हंसा जीवराज मेहता की जीवनी - Biography of Hansa Jeevraj Mehta in hindi jivani Published By : Jivani.org नाम : हंसा जीवराज मेहता जन्म तिथी : 3 जुलाई 1897 ठिकाण : गुजरात व्यावसाय : सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक मृत्यू : 4 अप्रैल 1995 प्रारंभिक जीवनी : इंसा मेहता का जन्म 4 अप्रैल 1995 को गुजरात मे ब्रहमण परिवार मे हुआ था | वह मनूभाई मेहता, बडौदा राजया के दीवान कि बेटी थी | और प्रथ्मगुजराती उपन्यास करण घलो के लेखक नंदशंकर मेहता कि पोती थी | उनहेांने 1918 मे दर्श्ंनशासत्र मे स्त्रातक किया था | उन्होंने इंग्लैड मे पत्रिकारिया और समाजशास्त्र का अध्यायन किया था | 1918 मे वह 1922 मे सरोजीनी नायडू और बाद मे महात्म गांधाी से मिली थी | उनकी शादी प्रख्यात चिकित्साक और प्रशासक जीवराज नारायण मेहता से हुई थी | कार्य : हंसा जीवराज मेहता भारत से सूधारवादी सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षक स्वतंत्रता कार्यकर्ता, नारीवादी और लेखक हंसा मेहता ने विदेशी कपडे और शराब बेचनेवाली दुकाने कि पिकेटिंग का आयोजन किया था और महात्मा गांधी कि सलाह के अनूसार अन्या स्वतंत्रता आंदोलन गतिविधीयों मे भाग लिया था | उन्हें 1932 मे अपने पति के साथ अंग्रेजो व्दार भी कर लिया था | और बाद मे उनहे बॉम्बे लेजिस्लेटिव काउंसिल के लिए चुना गया था | स्वातंत्रता के बाद, वह उन 15 महिलाओं मे शामिल थी | जो भारतीय संविघान का मसौदा तैयार करने वाली घटक विधानसभा का हिस्सा थी | वह भौतिक अधिकारों कि सलाहकार समिती और उपसमिती और सदस्या थे | उन्होंने भारत मे महिलाओं के लिए समानता और न्याय कि वकालत कि थी | हंसा 1926 मे बाम्बे स्कूल कमेटी के लिए चुने गए थे | 1945: 46 मे अखिल भारतीय महिला सम्मेलनन मे अपने अध्याक्षीय भाषण मे, उन्होंने महिला अधिकारों के चार्टर का प्रस्ताव रखा था | वह 1945 से 1960 तक भारत मे विभिन्ना पदों पर रही एसएनडीटी महिला विश्वाविदयालय कि कुलपति, अखिल भारतीय माध्यामिक शिक्षा बोर्ड कि सदस्या इंटर यूनिवार्सिटी बोर्ड ऑफड इंडिया कि अध्याक्ष और महराजा सयाजीराव यूनीवर्सिटी ऑफ बडौदा कुलपति रही है | हंसा ने 1946 मे महिलाओं की स्थीती परमाणू उपसमिती मे भारत का प्रतिनिधीत्वा किया था | 1947: 48 मे संयूक्त रार्ष्ट मानवाधिकार आयोग मे भारतीय प्रतिनिधी के रुप मे वह सभी पुरुषों से मानव अधिकारों मे भारतीय प्रतिनिधी के रुप मे वह सभी पूरषों से मानव अधिकारों कि सार्वभौमिक धोषणा कि भाषा को बदलने के लिए जिम्मेदार थी | हंसा 1950 मे संयूक्ता राष्ट्र के मानवअधिकार आयेाग के उपाध्याक्ष बनो थी | वह यूनेस्को के कार्यकारी बोर्ड के सदस्या बने थै | पूरस्कार और सम्मान : 1) हंसा मेहता को 1959 मे पदमभूषण से सम्मानित किया गया था | पूस्तके : 1) अरुणू अदभूत स्वप्ता 1934| 2) बबलाना पराक्रमो 1929| 3) बलवकर्तावली पार्ट 1: 2 1926,1929| 4) अरण्याकाण्ड| 5) बालकाण्उ| 6) सूंदरकांड| 7) गुलिवर्स| 8) र्टेवल्सा| 9) त्राहा नाको 1926| 10) राम कथा 1993| ( 12 ) 0 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 0