हर स्वरुप की जीवनी - Biography of Har Swaroop in hindi jivani Published By : Jivani.org नाम : हर स्वरुप जन्म तिथी : 9 दिसंबर 1922 ठिकाण : राजगड, मध्याप्रांत, बरार व्यावसाय : वैज्ञानिक पत्नी : डॉ. सावित्री स्वरुप मृत्यू : 25 अप्रैल 1981 आयू 58 वर्षै प्रारंभिक जीवनी : हर स्वरुप का जन्म 9 दिसंबर 1922 को मध्याप्रेदश मे जिला राजगड के गांव बरार मे हुआ था | उनके पिता स्वर्गीय श्याम बिहारी लाल से जो राजगड राजया को करो के आयूक्ता और भव्या पिता स्वर्गीय देवी प्रसाद, शूरुआत मे एक वास्तूकार थै | पूर्व स्वतंत्र भारत मे अपनी प्रााथमिक शिक्षा के दौरान भी उनकी दुर्लभ प्रतिभा को पहचानते हुए कम उम्र मे हर स्वरुप को आगे कि पढाई के लिए आगरा और विदेश मे ब्रिटेन भेजा गया था | उन्हेंने हाई स्कूल सर्टिफिकेट परीक्षा मे शैक्षणिक अंतर हासिल किया था | आगरा विश्वाविदयालय से क्रमश: बीएससी 1944 और एमएससी 1946 मे दोनो परीक्षाओं मे प्रथम स्थान हासिल किया था | वह 1946 मे मे कानपूर के डिएवी कॉलेज मे व्याख्याता के रुप मे शामिल हुए और बाद मे मध्याप्रेदश के सागर मे जहाँ उन्होंने 1953मे डॉक्टरेट पूरा किया था | कार्य : हर स्वरुप एक वाइस चांसलर शिक्षाविदू और वैज्ञानिक के रुप मे विकासात्माक जीवविज्ञानी है | उन्हेांने आनूवंशिकी इंजीनियरिंग के साथ साथ शिक्षाविदू और आणविक जीवविज्ञानी और जैव रसायन के शिक्षक थे | उन्हे कई अनया शोधो जैसे रिंग्उ पॉलिसोम फिगर कि खोज और जीन एक्सप्रेशन विद एवोल्यूशन एंड एनवायरमेंट विद एवोल्यूशन एंड एनवयरनमेंट के लिए जाना जाता है | विदेश मे कई प्रस्तावो के बाबजूद नए स्वतंत्र भारत मे लौटने का विकल्पा चुना, ताकि वे भारत के सबसे कम उम्र के विश्वाविदयालय के प्रोफेसर बन सके | इंग्लैड मे उनहेांने प्रोफेसर माइकल फिशबर्ग के साथ जॉन बर्स्टन गॉरडम के साा ऑक्साफोर्ड विश्वाविघ्यालय मे डी फिल के लिए परमाणू प्रत्यारोपण और क्लोनिंग पर अग्रणी शोध करने के लिए काम किया था | 1952 मे ब्रिग्स और किंग के काम के विस्तार के रुप मे दैहिक कोशिकाअें से अक्षूण्णा नाभिक का उपयोग किया था | डॉ एच स्वरुप और डॉ गुरडन व्दारा क्रमश: पॉलीप्लॉइउ और मछली मेंढक से सफल क्लोनिग को प्रेरित करने के लिए अग्रणी कार्य था | भ्रूण ब्लास्टूला कोशिकाओ से नाभिक का प्रत्यारोपण किया गया था |जो तब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसंशीत था | सर रोनाल्ड फिशर और प्रोफेसर सी डी डार्लिग्टन ने ऑक्सफोर्ड मे इंटरनेशनल जेनिटिकल कॉम्फ्रेंस मे प्रोफेसर स्वरुप की तकनिकिका विषेश उल्लेख किया था | उन्हेोंन गवर्नमेंट कॉलेज नैनीताल मे ऑक्साफोर्ड विश्वाविघ्यालय से सेवा कि थी | विक्रम विश्वाविघ्यालय कि स्थापना मे मदद करने के लिए वह 1961 मे ग्वालियर मे एक विश्वाविघ्यालय के प्रोफेसर के रुप मे शामिल हुए थे | बाद मे उ्जैन मे स्थानांतरित हो गए जहाँ उन्हेांने डीन और एमेरिटस प्रोफेसर जैसे विभिनना क्षमताओ मे सेवा कि थी | जिसे 1977 मे जीवाजी विश्वाविघ्यालय ग्वालियर के उपकुलपति के रुप मे नियुक्ता किया गया था | उन्हेांने देश म उच्चा शिक्षा और अनूसंधान के विकास मे बहूत योगदान दिया था | उनहेांने मुश्किल से दो दश्ंकों के दौरान 5 पाठयापूस्तकों 120 से अधि शोधपत्र और कई लोकप्रिय लेख प्रकाशित किए थे | अपने शोध योगदान के लिए उन्हें इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी आयएनएसए व्दारा फैलोशिप ऑफ द नेशनल एकेडमी एफएनए के लिए नामांकित किया गया था | जो कि मरणोपसंत अब नई दिल्ली मे वार्षिक हर स्वरुप मेमोरियल अवार्डस और लेक्चर श्रृखला का आयोजन करता है | वह जुलॉजिकल सेासाइटी के महासचिव 1962मे थे | वह भारतीय विज्ञान कांग्रेस के अनूभगीय अध्याक्ष बैंगलोर 1971 मे थे |वह भारतअमेरिकी सम्मेलन बायोलॉजिस्टा के अध्याक्ष 1973 के थे | वह वैज्ञानिक शर्तो के अंग्रेजी हिंदी जैविक शब्दावली के लेखक थे| भारत मे और विदेशो मे सत्रह वैज्ञानिक पत्रिकाओं के संपादकिय बोर्ड मे शामिल थै | जिसमे बायोएस्कर्च और एनसीई आरटी प्रकाशन शामिल थै | 1977 मे उनहे जीवाजी विश्वाविघ्यालय ग्वालियर के उप कुलपति के रुप मे नियुक्त किया गया था | उन्हेांने लगातार काम किया और तानसेन अकादमी परिवार नियोजन संध, भारत राष्ट्रीय वयस्क साक्षरता मिशन और विज्ञन शिक्षा केा विकसित करने मे मदद करने के लिए जबरदस्ता लगन के साथ काम किया था | पूरस्कार और सम्मान : 1) उनहें सर दोराबजी टाटा मेडल से सम्मानित किया गया था | 2) वह भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी मध्याप्रेदश्ं राजया के मानद प्रमूख वाइल्ड लाइफ वार्डन के साथी के रुप मे नामांकित थे | ( 12 ) 0 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 0