नंदन नीलेकणि जीवनी - Biography of Nandan Nilekani in Hindi Jivani Published By : Jivani.org नीलेकणि का जन्म 1955 में कर्नाटक में हुआ था। अपनी उच्च शिक्षा (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री) उन्होंने आईआईटी मुंबई से प्राप्त की। वे 2009 में भारत सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट आधार योजना से जुड़े। वे भारत की ओर से अंतराष्ट्रीय आर्थिक संबंध पर शोध करने वाली काउंसिल ICRIER के सदस्य भी हैं और प्रीमियर इंडिपेंडेंट एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (NCAER) के अध्यक्ष भी हैं। विज्ञान, तकनीकी और प्रबंधन के क्षेत्र में कई पुरस्कार प्राप्त कर चुके नीलेकणि को 2006 में पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है, जो भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक है। उन्हें राहुल गांधी के काफी करीब माना जाता है नंदन नीलेकणि इन्फोसिस के सह अध्यक्ष और संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। भारत सरकार ने देश के हर नागरिक को एक विशिष्ट पहचान संख्या या यूनिक आइडेंटीफिकेशन नम्बर प्रदान करने के लिए प्रस्तावित यूआईडी प्राधिकरण अथवा विशिष्ट पहचान प्राधिकरण गठित करने को मंजूरी दे दी है और नंदन नीलकेणी इसके पहले अध्यक्ष होंगे। नीलकेणी का रैंक कैबिनेट स्तर का होगा। यह प्राधिकरण एक डाटा बेस तैयार करेगा और प्रत्येक नागरिक के लिए एक विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान करेगा। इस नम्बर के आधार पर उस नागरिक की पूरी जानकारी सरकार के पास उपलब्ध होगी। इन्हें भारत सरकार द्वारा सन् २००६ में विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये कर्नाटक से हैं। इन्फोसिस टेक्नोलॉजीज के सह संस्थापक नीलेकणी ने वर्ष 1981 में कंपनी को इसकी शुरुआत के साथ एक निदेशक के रूप में अपनी सेवाएं दी। उन्होंने मार्च 2002 से जून 2007 तक कंपनी के मुख्य कार्यकारी और प्रबंध निदेशक के तौर पर काम किया और फिर उन्हें कंपनी बोर्ड का सह अध्यक्ष नियुक्त किया गया। करियर : नंदन नीलेकणि ने सन 1978 में अपने करियर का प्रारंभ पाटनी कंप्यूटर सिस्टम से किया। पाटनी में नौकरी के लिए उनका इंटरव्यू एन.आर. नारायणमूर्ति ने लिया था। काम करते करते दोनों में प्रगाढ़ता बढ़ी और सन 1981 में उन्होंने एन.आर. नारायणमूर्ति और पांच अन्य लोगों के साथ पाटनी कंप्यूटर सिस्टम्स छोड़कर एक नयी कंपनी की स्थापना की – इन्फोसिस। इसके बाद अपनी कड़ी मेहनत और लगन से नंदन ने सफलता की बुलंदियों को छुआ। सन 2002 में उन्हें इन्फोसिस का सी.इ.ओ. बनाया गया और अप्रैल 2007 तक वे इस पद पर बने रहे। उनके स्थान पर उनके सहयोगी क्रिस गोपालकृष्णन को इनफ़ोसिस का सी.इ.ओ. बनाया गया और नंदन कंपनी के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स के सह-अध्यक्ष बनाये गए। इनफ़ोसिस का सी.इ.ओ. बनने से पहले नंदन ने कंपनी में विभिन्न्महत्व्पूर्ण पदों पर कार्य किया जिसमे शामिल है प्रबंध निदेशक, अध्यक्ष, सी.ओ.ओ. (मुख्य कार्यकारी अधिकारी)। सन 2009 में इनफ़ोसिस छोड़कर नंदन भारतीय विशिष्ट पहचानपत्र प्राधिकरण (UIDAI) के अध्यक्ष बन गए। कैबिनेट स्तर के इस पद को उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आग्रह पर स्वीकार किया था। भारतीय विशिष्ट पहचानपत्र प्राधिकरण (UIDAI) एक ऐसा डाटा बेस बना रहा है जिसमे देश के प्रत्येक नागरिक के लिए एक विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान की जा रही है। इस नम्बर के आधार पर उस व्यक्ति की सम्पूर्ण जानकारी सरकार के पास उपलब्ध रहेगी। यूआईडीएआई के अध्यक्ष : सन 2009 में नन्दन नीलेकणि इन्फ़ोसिस छोड़कर 'भारतीय विशिष्ट पहचानपत्र प्राधिकरण' (यूआईडीएआई) के अध्यक्ष बन गए। कैबिनेट स्तर के इस पद को उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आग्रह पर स्वीकार किया था। भारतीय विशिष्ट पहचानपत्र प्राधिकरण एक ऐसा डाटा बेस बना रहा है, जिसमें भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए एक विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान की जा रही है। इस नम्बर के आधार पर उस व्यक्ति की सम्पूर्ण जानकारी सरकार के पास उपलब्ध रहेगी। नन्दन नीलेकणि भारत की ओर से अंतराष्ट्रीय आर्थिक संबंध पर शोध करने वाली काउंसिल (आईसीआरआईईआर) के सदस्य् हैं और इंडिपेंडेंट एप्ला इड इकोनॉमिक रिसर्च इंस्टीटट्यूट ऑफ़ इंडिया (एनसीएईआर) के अध्ययक्ष भी हैं। वे ‘वर्ल्ड इकनोमिक फोरम फाउंडेशन’ और ‘बॉम्बे हेरिटेज फण्ड’ जैसी संस्थाओं के एडवाइजरी बोर्ड पर भी हैं। अपनी पुस्तक ‘इमैजिनिंग इंडिया: द आईडिया ऑफ़ अ रेनयूड नेशन’ के प्रचार के लिए वे ‘द डेली शो विथ जॉन स्टीवर्ट’ पर भी गए थे और 2009 में टेड कांफेरेंस में भी भारत के भविष्य के लिए अपने विचारों को प्रकट किया। राजनीति : मार्च, 2014 में नन्दन नीलेकणि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और 2014 के लोक सभा चुनाव में दक्षिण बेंगळूरू से कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया, पर उन्हें भारतीय जनता पार्टी के नेता अनन्त कुमार से हार का सामना करना पड़ा। इन्फ़ोसिस की स्थापना : नन्दन नीलेकणि ने सन 1978 में अपने कॅरियर का प्रारंभ पाटनी कंप्यूटर सिस्टम से किया। पाटनी में नौकरी के लिए उनका साक्षात्कार एन. आर. नारायणमूर्ति ने लिया था। काम करते-करते दोनों में प्रगाढ़ता बढ़ी और सन 1981 में उन्होंने एन. आर. नारायणमूर्ति और पांच अन्य लोगों के साथ पाटनी कंप्यूटर सिस्टम्स छोड़कर एक नयी कंपनी 'इन्फोसिस' की स्थापना की। इसके बाद अपनी कड़ी मेहनत और लगन से नन्दन नीलेकणि ने सफलता की बुलंदियों को छुआ। 2002 में उन्हें इन्फोसिस का सी.इ.ओ. बनाया गया और अप्रैल, 2007 तक वे इस पद पर बने रहे। उनके स्थान पर उनके सहयोगी क्रिस गोपालकृष्णन को इन्फ़ोसिस का सी.इ.ओ. बनाया गया और नन्दन कंपनी के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स के सह-अध्यक्ष बनाये गए। इन्फ़ोसिस का सी.इ.ओ. बनने से पहले नन्दन नीलेकणि ने कंपनी में विभिन्न महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिसमें शामिल हैं- प्रबंध निदेशक, अध्यक्ष, सी.ओ.ओ. (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) पुरस्कार और सम्मान : 1. सन 2011 में टोरंटो विश्वविद्यालय के ‘रॉटमैन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट’ ने उन्हें डॉ ऑफ़ लॉ की मानद उपाधि दी। 2. सन 2011 में उन्हें एन.डी टी.वी. इंडियन ऑफ़ द इयर के तहत ‘त्रन्स्फ़ोर्मतिओनल आईडिया ऑफ़ द इयर अवार्ड’ दिया गया। 3. सन 2009 में टाइम पत्रिका ने नंदन को अपने प्रतिष्ठित ‘दुनिया के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों’ की सूचि में रखा। 4. सन 2009 में येल विश्वविद्यालय ने उन्हें ‘लीजेंड इन लीडरशिप’ का सम्मान दिया। 5. सन 2006 में भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया। 6. सन 2006 में फोर्ब्स एशिया ने उन्हें ‘बिजनेसमैन ऑफ़ द इयर’ का सम्मान दिया। 7. सन 2004 में सी.एन.बी.सी. द्वारा आयोजित ‘एशिया बिज़नस लीडर्स अवार्ड’ में उन्हें ‘कॉर्पोरेट सिटीजन ऑफ़ द इयर’ का सम्मान दिया गया।8. अर्थव्यवस्था और राजनीति के क्षेत्र में प्रगतिशील सेवाओं के लिए सन 2005 में जोसेफ शमपीटर अवार्ड दिया गया। ( 16 ) 0 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 0