दीपा मलिक जीवनी - Biography of Deepa Malik in Hindi Jivani Published By : Jivani.org दीपा मलिक (जन्म:30 सितंबर 1970), शॉटपुट एवं जेवलिन थ्रो के साथ-साथ तैराकी एवं मोटर रेसलिंग से जुड़ी एक विकलांग भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्होंने 2016 पैरालंपिक में शॉटपुट में रजत पदक जीतकर इतिहास रचा। 30 की उम्र में तीन ट्यूमर सर्जरीज और शरीर का निचला हिस्सा सुन्न हो जाने के बावजूद उन्होने न केवल शॉटपुट एवं ज्वलीन थ्रो में राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदक जीते हैं, बल्कि तैराकी एवं मोटर रेसलिंग में भी कई स्पर्धाओं में हिस्सा लिया है। उन्होने भारत की राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 33 स्वर्ण तथा 4 रजत पदक प्राप्त किये हैं। वे भारत की एक ऐसी पहली महिला है जिसे हिमालय कार रैली में आमंत्रित किया गया। वर्ष 2008 तथा 2009 में उन्होने यमुना नदी में तैराकी तथा स्पेशल बाइक सवारी में भाग लेकर दो बार लिम्का बूक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में अपना नाम दर्ज कराया। यही नहीं, सन् 2007 में उन्होने ताइवान तथा 2008 में बर्लिन में जवेलिन थ्रो तथा तैराकी में भाग लेकर रजत एवं कांस्य पदक प्राप्त किया। कोमनवेल्थ गेम्स की टीम में भी वे चयनित की गई। पैरालंपिक खेलों में उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों के कारण उन्हे भारत सरकार ने अर्जुन पुरस्कार प्रदान किया। रियो पैरालिंपिक खेल- 2016 में दीपा मलिक ने शॉट-पुट में रजत पदक जीता, दीपा ने 4.61 मीटर तक गोला फ़ेंका और दूसरे स्थान पर रहीं। पैरालिंपिक खेलों में मेडल जीतने वाली दीपा पहली भारतीय महिला बन गई हैं। दिग्गज खिलाड़ियों द्वारा सराहना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर प्रसिद्ध क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर और निशानेबाज़ अभिनव बिन्द्रा जैसे दिग्गज खिलाड़ियों ने इतिहास रचने वाली दीपा मलिक की जमकर प्रशंसा की है। दीपा पैरालंपिक खेलों में पदक जीतकर यह कारनामा करने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हो गई हैं। ट्यूमर की वजह से दीपा के 31 ऑपरेशन हुए थे दीपा के कमर से नीचे का हिस्सा लकवा से ग्रस्त है. वह सेना के अधिकारी की पत्नी और दो बच्चों की मां हैं. 17 साल पहले रीढ़ में ट्यूमर के कारण उनका चलना असंभव हो गया था, दीपा के 31 ऑपरेशन किए जिसके लिए उनकी कमर और पांव के बीच 183 टांके लगे थे. गोला फेंक के अलावा दीपा ने भाला फेंक, तैराकी में भाग लिया था. वह अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में तैराकी में पदक जीत चुकी है. भाला फेंक में उनके नाम पर एशियाई रिकॉर्ड है जबकि गोला फेंक और चक्का फेंक में उन्होंने 2011 में विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीते थे. दीपका का रजत पदक भारत का पैरालंपिक खेलों में तीसरा पदक है. उनसे मरियप्पन थांगवेलु और वरुण सिंह भाटी ने पुरूषों की उंची कूद में क्रमश: स्वर्ण और कांस्य पदक जीते थे. रिकॉर्ड्स (मुख्य) o अंतर्राष्ट्रीय खेलों में 18 पदक। o वर्ष 2016 के पैरालम्पिक खेलों में रजत पदक। पहली भारतीय महिला जिन्होंने पैरालम्पिक खेलों में मेडल (शॉट पुट) जीता। o वर्ष 2010 को चीन में हुए पैरा एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता। o वर्ष 2011 में, आईपीसी विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रजत पदक जीता। कैरियर टर्निंग प्वाइंट वर्ष 2011 विश्व चैंपियनशिप में, जब उन्होंने शॉट पुट में रजत पदक जीता रोचक जानकारियाँ o वह हरियाणा के सोनीपत जिले में एक हिंदू जाट परिवार में पैदा हुई थीं। o वर्ष 1999 में, उन्हें पता चला कि उनके रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर और जिसकी वजह से वह चल नहीं सकती। रीढ़ की हड्डी का ट्यूमर ठीक करने के लिए उनकी 31 सर्जरी करनी पड़ी। o उन्हें अपनी कमर के नीचे का कोई अंग महसूस नहीं होता। o वह भाला फेंक खेल में एशियाई रिकॉर्ड रखती हैं। o उन्होंने विभिन्न साहसिक खेलों में भाग लिया है और उन सब में पुरस्कार प्राप्त किया है। o दीपा एक उत्साही मोटर-बाइकर हैं। उन्होंने 8 दिनों में 1700 किमी मोटरसाइकिल चलाई है, और वह भी शून्य तापमान वाले परिस्थियों में। o गोस्पोर्ट्स फाउंडेशन पैरा चैंपियंस कार्यक्रम में उनका समर्थन करती है। o दीपा मलिक 12 वीं पंचवर्षीय योजना (2012-2017) में शारीरिक शिक्षा और खेल कार्यरत समूह की सदस्य भी रही हैं। o वर्ष 2012 में, भारत सरकार ने उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया। o 12 सितंबर 2016 को, उन्होंने रियो पैरालिंपिक में रजत पदक जीता और पैरालंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी। o वर्ष 2017 में, उन्हें प्रतिष्ठित पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उपलब्धियाँ o 36 की उम्र में तीन ट्यूमर सर्जरीज और शरीर का निचला हिस्सा सुन्न हो जाने के बावजूद दीपा मलिक ने न केवल शॉटपुट एवं जेबलिन थ्रो में राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदक जीते हैं, बल्कि तैराकी एवं मोटर रेसलिंग में भी कई स्पर्धाओं में हिस्सा लिया है। o दीपा मलिक ने भारत की राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 33 स्वर्ण तथा 4 रजत पदक प्राप्त किये हैं। o वे भारत की एक ऐसी पहली महिला हैंं, जिसे हिमालय कार रैली में आमंत्रित किया गया। o वर्ष 2008 तथा 2009 में उन्होंंने यमुना नदी में तैराकी तथा स्पेशल बाइक सवारी में भाग लेकर दो बार लिम्का बूक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में अपना नाम दर्ज कराया। o सन 2007 में उन्होने ताइवान तथा 2008 में बर्लिन में जेबलिन थ्रो तथा तैराकी में भाग लेकर रजत एवं कांस्य पदक प्राप्त किया। o कोमनवेल्थ गेम्स की टीम में भी दीपा मलिक चयनित की गईंं। o पैरालंपिक खेलों में उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों के कारण उन्हेंं भारत सरकार ने 'अर्जुन पुरस्कार' प्रदान किया। ( 13 ) 32 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 2