हेलेन एडम्स केलर जीवनी – Biography of Helen Keller in Hindi Jivani Published By : Jivani.org हेलेन एडम्स केलर (27 जून 1880 - 1 जून 1968) एक अमेरिकी लेखक, राजनीतिक कार्यकर्ता और आचार्य थीं। वह कला स्नातक की उपाधि अर्जित करने वाली पहली बधिर और दृष्टिहीन थी। ऐनी सुलेवन के प्रशिक्षण में ६ वर्ष की अवस्था से शुरु हुए ४९ वर्षों के साथ में हेलेन सक्रियता और सफलता की ऊंचाइयों तक पहुँची। ऐनी और हेलेन की चमत्कार लगने वाले कहानी ने अनेक फिल्मकारों को आकर्षित किया। हिंदी में २००५ में संजय लीला भंसाली ने इसी कथानक को आधार बनाकर थोड़ा परिवर्तन करते हुए ब्लैक फिल्म बनाई। हेलन केलर जन्म के कुछ महीनों बाद ही वो बिमार हो गये और उस बिमारी में उनकी नजर, जबान और सुनने की शक्ती गयी. पर उनके माता पिता ने उन्हें पढ़नें का निश्चय किया और शिक्षक ढूढने लगे और नशिब से अॅनी सुलिव्हान इस टिचर ने हेलन केलर इन्हें शिक्षा दी. पहले ‘मॅन्युअल अल्फाबेट’ के तरीके से हेलन केलर अक्षर पढ़ने लगी. आगे हेलन ब्रेल पढ़ने लगी. लेकीन उनकी चाहत इतनीही नहीं थी. उन्हें बाकी के सामान्य बच्चों के साथ पढ़ने की इच्छा थी. उस वजह से उच्च पढाई के लिये उन्होंने विश्वविद्यालय में दाखिला लिया. बोर्ड के उपर की Diagram नहीं दिखना, ब्रेल लिपी में सभी किताबे नहीं होना इन जैसे कठिनाई को पार करके उन्होंने अपनी पढाई जारी रखी और वो स्नातक हुयी. आगे समाज सेवा का व्रत आत्मसात करके खुद पर आये वैसी कठिनाईयी बाकी के स्नातक व्यक्ती के सामने न आ सके इसलिये हेलन केलर हमेशा प्रयोगशील और कोशिश में रहे. लिखाण और भाषण के माध्यम से दृष्टिहीन लोगो के सवालो के लिये लोकमत जागृत करने का उन्होंने हमेशा प्रयास किया. हेलन केलर इनको लगता था की, विकलांग बच्चों को दुसरो पर Dependant न रखके उन्हें शिक्षा देनी चाहिये. हात के उंगली में भी कितना कौशल होता है, इसकी पहचान उन्हें होनी चाहिये. मई, १८८८ में हेलेन पर्किन्स दृष्टिबाधितार्थ संस्थान (पर्किंस इंस्टिट्यूट फॉर द ब्लाइंड) में दाखिल हुई। १८९४ में, वह अपनी सहायिका ऐनी सुलिवान के साथ राइट-ह्यूमेसन मूक-बधितार्थ विद्यालय में दाखिल होने के लिए और होरेस मैन बधितार्थ विद्यालय की सारा फुलर से सीखने के लिए न्युयार्क चली आई। १८९६ में, वे मैसाचुसेट्स लौट गईं। वहाँ केलर ने कैंब्रिज स्कूल फॉर यंग लेडी में और फिर १९०० में रैडक्लिफ कॉलेज में प्रवेश लिया, जहां वे ब्रिग्स हॉल, दक्षिण हाउस में रहती थीं। २४ वर्ष की अवस्था में १९०४ में कला स्नातक की डिग्री हासिल करने वाली वह पहली दृष्टिबाधित-बधिर बनीं। ऑस्ट्रिया के दार्शनिक और शिक्षाविशारद विल्हेम यरूशलेम के साथ उनका पत्राचार चलता रहा जिन्होंने पहले-पहल हेलेन की साहित्यिक प्रतिभा को पहचाना। दूसरों के साथ पारंपरिक संवाद संभव करने के लिए प्रतिबद्ध हेलेन ने ने बातचीत करना सीखा और बाद में उनके जीवन का अधिकांश समय भाषण और व्याख्यानों में बीता। होठों को स्पर्श कर लोगों की बात समझने का हुनर सीखना उनकी अद्भुत स्पर्श क्षमता का प्रमाण था। केलर ने ब्रेल तथा हाथों के स्पर्श से सांकेतिक भाषा समझने में भी महारथ हासिल कर ली थी। हेलन (Helen Keller) ने पुरे छ: साल तक वहा ब्रेल सीखी | अब वह एक बुद्धिमती युवती थी जिसकी महत्वकान्शाये असीम थी | न्यूयार्क के राईट-हमसन स्कूल फॉर डीप में हेलन ने संकेत भाषा सीखी और फिर 1904 में रेडक्लिफ कॉलेज से स्नातक की उपाधि ली | फिर हेलन ने एक पुस्तक लिखी “The Story of My Life” पुस्तक इतनी चर्चित रही कि उन्होंने उसकी आय से एक घर खरीदा | वे एक धार्मिक युवती थी उन्होंने महिलाओं के समान अधिकारों के लिए भी आवाज उठाई | वे पुरे देश का भ्रमण करके लोगो को अपनी कहानी बताती ताकि वे भी दुखो से लड़ने की प्रेरणा पा सके |1968 में उनका निधन हो गया किन्तु आज भी वे कितने लोगो की प्रेरणा स्त्रोत है | उनकी मृत्यु के बाद उनके जीवन पर कई नाटक तथा फिल्मे बनाई गयी है | Helen Keller हेलन ने ब्रेल लिपि में कई पुस्तके लिखी थी | अनेक का अनुवाद भी किया था | हेलन का कहना था कि “ईश्वर एक दरवाजा बंद कर देता है तो दूसरा खोल देता है पर हम उस बंद दरवाजे की ओर टकटकी लगाये बैठे रहते है दुसरे खुले दरवाजे की तरफ हमारी नजर ही नही जाती है ” | हेलेन की कृतियों ने साबित कर दिया था कि शरीर की अपंगता उसके पढने , लिखने , बोलने और खेलने में बाधक नही हो सकती है | आलस्य और निराशा के कारण ही कोई बच्चा आगे नही बढ़ पाता है | हर बच्चा लगन , परिश्रम और साहस से जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है | 1 जून 1968 को हेलन Helen Keller इस दुनिया से चली गयी | उन्होंने अपने कार्यो से इस संसार में नाम कमाया | उन्होंने अपंगो को सहारा दिया जिससे उनके अंदर आशा और विश्वास जगी रही थी | सारा संसार आज भी उन्हें याद करता है | हेलन से एक बार [पूछा गया कि “नेत्रहीन होने से भी बड़ा बुरा क्या हो सकता है ” तब उन्होंने कहा था “लक्ष्यहीन होना दृष्टिहीन होने से बुरा है यदि आपको लक्ष्य का पता नही है तो आप कुछ नही कर सकते है ” | Helen Keller हेलन ने कहा था “साहस ही जीवन है अन्यथा कुछ भी नही “ ( 10 ) 1 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 5