के. कामराज जीवनी - Biography of K. Kamaraj in Hindi Jivani Published By : Jivani.org के. कामराज या कुमारास्वामी कामराज (15 जुलाई 1903 - 2 अक्टूबर 1975) भारत के राज्य तमिलनाडु के प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ थे। उनका जन्म विरुधुनगर, मदुरै, तमिलनाडु में हुआ था। भारत के 2 प्रधानमंत्री, लालबहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी के चुनावों में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। के कामराज ‘नाडर जाति’ से उठकर मद्रास, बाद में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और ‘कांग्रेस पार्टी’ के अध्यक्ष बने। तमिलनाडु की राजनीति में बिल्कुल निचले स्तर से अपना राजनीतिक जीवन शुरू कर देश के दो प्रधानमंत्री चुनने में महत्वूपर्ण भूमिका निभाने के कारण 'किंगमेकर' कहे जाने वाले के कामराज साठ के दशक में ‘कांग्रेस संगठन’ में सुधार के लिए कामराज योजना प्रस्तुत करने के कारण विख्यात हुए। कामराज (K. Kamaraj) का जन्म जुलाई 1903 में जब धुर दक्षिण के एक छोटे से पिछड़े गाँव विरुद पट्टी में हुआ तो ग्रह-नक्षत्र देखकर ज्योतिषियों ने कहा था कि बालक कामराज (K. Kamaraj) की कीर्ति सूर्य के समान चमकेगी | निश्चय ही उनकी माँ श्रीमती शिवकामी और दादी पार्वती अम्मल ने सोचा होगा कि ज्योतिषी लोग ऐसी बाते तो माता-पिता को प्रसन्न करने के लिए बालको के संबध में कह दिया करते है पर उन्हें क्या पता था कि सचमुच वह एक दिन भारत में सूर्य के समान चमकेगा और भारतीय इतिहास में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा और “किंगमेकर” के रूप में प्रसिद्ध होगा | विरुद पट्टी बहुत छोटा सा गाँव है और वहा के रहने वाल किसान बहुत पिछड़े हुए थे | वहा के लोग ताड़ी बनाने का धंधा करके अपना पेट भरते थे | इनके पिता श्री नतत्न मायकार कुदुमबम्ब इस गाँव के मुखिया थे | मुखिया होने के नाते गाँव की प्रत्येक समस्या उन्हें ही सुलझानी पडती थी परन्तु कुदमबम्ब को क्या पता था कि जिस प्रकार वह गाँव की छोटी -मोटी समस्याओ को सुलझाता है उसके बेटे को भारत की बड़ी बड़ी समस्याए सुलझानी होंगी | प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल जी की मृत्यु के बाद भारत को नया प्रधानमंत्री खोजने की समस्या आयी तो इसे सुलझाने कामराज (K. Kamaraj) ही सामने आये | 19 महीने बाद जब लाल बहादुर जी का निधन हुआ तब प्रधानमंत्री बनाने की गुत्थी उन्होंने ही सुलझाई | भारत की राजनीति में श्री कामराज (K. Kamaraj) ने अनेक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई | “कामराज प्लान” इनमे बहुत महत्व रखता है | उस समय कुछ स्थिति ऐसी हो गयी थी कि बहुत से नेता लगातार कई वर्षो से एक ही पद पर चले आ रहे थे | इससे जनता में असंतोष फ़ैल रहा था | कामराज ने साठ के दशक की शुरुआत में महसूस किया कि कांग्रेस की पकड़ कमजोर होती जा रही है। उन्होंने सुझाया कि पार्टी के बड़े नेता सरकार में अपने पदों से इस्तीफा दे दें और अपनी ऊर्जा कांग्रेस में नई जान फूंकने के लिए लगाएं। उनकी इस योजना के तहत उन्होंने खुद भी इस्तीफा दिया और लाल बहादुर शास्त्री, जगजीवन राम, मोरारजी देसाई तथा एसके पाटिल जैसे नेताओं ने भी सरकारी पद त्याग दिए। यही योजना कामराज प्लान के नाम से विख्यात हुई। कहा जाता है कि कामराज प्लान की बदौलत वह केंद्र की राजनीति में इतने मजबूत हो गए कि नेहरू के निधन के बाद शास्त्री और इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनवाने में उनकी भूमिका किंगमेकर की रही। वह तीन बार कांग्रेस अध्यक्ष भी रहे। उस योजना के अंतर्गत करीब आधे दर्जन केंद्रीय मंत्री और करीब इतने ही मुख्यमंत्रियों ने इस्तीफा दिया था। उस योजना का उद्देश्य था, बतौर पार्टी कांग्रेस को मजबूत करना। पर वास्तव में उसने नेहरू को अपनी नई टीम बनाने के लिए स्वतंत्र कर दिया था, जिसकी छवि 1962 के चीनी युद्ध के कारण धूमिल हुई थी। मुख्यमंत्री पद आज़ादी के बाद 13 अप्रैल 1954 को कामराज ने अनिच्छापूर्वक तमिलनाडु का मुख्यमंत्री पद स्वीकार किया और प्रदेश को एक ऐसा नेता मिल गया जो उनके लिए कई क्रांतिकारी क़दम उठाने वाला था। कामराज ने उनके नेतृत्व को चुनौती देते रहे सी. सुब्रह्मण्यम और एम. भक्तवात्सल्यम को कैबिनेट में शामिल कर सबको चौंका दिया। नेतृत्व क्षमता कामराज लगातार तीन बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने प्रदेश की साक्षरता दर, जो कभी सात प्रतिशत हुआ करती थी, को बढ़ाकर 37 प्रतिशत तक पहुंचा दिया। कामराज के लिए राज्यसभा सांसद डा. ई. एम. सुदर्शन नाचियप्पन ने कहा कि 'कामराज एक कद्दावर नेता थे। तमिलनाडु में हम उनकी नेतृत्व क्षमता और उनके कामों की बराबरी किसी और से नहीं कर सकते।' निम्न वर्ग का होने के कारण कामराज निचली जातियों और अछूत मतदाताओं को कांग्रेस की ओर आकर्षित करने में सफल रहे। उन्होंने अपने राज्य के लगभग सभी गाँवों में जाकर व्यक्तिगत संपर्क करने के अपने दृढ़ विश्वास को एक से अधिक बार रेखाकिंत किया। योगदान कामराज ने आज़ादी के बाद जन्मी तमिलनाडु की पीढ़ी के लिए बुनियादी संरचना मज़बूत की। कामराज ने शिक्षा क्षेत्र के लिए कई महत्त्वपूर्ण निर्णय किए। उन्होंने व्यवस्था की कि कोई भी गांव बिना प्राथमिक स्कूल के न रहे। उन्होंने निरक्षरता हटाने का प्रण किया और कक्षा 11वीं तक नि:शुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा लागू कर दी। वह स्कूलों में गरीब बच्चों को 'मध्याह्न भोजन' देने की योजना लेकर आए। डा. सुदर्शन कहते हैं कि शिक्षा क्षेत्र में बुनियादी काम के अलावा तमिलनाडु को उन्होंने एक और उपहार दिया था, वह स्कूली तथा उच्च शिक्षा में तमिल भाषा को एक माध्यम के तौर पर लेकर आए। उन्हीं के कार्यकाल के बाद से तमिलनाडु में बच्चे तमिल में शिक्षा हासिल कर सके। ( 10 ) 11 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 3