो भारत तक ही सीमित थी, उन्हें बिलकुल भी अंदाजा नहीं था कि सरबजीत तो पाकिस्तानी जेल में बंद है। इसी दौरान एक साल बाद पाकिस्तानी लाहौर के जेल से सरबजीत के परिवारवालों को एक पत्र मिला, जिसे सरबजीत ने ही भेजा था। तब जाकर पत्ता चला कि सरबजीत तो पाक-जेल में बंद है एक दर्दनाक कहानी की शुरुआत पंजाब के तरनतारन जिले के भिखीविंड गांव के रहनेवाले सरबजीत सिंह की दर्दनाक कहानी शुरु होती है २८ अगस्त १९९० से। इसी दिन शराब के नशे में सरबजीत सिंह सीमा पार गए चले गए जहां उन्हें पाकिस्तानी सेना ने गिरफ्तार किया था। सरबजीत सिंह को रॉ का एजेंट बताते हुए उन्हें लाहौर , मुल्तान और फैसलाबाद बम धमाकों का आरोपी बनाया गया। बाद में अक्टूबर १९९१ में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। सरबजीत सिंह के पक्ष में उनके परिवार के साथ साथ मानवाधिकार संगठन भी सामने आए तब पता चला कि सरबजीत के मामले में पाकिस्तान सरकार ने कई फर्जीवाड़े किए हैं। पाकिस्तान की अदालत में जो पासपोर्ट पेश किया गया था उस पर नाम लिखा था खुशी मोहम्मद का लेकिन तस्वीर सरबजीत सिंह की लगाई गई थी। इसी तरह २००५ में पाकिस्तानी ने एक वीडियो जारी करके दावा किया कि सरबजीत सिंह ने अपना जुर्म कबूल लिया है, लेकिन २००५ तक पाकिस्तान सरबजीत सिंह को मंजीत सिंह कहता था। २००५ में ही वो गवाह मीडिया के सामने आया जिसने सरबजीत की पहचान की थी, उसने मीडिया से साफ कहा कि उस पर दबाव डालकर सरबजीत के खिलाफ बयान दिलवाया गया था। लेकिन इन फर्जीवाड़े के बावजूद एक अप्रैल २००८ को सरबजीत को फांसी दिए जाने की तारीख तय कर दी गई थी, हालांकि कूटनीतिक प्रयासों के बाद उनकी फांसी अनिश्चितकाल के लिए टल गई। जून २०१२ में पाकिस्तानी मीडिया में खबर आय़ी कि सरबजीत को रिहा किया जा रहा है लेकिन यह खबर अफवाह साबित हुई. दरअसल पाकिस्तान सरकार ने सरबजीत के बदले सुरजीत सिंह< की रिहाई का आदेश दिया था। सरबजीत सिंह गिरफ्तारी और मुकदम सरबजीत सिंह को भारत-पाक सीमा पर पाकिस्तानी आर्मी में सीमा पर करने के कसूर में पकड़ा था. लेकिन सरबजीत और उसके सहकर्मियों का ऐसा मानना था की सरबजीत सिंह शराब के नशे में गलती से पाकिस्तानी बॉर्डर में चले गये थे. उनके सहकर्मियों ने उन्हें एक गरीब किसान बताया. उनकी बहन ने बताया की लापता होने के बाद तक़रीबन 9 महीनो तक उन्होंने सरबजीत को ढूंडा लेकिन उनकी कोई जानकारी नही मिली. 1 साल बाद उन्हें सिंह का एक लैटर मिला, जिसमे उन्होंने लिखा था की उन्हें मंजीत सिंह के नाम से पकिस्तान में गिरफ्तार कर लिया गया, और वहा उनके पास उनके पहचान का कोई प्रमाणपत्र नही है, इसीलिए लाहौर पुलिस ने पाकिस्तान में हुए बम हमलो में उन्हें दोषी ठहरा दिया. और इसके लिये उन्हें सजाये मौत भी सुनाई गयी थी. कुछ जानकारों का ऐसा मानना है की उन्हें अनधिकारिक रूप से बॉर्डर पार करने की वजह से गिरफ्तार किया गया था. लेकिन 8 दिनों बाद पाकिस्तानी पुलिस में उनपर 1990 में हुए बम हमलो का दोषी ठहरा दिया. पाकिस्तानी अधिकारियो का ऐसा मानना है की उनका नाम मंजीत सिंह है और उसने पकिस्तान के मासूम 14 लोगो की हत्या की है, और उनका ऐसा कहना है बम धमाके करने के बाद वह भारत वापिस जा रहा था तभी पाकिस्तानी सेना ने उन्हें पकड़ लिया. बाद में पाकिस्तानी आर्मी के अत्याचारों से परेशान होकर उन्होंने उनपर लगाये दोषों को कबुल कर लिया. ये बाद में बताया गया की मंजीत सिंह पहले कनाडा में पकड़ा गया था और बाद में भारत आया था. ( 20 ) 3 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 4