पी वी सिंधु जीवनी - Biography of PV Sindhu in Hindi Jivani Published By : Jivani.org पुसरला वेंकट सिंधु एक विश्व वरीयता प्राप्त भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी हैं तथा भारत की ओर से ओलम्पिक खेलों में महिला एकल बैडमिंटन का रजत पदक जीतने वाली वे पहली खिलाड़ी हैं।वे एक भारतीय जाट परिवार से है। इससे पहले वे भारत की नैशनल चैम्पियन भी रह चुकी हैं। सिंधु ने नवंबर 2016 में चीन ऑपन का खिताब अपने नाम किया है। अंतरराष्ट्रीय सर्किट में, सिंधु कोलंबो में आयोजित 2009 सब जूनियर एशियाई बैडमिंटन चैंपियनशिप में कांस्य पदक विजेता रही हैं। उसके बाद उन्होने वर्ष-2010 में ईरान फज्र इंटरनेशनल बैडमिंटन चैलेंज के एकल वर्ग में रजत पदक जीता। वे इसी वर्ष मेक्सिको में आयोजित जूनियर विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल तक पहुंची। 2010 के थॉमस और उबर कप के दौरान वे भारत की राष्ट्रीय टीम की सदस्य रही। प्रारंभिक जीवन : पुरसला वेंकटा सिन्धु का जन्म एक तेलगु परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम पी.वी. रमण और माता का नाम पी. विजया था – दोनों ही माजी वॉलीबॉल खिलाडी थे। 2000 में रमण को अपने खेल के लिये अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था। जब सिन्धु के माता-पिता प्रोफेशनल वॉलीबॉल खेल रहे थे तभी सिन्धु ने बैडमिंटन खेलने का निर्णय लिया और अपनी सफलता की प्रेरणा सिन्धु ने 2001 में ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियन में पुल्लेला गोपीचंद से ली। असल में सिन्धु ने 8 साल की उम्र से ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था। पी. व्ही. सिन्धु ने पहले महबूब अली के प्रशिक्षण में इस खेल की मुलभुत जानकारियाँ हासिल की और सिकंदराबाद के भारतीय रेल्वे के इंस्टिट्यूट में ही उन्होंने अपने प्रशिक्षण की शुरुवात की। इसके तुरंत बाद सिन्धु पुल्लेला गोपीचंद बैडमिंटन अकैडमी में शामिल हो गई। सिन्धु जब अपने करियर को बना रही थी तभी द हिन्दू के एक लेखक ने लिखा था की : पी. व्ही. सिन्धु P V Sindhu के घर से उनके प्रशिक्षण लेने की जगह तक़रीबन 56 किलोमीटर दूर थी, लेकिन यह उनकी अपार इच्छा और जीतने की चाह ही थी जिसके लिये उन्होंने कठिन परिश्रम किया था। अपने कठिन परिश्रम की बदौलत ही आज वह एक सफल बैडमिंटन खिलाडी बन पाई। सिंधु की मां भी एक वालीबॉल खिलाड़ी हैं और उनकी इच्छा थी कि उनकी बेटी भी इस खेल को अपनाये और उनके सपनों को पूरा करे। लेकिन सिंधु जब 6 वर्ष की थी, उस समय एक बड़ी घटना घटी। उस वर्ष भारत के शीर्ष बैडमंटन खिलाडी पुलेला गोपीचंद ने ऑन इंग्लैण्ड ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप जीती। इससे सिंधु इतनी उत्साहित हुई कि उसने भी बैडमिंटन को अपने कैरियर बनाने का निश्चय कर लिया। सिंधु ने 8 वर्ष की उम्र से बैडमिंटन का प्रशिक्षण लेना शुरू किया। तब उसके गुरू बने महबूब अली। वे सिकंदराबाद में इंडियन रेलवे सिग्नल इंजीनियरिंग थे और बैडमिंटन का प्रशिक्षण दिया करते थे। महबूब अली सिंधु की प्रतिभा देखकर बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने सिंधु के मां-बाप से कहा था कि यह लड़की एक दिन सारे विश्व में आपका नाम रौशन करेगी। राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा (राष्ट्रीय चैंपियन का खिताब) की चमक बिखेरने के बाद 5 फ़ुट 10 इंच (1.78 मी) हाइट वाली सिंधु ने वर्ष 2009 में सिंधु ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने दमखम का परिचय दिया। उन्होंने 2009 में कोलंबों में आयोजित सब जूनियर एशियाई बैडमिंटन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। इसके बाद सन 2010 में इन्होंने ईरान फज्र इंटरनेशनल बैडमिंटन चैलेंज के एकल वर्ग में भी रजत पदक जीता। इसी वर्ष मेक्सिको में आयोजित जूनियर विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप और थॉमस और यूबर कप में भी भारत की ओर से खेलीं और साहसिक प्रदर्शन किया। राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा (राष्ट्रीय चैंपियन का खिताब) की चमक बिखेरने के बाद 5 फ़ुट 10 इंच (1.78 मी) हाइट वाली सिंधु ने वर्ष 2009 में सिंधु ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने दमखम का परिचय दिया। उन्होंने 2009 में कोलंबों में आयोजित सब जूनियर एशियाई बैडमिंटन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। इसके बाद सन 2010 में इन्होंने ईरान फज्र इंटरनेशनल बैडमिंटन चैलेंज के एकल वर्ग में भी रजत पदक जीता। इसी वर्ष मेक्सिको में आयोजित जूनियर विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप और थॉमस और यूबर कप में भी भारत की ओर से खेलीं और साहसिक प्रदर्शन किया। पी वी सिंधु (P.V. Sindhu) सोशल मीडिया में भी एक्टिव हैं. उनका ट्विटर Twitter & फेसबुक Facebook में अकाउंट है . Twitter पे उनके करीबन 2.24 लाख follower’s हैं. फेसबुक पे उनके पेज – ‘ पी. वी सिंधु पर 9.5 लाख likes है . इसके अलावा इंस्टाग्राम Instagram पर उनके 2 लाख से ज़्यादा followers हैं जो ओलंपिक्स के बाद उनके भड़ते भरपूर लोकप्रियता को दर्शाता है . उनमे से कुछ जाने माने राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय खिलाडी , पत्रकार और हस्तियां भी है . इस बार के ओलंपिक्स में भारत से 117 प्रतिभागियों ने 67 आयोजन में भाग्य लिया था. हाला की भारत को इस बार ओलंपिक्स में ज़्यादा कामयाबी हासिल नहीं हुई, पर सिंधु , दीप कर्मकार और साक्षि मलिक जैसे खिलाड़ियों ने भारत का सर अंतराष्ट्रीय स्तर पर ऊँचा किया . उन्होंने भारतीय महिलाओं का मनोबल बढ़ाया और आगे जीतने की इच्छा शक्ति दी . फ़ाइनल मैच रियोसेंटर पवेलियन के कोर्ट 1 पर खेला गया। महिला एकल के इस फ़ाइनल मैच में सिंधु को विश्व की नंबर एक शटलर स्पेन की कैरोलिना मरीन से 21-19, 12-21, 15-21 से शिकस्त झेलनी पड़ी। सिंधु ने ख़राब नहीं खेला, लेकिन मरीन ने अपना सर्वश्रेष्ठ देकर स्वर्ण पदक हासिल किया और सिंधु को रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा। सिंधु भले ही यह मैच नहीं जीत सकीं, लेकिन उन्होंने करोड़ों भारतीयों का दिल जीता। पहली बार ओलम्पिक खेल रही पी. वी. सिंधु ने फ़ाइनल मैच के दबाव में शानदार प्रदर्शन किया और दिग्गज शटलर को पूरे समय चिंतित रखा। उन्होंने पहले गेम के मध्यकाल तक 6-11 से पिछड़ने के बाद दमदार वापसी की और पहला गेम 21-19 से जीता। सिंधु के पहला गेम जीतने पर कैरोलिना मरीन पूरी तरह हैरान रह गईं। सिंधु ने ग़ज़ब के हाफ स्मैश और ड्रॉप शॉट खेले। उन्होंने मरीन को बैक लाइन पर भेजकर काफ़ी परेशान किया और पहला गेम अपने नाम किया। खास बातें : • पुसरला वेंकटा सिंधु (पी सिंधु) का जन्म 5 जुलाई 1995 को हुआ। उनकी शिक्षा गुंटुर में हुई है। • पी सिंधु हैदराबाद में गोपीचंद बैडमिंटन एकेडमी में ट्रेनिंग लेती हैं और उन्हें 'ओलंपिक गोल्ड क्वेस्ट' नाम की एक नॉन-प्रोफिट संस्था सपोर्ट करती है। • 10 अगस्त 2013 में सिंधु ऐसी पहली भारतीय महिला बनीं जिसने वर्ल्ड चैंपियनशिप्स में मेडल जीता था। • 2015 में सिंधु को भारत के चौथे उच्चतम नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया। • 2012 में पी सिंधु ने बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन की टॉप 20 रैंकिंग में जगह बनाई। • पी सिंधु के पिता रामना स्वयं अर्जुन अवार्ड विजेता हैं। रामना भारतीय वॉलीबॉल का हिस्सा रह चुके हैं। • सिंधु ने अपने पिता के खेल वॉलीबॉल के बजाय बैडमिंटन इसलिए चुना क्योंकि वे पुलेला गोपीचंद को अपना आदर्श मानती हैं। सौभाग्य से वही उनके कोच भी हैं। • पी सिंधु ने आठ वर्ष की उम्र से बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था। • पुलेला गोपीचंद ने पी सिंधु की तारीफ करते हुए कहा कि उनके खेल की खास बात उनका एटीट्यूड और कभी न खत्म होने वाला जज्बा है। • 2014 में सिंधु ने एफआईसीसीआई ब्रेकथ्रू स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ दि इयर 2014 और एनडीटीवी इंडियन ऑफ दि इयर 2014 का अवार्ड जीता। • सिंधु महबूब अली के मार्गदर्शन में सिकंदराबाद में भारतीय रेलवे संस्थान में खेल की मूल बातें सीखा है। बाद में वह पुलेला गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी में शामिल हो गयी और वर्तमान में वे ही पी वी सिंधु के कोच हैं एवं वे ही भारतीय बैडमिंटन टीम के मुख्य कोच है। • सिंधु एक बहुत ही कठिन परिश्रमी एथलीट है।वह कठोर प्रशिक्षण कार्यक्रम का पालन करती हैं, वह हर सुबह 4.15 बजे बैडमिंटन का अभ्यास शुरू कर देती हैं। • वर्ष 2000 में उनके पिता पी वी रमण को राष्ट्रीय वॉलीबॉल के प्रति उनके योगदान के लिए अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। • उसका सबसे अच्छा प्रदर्शन 2012 ली निंग चीन मास्टर्स सुपर सीरीज प्रतियोगिता में आया जब वह चीन के 2012 लंदन ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता ली Xuerui पराजित को किया। • उन्हें 30 मार्च 2015 को वह भारत के 4 सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। • स्टार खिलाड़ी 2010 में ईरान फज्र इंटरनेशनल बैडमिंटन चैलेंज में महिला एकल में रजत जीता। • 7 जुलाई 2012, वह एशिया यूथ अंडर -19 चैम्पियनशिप जीत ली। • 2016 गुवाहाटी दक्षिण एशियाई खेलों (महिला टीम) में एक स्वर्ण पदक • 2013 और 2014 में लगातार विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक हासिल किया। सम्मान : • पद्म श्री, द यूथ हाईएस्ट सिविलियन अवार्ड ऑफ़ इंडिया [वर्ष 2015] • अर्जुन अवार्ड [2013] • FICCI ब्रेकथ्रू स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ़ द ईयर 2014 • NDTV इंडियन ऑफ़ द ईयर 2014 • वर्ष 2015 में मकाऊ ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतने के बाद बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया की ओर से 10 लाख रूपये दिए गये. • वर्ष 2015 में मकाऊ ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतने के बाद बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया की ओर से 10 लाख रूपये दिए गये. • ओलंपिक पार्टिसिपेंट के रूप में क्वालीफाई करने पर अभिनेता सल्मान खान की ओर से 1.01 लाख रूपये प्रदान किये गये इस प्रकार सिंधु ने विभिन्न प्रतियोगिताएं जीतकर स्वयं तो सफलता हासिल की ही हैं, साथ ही अपने देश भारत का नाम भी विश्व में रोशन किया हैं. हम उनकी सफलताओं के लिए बधाई देते हैं और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं. 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