रघुनाथ मुर्मू जीवनी - Biography of Raghunath Murmu in Hindi Jivani Published By : Jivani.org रघुनाथ मुर्मू (4 मई 1905 - 1 फरवरी 1982) 1941 में जब रघुनाथ मुर्मू ने ‘ऑलचिकी’ (ओल लिपि) का अविष्कार किया और उसी में अपने नाटकों की रचना की, तब से आज तक वे एक बड़े सांस्कृतिक नेता और संताली के सामाजिक-सांस्कृतिक एकता के प्रतीक रहे हैं। उन्होंने 1977 में झाड़ग्राम के बेताकुन्दरीडाही ग्राम में एक संताली विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया था। मयूरभंज आदिवासी महासभा ने उन्हें गुरु गोमके (महान शिक्षक) की उपाधि प्रदान की। रांची के धुमकुरिया ने आदिवासी साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें डी. लिट्. प्रदान किया, जुलियस तिग्गा ने उन्हें महान अविष्कारक एवं नाटककार कहा और जयपाल सिंह मुण्डा ने उन्हें नृवैज्ञानिक और पंडित कहा। चारूलाल मुखर्जी ने उन्हें संतालियों के धर्मिक नेता कह कर संबोधित किया तथा प्रो. मार्टिन उराँव ने अपनी पुस्तक ‘दी संताल - ए ट्राईब इन सर्च ऑफ दी ग्रेट ट्रेडिशन’ में ऑलचिकी की प्रशंसा करते हुए उन्हें संतालियों का महान गुरु कह कर संबोधित किया। गुरु गोमके ने भाषा के माध्यम से सांस्कृतिक एकता के लिए लिपि के द्वारा जो आंदोलन चलाया वह ऐतिहासिक है। संताली भाषा व साहित्य के विकास के लिए भाषा या संस्कृति . स्क्रिप्ट पूंजी और के बाद से विकसित छोटे अक्षर दोनों अद्वितीय modern've है कौन सा OLCHIKI लिपि ( संताली वर्णमाला ) 1925 dully पर प्रकृति के साथ तुलना करें. (दिवस की व्यवस्था , तिथि , सप्ताह , महीना, वर्ष चाँद क्लिप के अनुसार उसकी GODDET कैलेंडर में आदि ) ( चंद्र वर्ष ) और Kherwal समुदाय में द्वारा सर्वसम्मति से स्वीकार किए जाते हैं अखिल भारतीय सम्मेलन फ़रवरी 1977 के महीने में बिस्तर Kundry "( पश्चिम बंगाल) में आयोजित किया . शुरुआत माह और बन कैलेंडर GODDET ' माघ ' के अनुसार माघ के पहले दिन के बाद " संताली नया साल " चाँद क्लिप बनें अन्य भारतीय आधुनिक भाषा विज्ञान की तरह लोकप्रिय ( माघ - Mulugh ) के रूप में जाना जाता है समुदाय . समान तैयार संकल्प से माननीय को प्रस्तुत किया गया था मुख्य अतिथि दुमका ( दोनों Santal परगना ) के रूप में अध्यक्ष जहाज Dubraj Tudu , देश परगना Paderkola , माननीय सांसद श्री शिबू सोरेन के तहत आयोजित कौन Kherwal समुदाय के बी Kundry अखिल भारतीय सम्मेलन के बाद Santal परगना क्षेत्र के एक समाजवादी और culturist के साथ ही आयोजक की तुलना में 1964 के बाद से पंजीकृत " दिया गया - कान्हू BAISY Hool " ( Bejha तुंग ) शुरू किया गया था जो देर Dhanai Kisku के नेतृत्व के तहत एक ही साल में ' ble प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई 1972 के बाद से राजनीतिक दल वर्तमान झामुमो ( झारखंड Mukhti मोर्चा ) उसके कारण कर्मचारियों की वजह से सम्मेलन में भाग नहीं किया गया था जब रघुनाथ मुर्मू ने ‘ऑलचिकी’ (ओल लिपि) का अविष्कार किया और उसी में अपने नाटकों की रचना की, तब से आज तक वे एक बड़े सांस्कृतिक नेता और संताली के सामाजिक-सांस्कृतिक एकता के प्रतीक रहे हैं। उन्होंने 1977 में झाड़ग्राम के बेताकुन्दरीडाही ग्राम में एक संताली विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया था। मयूरभंज आदिवासी महासभा ने उन्हें गुरु गोमके (महान शिक्षक) की उपाधि प्रदान की। रांची के धुमकुरिया ने आदिवासी साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें डी. लिट्. प्रदान किया, जुलियस तिग्गा ने उन्हें महान अविष्कारक एवं नाटककार कहा और जयपाल सिंह मुण्डा ने उन्हें नृवैज्ञानिक और पंडित कहा। चारूलाल मुखर्जी ने उन्हें संतालियों के धर्मिक नेता कह कर संबोधित किया तथा प्रो. मार्टिन उराँव ने अपनी पुस्तक ‘दी संताल - ए ट्राईब इन सर्च ऑफ दी ग्रेट ट्रेडिशन’ में ऑलचिकी की प्रशंसा करते हुए उन्हें संतालियों का महान गुरु कह कर संबोधित किया। गुरु गोमके ने भाषा के माध्यम से सांस्कृतिक एकता के लिए लिपि के द्वारा जो आंदोलन चलाया वह ऐतिहासिक है। उन्होंने कहा - "अगर आप अपनी भाषा - संस्कृती , लिपि और धर्म भूल जायेंगे तो आपका अस्तित्व भी ख़त्म हो जाएगा ! " पं. रघुनाथ मुर्मू : संतालियों के धर्मिक नेता 1905 में जन्में पंडित रघुनाथ मुर्मू को संताली समाज केका धार्मिक नेता का दर्जा प्राप्त है। संताल समाज के लोग उनकी तस्वीर अपने घरों में लगाते हैं और उनकी पूजा तक की जाती है। 1941 में जब रघुनाथ मुर्मू ने 'ओलचिकी' (ओल लिपि) का अविष्कार किया और उसी में अपने नाटकों की रचना की, तब से आज तक वे एक बड़े सास्कृतिक नेता के रूप में स्थापित हुए। मयूरभंज आदिवासी महासभा ने उन्हें गुरु गोमके (महान शिक्षक) की उपाधि प्रदान की थी। चारूलाल मुखर्जी ने उन्हें संतालियों के धर्मिक नेता कह कर संबोधित किया था तथा प्रो. मार्टिन उरांव ने अपनी पुस्तक 'दी संताल - ए ट्राइब इन सर्च ऑफ दी ग्रेट ट्रेडिशन' में ओलचिकी की प्रशसा करते हुए उन्हें संतालियों का महान गुरु कह कर संबोधित किया। गुरु गोमके ने भाषा के माध्यम से सास्कृतिक एकता के लिए लिपि के द्वारा जो आदोलन चलाया वह ऐतिहासिक माना जाता है। ( 6 ) 7 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 3