घनश्याम स्वरुप की जीवनी - Biography of Ghanshyam Swaroop in hindi jivani Published By : Jivani.org नाम : घनश्याम स्वरुप जनम तिथी : 23 नवंबर 1953 ठिकाण : उत्तरप्रेदश, भारत व्यावसाय : आणविक जीवविज्ञानी प्रांरभिक जीवनी : घनश्याम स्वरुप का जनम 23 नवबंर 1953 को उत्तरप्रेदश मे हुआ था | उन्होंने छत्रपति शाहू महाराज विश्वविघ्याल से विज्ञान मे स्त्रातक किया था | और टाटा इंस्टीटयूट ऑफ फंडमेंटल रिसर्च मे पीएचडी पूरी करने के लिए मुंबई जाने से पहले मास्टार कि डिग्री हासिल करने के लिए अपनी पढाई जारी रखी थी | उनकी डॉक्टरेट कि पढाई वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिअी स्कूल ऑफ मेडिसिन के डेविड एल गार्बर्स कि प्रयोगशला मे हुई थी | कार्य : घनश्याम स्वरुप एक आणविक जीवविज्ञानी है | वह सेल्यूलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी सेंटर के घनश्याम स्वरुप रिसर्च ग्रूप के प्रमूख है | वह ग्लूकोमा पर अपने अध्यायन और प्रोटीन टायरोसिन फॉस्फेट कि खोज के लिए जाना जाता है | वह एक वैज्ञानिक के रुप मे कोशिकिया और आणविक जीवविज्ञान केंद्र और घनश्याम स्वरुप समूह के प्रमूख है | जो ऑप्टिनिन और इसके उत्परिवर्तन के कारण मनूष्यों मे होन वाले कार्यात्मक दोषो पर शोध करते है | स्वरुप ने सेलूलर सिग्नलिंग तंत्र पर अमेरिका मे स्टैनली कोटेन के साथ काम करते हुए, एक नए परमाणू प्रोटीन टायरोसीन फॉस्फेट Pt Pase कि खोज करने की सूचना दि है | उनके बाद के काम ने प्रदर्शित किया कि प्रोटीन कोशिका प्रसार के नियमन मे एक भूमिका निभाता है | सीसीएमबी मे अपने शूरु आती दिनो के दौरान, उन्होंने प्रोटीन टायरोसिन फॉस्फेट के आणविक क्लोनिंग और डीएनए के साथ इसके बंधन को बनाने के लिए जीन के वैकल्पिक Splicing के लिए कार्यप्रणाली कि स्थापना कि थी | उनके अध्यायन से ज्ञात होता है कि स्तनधारी कोशिकाओं मे पूटीय कार्गो रिसेप्टर्स के लिए पहले कार्गो PTP-54/TC48 कि पहचान करने मे सहायता कि जाती है | स्वरुप ने अपने शोध निष्कर्षो का विवरण देते हुए कई लेख प्रकाशित किए है, रिसर्चगेट, वैज्ञानिक लेखो के एक ऑनलाइन भंडार ने उनमे से 81 को सूचीबध्दा किया है | वह जर्नल ऑफ मॉलिक्यूल्र सिंगलिंग के संपादकिय बोर्ड का सदस्या है | उन्होंने अपने डॉक्टरेट और पोस्टडॉक्टोरल शोध मे कई विव्दानों का सीसीएमबी के साथ अन्या संस्थानों के विव्दानों से उल्लेख किया है | पूरस्कार और सम्मान : 1) उन्हे 1998 मे नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज भारत व्दारा एक साथी के रुप मे चुना गया था | 2) उनहें 1989 मे वैज्ञानिक और औघोगिकी अनूसंधान परिषद का यूवा वैज्ञानिक पूरस्कार मिला था 3) उनहे 1996 मे शांति स्वरुप भटनागर पूरस्कार से सम्मानित किया गया था | 4) 2003 म भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के एक निर्वाचित साथी बने थे | 5) 2011 मे उनहे विज्ञान और प्रौधोगिकी विभाग के जैसी बोस राष्ट्रीय अध्येतावृत्ति के लिए चूना गया था | पुस्तके : 1) ऑप्टिनिन मे उत्परिवर्तन के कारण ग्लुकोमा मे रोगजनन कि आणविक आधार 2014| 2) OPTN प्रेरित रेटिना कोशिका मृत्यू मे रब GTPSE2014| 3) प्रयोगिक नेत्र अनूसंधान 2015| ( 12 ) 0 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 0