प्रफुल कुमार जेना की जीवनी - Biography of Praful Kumar Jena in hindi jivani Published By : Jivani.org नाम : प्रफुल कुमार जेना जनम तिथी : 27 दिसंबर 1931 ठिकाण : ओडिशा, भारत व्यावसाय : धातूशोधन करनेवाला प्रारंभिक जीवनी : प्रफूल कुमार जेना एक भारतीय मेटलर्जिस्ट वह नेशनल इंस्टीटयूट फॉर इंटराईसिप्लिनरी साइंस एंड टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिक है | इतना ही नही बल्की वह औघोगिक अनुसंधान, भुवनेश्वार परिषद के पूर्व निदेशक भी है | जेना का जनम भारत मे ओडिशा राजया मे 27 दिसंबर 1937 मे हुआ है | उन्होंने रसायन विज्ञान मे स्त्रातक की उपाधि प्राप्ता कि है | उसके बाद उन्होंने उत्कल विश्वाविघ्यालय से भौतिक रसायन विज्ञान मे स्त्रातकोत्तार कि उपाधि प्राप्ता कि थी | उन्होंने ब्रिटीश कोलंबिया विश्वाविघ्यालय से धातूकर्म इंजिनियरिंग मे एमएस कि उपाधि प्राप्त कि है | कार्य : अपने करियर के शुरवाती दिनों मे उन्होंने भाभा परमाणू अनुसंधान केंद्र ट्रॉम्बे के धातू विज्ञान प्रभाग मे एक वरिष्ठा वैज्ञानिक के रुप मे काम किया है | उन्हेांने बनारस हिंदू विश्वाविघ्यालय मे धातूकर्म इंजिनियरिंग के प्रोफेसर के रुप मे भी काम किया है | पी के जीना ने वैज्ञानिक और औघोगिक परिषद के क्षेत्रीय अनुसंधान प्रयोगशाला आरआरएल के निदेशक के रुप मे भी कार्य किया है | पी के जेना भारतीय प्रौघोगिकी संस्थान, खडगपूर मे मेटलर्जिकल इंजिनियरिंग विभाग से टाटा के प्रतिष्ठित प्रोफेसर अध्याक्ष भी रहे है | सन 1972 से सन 1986 तक पी के जेना ने सीएसआयआर के महानिदेशक के रुप मे कार्य किया है |पी के जेना रियो डी जनेरियो के पोटिकल कैथोलिक विश्वाविघ्यालय ब्राजील और लोहोकर विश्वाविघ्यालय सेंदई, जपान इन दोनो विदेशी विश्वाविघ्यालय मे वजिटिंग प्रोफेसर के रप मे कार्यरीत रहे थे | पी के जेना प्राकृतिक संसाधन विकास फाउंडेशन के एक पूर्व अध्याक्ष भी रहे है | पी के जेना ने अपने शोध व्दारा अयस्कों और खनिजो के उन्नायन पर ध्यान केंद्रीत किया है | उन्हें औधोगिक कचरे से धातू के मुल्यों कि और कोयले के जुर्माना कि वसूली सिलाई से लोहे के मुल्यो और कम लोहें के लाभ के लिए विकसित तरीको के लिए जाना जाता है | उनहेांने अलौह अयस्कों के क्लोराइड धातू विज्ञान और नीकेल कोबाल्ट तांबा, सीसा, जस्ता वैनेडियम और मैंगनीज के निष्कर्षण के क्षेत्रो मे भी योगदान दिया है | जेना भूवनेश्वार के भौतिकी विज्ञान संस्थान, तारामंडल के संस्थापक अध्याक्ष थे | इतना ही बल्की जेना NRDF और IATES भूवनेश्वार के भी संस्थापक अध्याक्ष है | उपलब्धि : सम्मान/पूरस्कार : 1) इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेज और इंस्टीटयूशन ऑफ इंजीनियर्स भारत और इंडीयन इंस्टीटयूट ऑफ मेटल्सा के एक साथी है | 2) जेना भारतीय विज्ञान कांग्रेस एसोसिएशन के पूर्व अध्याक्ष और सदस्या है | 3) जेना को सन 1969 मे नॅशनल मेटलर्जिस्टा अवार्ड प्राप्त हुआ है | 4) सन 1977 मेउन्हे भारत सरकारव्दारा पघश्री पूरस्कार से सम्मनित कीया गया है | 5) 1998 से उन्हे इंस्टीटयूट ऑफ इंजीनियर्स इंडिया अवार्ड मिला है | 6) 2008 मे जेना को बीएचयू विशिष्टा सेवा पूरस्कार प्राप्त हुआ है | 7) सन 2012 मे जेना को इंडियन इंस्टीटयूट ऑफइंजिनियरींग साइंस एंड टेकनोलॉजी शिवपूर से प्रतिष्ठित वैज्ञानिक पूरस्कार प्राप्ता हुआ है | 8) 1999 मे उन्हे ओडिशा बिग्यान एकेडमी सीनियर साइंटिस्टा अवार्ड मिला है | 9) जेना को रेनशॉ केमिर्स्टी एलुमनी एसोसिएशन रेनशॉ युनिवर्सिटी से सन 2008 और इंस्टीटयूट ऑफ मिनरल्स एंड मैटेरियल्सा टेक्नोलॉजी से आजीवन उपलब्धि प्रापता हुई है | ( 12 ) 0 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 0