गायत्री चक्रवर्ती स्पाइक की जीवनी - Biography of Gayatri Chakraborty Spike in hindi jivani Published By : Jivani.org नाम : गायत्री चक्रवर्ती स्पाइक जनम तिथी : 24 फरवरी 1942 ठिकाण : कलकत्ता, बंगाल प्रेसींउेसी, ब्रिटिश भारत व्यावसाय : साहित्यीक सिध्दांतकार प्रारंभिक जीवनी : गायत्री चक्रवर्ती स्पाइक का जनम 24 फरवरी 1942 को कलकत्ता के पारस चंद्र और सिवनी चक्रवर्ती के यहाँ हुआ था | स्पाइक के परदादा प्रतापचंद्र मजूमदार श्री रामकृष्ण के डॉक्टर थे | सेंट जॉन्सा डायोकेसन गर्ल्स हायर सेकंडरी स्कूल मे अपनी माध्यामिक शिक्षा पूरी करने के बाद, कलकत्ता विश्वाविदयालय के तहत प्रेसीडेंसी कॉलेज कोलकता मे भाग लिया था | जहॉ से उन्होंने 1959 मे स्त्रातक किया था | कार्य : स्पाइक एक भारतीय विव्दान साहित्यिक सिध्दांतकार और नारीवादी आलोचक है | वह कोलंबिया विश्वाविदयालय मे विश्वाविदयालय के प्रोफेसर और तूलनात्माक साहित्या और समाज के लिए स्थापना संस्थान के संस्थापक सदस्या है | सबसे प्रभावशाली पोस्टकोलोनियल बुध्दिजीवीयों मे से एक माना जाता है | स्पाइक को उनके निबंध कैन द सबाल्टर्न स्पीक ? के लिए जाना जाता है | उन्होंने महाश्वेता देवी कि ऐसी रचनाओं का अनूवाद काल्पनिक नक्शें और स्तान कहानियों के रुप मे अंग्रेजी मे किया था| 1959 मे स्त्रातक होने के बाद, उन्हेांने सप्ताह मे चालीस घंटे अ्रग्रेजी टयूटर के रुप मे रोजगार प्राप्ता किया था | 1969-64 मे उन्होंने प्रोफेसर टीआर हेंन कि देखरेख मे एक शोध छात्र के रुप मे गिर्टन कॉलेज कैम्ब्रिज मे विलियम बटलर यीट्रस कि कविता मे गीत के विषय मे विकास के चरणो के प्रतिनिधित्वा पर लिखा था | उन्होंने 1963 कि गर्मियो मे आयरलैंड के स्लिगो मे येटस समयर स्कूल मे यीटस एंड द थीम ऑफ डेथ पर एक पाठयक्रम प्रस्तूत किया था | 1965 मे पतन मे स्पाइक अयोवा विश्वाविदयालय के अंग्रेजी विभाग मे एक सहायक प्रोफेसर बन गया था | 1974 मे आयोवा विश्वाविदयालय मे स्पाइक ने तुलनात्माक साहित्या विभाग मे अनूवाद मे एनएफए कि स्थापना कि थी | अगले वर्षे, वह तुलनात्माक साहित्या मे कार्यक्रम कि निदेशक बनी थी और उन्हे पूर्ण प्रोफेसर के पद पर पदोन्नात किया गया था | 1978 मे वह शिकागो विश्वाविदयालय मे राष्ट्रीय मानविकी प्रोफेसर थी | 1986 मे पिटसबर्ग विश्वाविदयालय मे वह अंग्रेजी कि पहली मेलन प्रोफेसर बनी थी | 1991 मे वह कोलंबिया विश्वाविदयालय मे एवलॉन फाउंडेशन प्रोफेसर के रुप मे मानविकी मे सकाय कि सदस्या थी | जहॉ 2007 मे उन्हें मानविकी मे विश्वाविदयालय के प्रोफेसर बनाया गया था | पूरस्कार और सम्मान : 1) 2012 मे वह कला और दर्शन कि श्रेणी मेक्योटो पूरस्कार के एकमात्र भारतीय प्राप्ताकर्ता बनगए है | 2) 1997 मे उन्हें भारत मे साहित्या अकादमी राष्ट्रीय साहित्या अकादमी से अंग्रेजी मे अनूवाद के लिए पूरस्कार मिला था | 3) 2013 मे उन्हे भारत के गणतंत्र व्दारा दिया जाने वाला तीसरा सर्वोच्चा नागरिक सम्मान पदमभूषण मिला था | पुस्तके : 1) माईसेल्फमस्टा मी रिमेक द लाइफ एंड पोएट्री ऑफ डब्ल्यूबी येटस 1974| 2) ग्रेमेटोलॉजी 1976| 3) इन अदर वर्ल्डस एसेज इन कल्चरल पॉलिटिक्सा 1987| 4) स्पाइक, गायत्री चक्रवर्ती 1988| 5) औपनिवेशक आलोचना साक्षात्कार गणनितियाँ संवाद 1990| ( 6 ) 0 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 0