सुशिल कुमार जीवनी - Biography of Sushil Kumar in Hindi Jivani Published By : Jivani.org सुशील कुमार भारत के एक कुश्ती पहलवान हैं जो 2012 के लंदन ओलंपिक में रजत पदक, 2008 के बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर लगातार दो ओलम्पिक मुकाबलों में व्यक्तिगत पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने। २००८ ओलम्पिक में 66 किग्रा फ्रीस्टाइल में कजाखिस्तान के लियोनिड स्प्रिडोनोव को हरा कांस्य पदक जीत कर उन्होंने ५६ साल बाद १९५२ के इतिहास को एक बार फिर से दोहराया जब यह पदक महाराष्ट्र के खशाबा जाधव ने जीता था। सुशील, सतपाल पहलवान के शिष्य हैं। सुशील कुमार के लिए दिल्ली सरकार ने ५० लाख के इनाम की घोषणा की जबकि रेलवे ने ५५ लाख और हरियाणा सरकार ने २५ लाख के इनाम की घोषणा की है। 2010 तथा 2014 राष्ट्रमण्डल खेलों में इन्होंने स्वर्ण पदक प्राप्त किया। प्रारंभिक जीवन : सुशील कुमार का पूरा नाम सुशील कुमार सोलंकी हैं. उनका जन्म 26 मई, सन 1983 को हुआ. वे एक जाट परिवार से संबंध रखते हैं. वे साउथ वेस्ट दिल्ली में नजफगढ़ के पास बापरोला गाँव के निवासी हैं. सुशील के पिता दीवान सिंह, जो कि MTNL दिल्ली में ड्राइवर हैं और माता कमला देवी गृहिणी हैं. सुशील के परिवार में ही उनके पिता और उनके कजिन संदीप रेसलर रह चुके हैं और उन्हें देखकर ही वे अपने रेसलिंग करियर के प्रति जागरूक हुए और इस ओर उनका रुझान बढ़ा. परन्तु बाद में उनके कजिन संदीप ने रेसलिंग छोड़ दी थी क्योंकि परिवार वित्तीय स्तर पर एक ही रेसलर को सपोर्ट कर सकता था. सुशील ने मात्र 14 वर्ष की उम्र में छत्रसाल स्टेडियम में पहलवानी रेसलिंग सीखी, यह उन्होंने अखाड़े [रेसलिंग स्कूल] में सीखी थी. इस समय उन्होंने कम वित्तीय सहायता में और सामान्य ट्रेनिंग फैसिलिटी में भी अपना कौशल बढ़ाया. वे एक फ्री स्टाइल रेसलर बने. इस दौरान उनके परिवार ने इस बात का पूरा ध्यान रखा कि उनके खानपान में किसी भी प्रकार की कमी न हो और उन्हें पूर्ण पोषण मिले. सुशील पूर्णतः शाकाहारी हैं, वे पोषण के लिए किसी भी प्रकार के मांसाहार को ग्रहण नहीं करते. उन्होंने अपने अब तक के करियर में अनेकों प्रतियोगिताएं जीती और देश के नाम कई मैडल कराकर हमें गौरवान्वित किया हैं. वर्तमान में सुशील भारतीय रेल्वे में असिस्टेंट कमर्शियल मेनेजेरिअल के पद पर कार्यरत हैं. दिल्ली के ही छोटे से गाँव बपरोला में पैदा हुए है और अपने तीनो भाईयों में सबसे बड़े है और उनके अनुसार वो कुश्ती के लिए अपने छोटे भाई संदीप और अपने पापा से inspire हुए जो कि खुद एक पहलवान थे और चूँकि परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी इसलिए संदीप ने बाद में पहलवानी को अलविदा कह दिया क्योंकि limited resources के चलते परिवार केवल एक ही पहलवान के लिए आर्थिक मदद मुहैया करवा सकता था इस वजह से संदीप ने अपने करियर को sushil kumar के लिए छोड़ दिया और आज अगर देखें तो उनके इस फैसले में Sushil Kumar के लिए सफलता का रास्ता खोल दिया और उन्हें आज इस बाद पर और shushil पर नाज होता होगा | सुशील के पिता एक बस ड्राईवर थे और माँ एक साधारण गृहिणी | shushil के धार्मिक नजरिये पर बात करें तो वो एकदम hindu है और इसी वजह से वो केवल शाकाहार खाना पसंद करते है उनकी बचपन से training दिल्ली में ही उनके गुरु पहलवान सतपाल के पास हुई है और वो अपने गुरु को बहुत मानते है और खास बात ये है कि उनकी शादी भी अपने गुरु की बेटी सावी से बाद में हुई जिसके बाद लन्दन में होने वाले ओलंपिक में shushil ने सफलता हासिल की | shushil बताते है कि 14 साल की उम्र में ही उनकी training शुरू हो गयी थी जो दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में हुआ करती थी | सुशील ने २००६ में दोहा एशियाई खेलों में काँस्य पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का पहला परिचय दिया था। दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में प्रतिदिन सुबह पाँच बजे से कुश्ती के दाँवपेच सीखने वाले अर्जुन पुरस्कार विजेता सुशील ने अगले ही साल मई २००७ में सीनियर एशियाई चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता और फिर कनाडा में आयोजित राष्ट्रमंडल कुश्ती प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल किया। अज़रबैजान में हुई विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में वे हालाँकि आठवें स्थान पर पिछड़ गए थे लेकिन उसने यहीं से बीजिंग ओलिम्पिक खेलों के लिए क्वालीफाई कर लिया था। ओलिम्पिक खेलों के लिए पटियाला के राष्ट्रीय क्रीड़ा संस्थान में विदेशी कोच से ट्रेनिंग लेने वाले सुशील ने इस साल कोरिया में आयोजित सीनियर एशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप में काँस्य पदक जीता था। पहलवान सुशील कुमार का रियो ओलिंपिक में खेलना का सपना टूट गया। 74 किलोग्राम वर्ग में नरसिंह यादव के खिलाफ़ ट्रायल की उनकी अर्ज़ी कोर्ट ने खारिज कर दी। इसी के साथ दिल्ली हाई कोर्ट ने नरसिंह यादव के रियो जाने का रास्ता साफ़ कर दिया है। सुशील ने दिल्ली हाई कोर्ट से गुराह लगाई थी कि रियो ओलिंपिक में जाने के लिए ट्रायल कराए जाएं और उनमें और नरसिंह में जो जीतेगा उसे ही रियो भेजा जाए लेकिन जज ने ट्रायल की सुशील की मांग को ठुकरा दिया। इस पूरे मामले में अदालत ने भारतीय कुश्ती संघ की राय मांगी थी और संघ ने भी ट्रायल्स न कराने की बात कही थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को पिछली सुनवाई में साफ संकेत दिये थे कि वह भारतीय कुश्ती महासंघ के पक्ष में फैसला सुनाएगा। न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा था कि समस्या यह है कि खेल आचार संहिता में कही नहीं लिखा है कि ट्रायल अनिवार्य है। इसने महासंघ को चयन प्रक्रिया तय करने की छूट दी है। नरसिंह ने पिछले साल लास वेगास में विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतकर भारत के लिये कोटा हासिल किया था। महासंघ का भी कहना है कि नरसिंह को ही भेजा जाएगा चूंकि कोटा उसे मिला है। वहीं सुशील ने चयन ट्रायल की मांग कर रखी है। ओलिम्पिक में व्यक्तिगत स्पर्धा में दो बार पदक जीतने वाले सुशील कुमार भारत के एकमात्र खिलाड़ी हैं और अब उनका लक्ष्य ओलिम्पिक में स्वर्ण पदक जीतने पर है। सुशील ने बीजिंग ओलिम्पिक-2008 में जहां कांस्य पदक हासिल किया, वहीं अगले ही लंदन ओलिम्पिक-2012 में एक कदम आगे बढ़ते हुए उन्होंने रजत पदक पर कब्जा जमाया। ओलिम्पिक में सुशील ने यह दोनों पदक हालांकि 66 किलोग्राम भारवर्ग में जीते हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय ओलिम्पिक संघ (आईओए) ने पिछले वर्ष कुश्ती में नए भारवर्ग लागू करते हुए इस भारवर्ग को हटा दिया। सुशील अब नए भारवर्ग (74 किलोग्राम) के तहत हिस्सा लेते हैं, तथा ग्लासगो में जीता गया स्वर्ण पदक नए भारवर्ग के तहत दूसरा अंतरराष्ट्रीय पदक है। लेकिन इसे उनके पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित पदक के रूप में देखा जा रहा है। सुशील ने पाकिस्तानी पहलवान कमर अब्बास को फाइनल मुकाबले में मात्र एक मिनट 47 सेकेंड में पटखनी देकर राष्ट्रमंडल खेल-2014 में स्वर्ण पदक हासिल किया। देवास में 61वें राष्ट्रीय शालेय खेल के समापन समारोह में पहुंचे सुशील कुमार ने असहिष्णुता से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा कि इस तरह अवार्ड लौटाना ठीक नहीं हैं. किसी भी अवार्ड को बड़े सम्मान के साथ दिया जाता है. उन्होंने कहा कि अवार्ड के पीछे कड़ी मेहनत छुपी होती है. यदि विरोध करना है तो इसे जाहिर करने के दूसरे तरीके भी है. उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि सरकार खेलों के प्रति गंभीर है. सरकार यहां खिलाड़ियों को कई सुविधाएं भी देती हैं. एक अन्य सवाल के जवाब में ओलंपिक पदक विजेता पहलवान ने कुश्ती को एक तपस्या बताया है. साथ ही उन्होंने कहा कि हर माता-पिता से अपने बच्चों को खेल से जोड़ना चाहिए. दो बार के ओलंपिक पदक विजेता और भारत के सितारा पहलवान सुशील कुमार गुरुवार को एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने इन्दौर भी पहुंचे थे. इस दौरान सुशील कुमार ने कहा कि अगले साल होने वाले ओलंपिक में उनका लक्ष्य गोल्ड मेडल जीतना है. स्पोर्ट्स डेस्क. दुनिया के सबसे मशहूर रेसलिंग प्लैटफॉर्म WWE में द ग्रेट खली के बाद अब जल्द ही सुशील कुमार नजर आ सकते हैं। भारत में WWE के लिए व्यूअर्स का सबसे बड़ा मार्केट है। इसी को ध्यान रखते हुए WWE बिजनेस फैलाने के मूड में है और देश के बड़े पहलवानों में से एक सुशील कुमार को साइन कर सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, WWE के टैलेंट डेवलपमेंट हेड कैनियन केमैन जल्द ही सुशील कुमार से मुलाकात करेंगे। इस दौरान सुशील के प्रोफेशनल रेसलर बनने पर उनकी राय ली जा सकती है। रियो ओलिंपिक के दल में शामिल नहीं किए जाने से नाराज सुशील ये बड़ा फैसला ले सकते हैं। द ग्रेट खली के WWE छोड़ने के बाद पिछले साल 2 भारतीय रेसलर लवप्रीत सांघा और सतेंद्र वेदपाल को साइन किया गया था। प्रैक्टिस : सुबह प्रैक्टिस से पहले या फिर बीच में सुशील 150 से 200 ग्राम मक्खन लेते हैं। ज्यादा गर्मी हो तो ग्लूकोज़ भी ले ले लेते हैं। 200 ग्राम बादाम गिरी। दूध सुबह और शाम मिलाकर 2 से ढाई किलो के करीब। दोपहर में तीन रोटी और मक्खन, सलाद और सीज़नल फल लेते हैं। सुबह शाम दो-दो ग्लास फलों का जूस। अपने वजन पर कंट्रोल रखने के लिए अपनी डायट पर बहुत ध्यान रखना पड़ता है। सुबह डेढ़ घंटे और शाम को तीन घंटे प्रैक्टिस करते हैं। सप्ताह में तीन दिन फुटबॉल, बॉस्केटबॉल, वॉलिबॉल या हैंडबॉल खेलते हैं। वह फुटबॉल और बॉस्केटबॉल के बेहतरीन खिलाड़ी हैं। फुटबॉल खेलते देख कर आप कह सकते हैं कि किसी स्टार खिलाड़ी से वह कम नहीं हैं। उनकी शूटिंग, बॉल कंट्रोल और स्पीड देख कर आप कह सकेंगे कि उन्हें नैशनल टीम में होना चाहिए। वह हमेशा खुशमिजाज और टेंशन फ्री रहते हैं। रागिनी और लोकगीत उन्हें बहुत पसंद हैं। वह खुद भी गुनगुनाते रहते हैं। मां के हाथ का बनाया हुआ मक्खन तो उन्हें बहुत पसंद है। फिल्म देखने का उन्हें शौक नहीं हैं। वह पूरी तरह कुश्ती को समर्पित हैं। खाली समय में लैपटॉप पर अपनी कुश्तियों को देख कर अपनी गलतियों की ओर ध्यान देते हैं। साथ ही दुनिया के स्टार पहलवानों की तकनीक और स्टाइल को स्टडी करते हैं। ( 13 ) 8 Votes have rated this Naukri. 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