जोसेफ प्रिस्टले जीवनी - Biography of Joseph Priestley in Hindi Jivani Published By : Jivani.org यह हर कोई भली भाँती जानता है कि ऑक्सीजन सभी जीवित प्राणियों के लिए जीवनदायिनी है | इस गैस के आविष्कार अक श्रेय प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रीस्टले (Joseph Priestley) को जाता है | इन्होने इस गैस की खोज करके मानव जाति का बहुत बड़ा कल्याण किया है | प्रीस्टले (Joseph Priestley) ने यह भी पता लगाया कि कार्बनडाईऑक्साइड गैस को पानी के साथ मिलाया जा सकता है | उन्हें इस अविष्कार के लिए गोल्ड मैडल दिया गया था | प्रीस्टले को यह पता नही था कि एक दिन ऐसा आएगा जब कोका कोला जैसे ठंडे पेय पदार्थो में कार्बनडाईऑक्साइड गैस को मिश्रित करके सारी दुनिया में विभिन्न प्रकार के ठंडे पेय पदार्थो का अरबो-खरबों में व्यापार किया जाएगा | आज का एरेडीट पेय पदार्थो का व्यापार उन्ही की खोज का परिणाम है | जोसेफ प्रिस्टले का जन्म २४ मार्च १७३३ को यॉर्कशायर स्थित लीड्स में एक बुनकर के घर में हुआ। स्कूली शिक्षा के बाद घर की आर्थिक स्थिति की वजह से उन्होंने शिक्षक का कार्य स्वीकारा। उन्होंने स्कूली जीवन में वे ग्रीक, लैटिन, हिब्रु भाषाएं सीखीं। स्कूली शिक्षा के दौरान कुछ अरसे तक स्कूल न जाकर उन्होंने स्वयं फ्रेंच, जर्मन, इटालियन, सीरियन, अरेबिक भाषाओं का अध्ययन किया तथा निजी रूप से भूमिती, अंकगणित के मूल तत्त्वों का अध्ययन भी किया। रसायनशास्त्र के प्रति उनकी चाह निर्माण होने का एक कारण यह था कि वे ‘डिसेन्डर’ नामक संस्था में इस विषय पर व्याख्यान सुनने जाते थे और खुद वैज्ञानिक प्रयोग करके देखते थे। ‘विद्युत ऐतिहासिक अनुकरण एवं आज की स्थिति’ यह किताब उन्होंने लिखी। सन १७६६ में उन्हें रॉयल सोसायटी की फेलोशिप मिली। लीड्स में धर्मोपदेशक के रूप में उनकी नियुक्ति हुई। खाली समय में वे रसायन शास्त्र के प्रयोग किया करते थे। रसायनशास्त्र की ओर उनका झुकाव देखकर उन्हें धर्मोपदेशक के पद से मुक्त किया गया। जोसेफ प्रिस्टले फ्रेंच अकादमी के सदस्य थे। लॉर्ड सेलबर्न इस विद्वान सरदार ने उन्हें उनकी निजी लायब्ररी के व्यवस्थापक के पद पर नियुक्त किया। उन्होंने प्रक्रिया में निर्माण होनेवाला वायु जमा करके उस में जलता हुआ टुकडा रखा और वह बुझ गया। वह वायु कार्बन-डाय-ऑक्साईड था। कार्बन-डाय-ऑक्साई वायु को उन्होंने पानी में घोला तो उस का स्वाद मधुर, तीव्र गंध की तरह था। इस से सोडा वॉटर की खोज हुई। १७६४ ई. में इन्हें एल-एल.डी. की उपाधि एडिनबरा से मिली और १७६६ ई. में ये रॉयल सोसायटी के फेलो निर्वाचित हुए। इगले वर्ष ये लीड्ज़ में एक गिरजा के पादरी हो गए। यहाँ इनके घर के निकट शराब बनाने का एक छोटा कारखाना प्रारंभ हुआ। प्रीस्टलि ने इस कारखाने में रुचि लेना प्रारंभ किया, जिसके कारण इनका ध्यान रसायन विज्ञान की ओर आकर्षित हुआ। पर प्रमुख वृत्ति अभी साहित्यिक ही थी। १७७३ ई. में ये लार्ड शेलबर्न के साहित्यिक सहायक नियुक्त हुए और यूरोप की यात्रा की। 'मैटर और स्पिरिट' (प्रकृति और पुरुष) पर एक ग्रंथ लिखा, जिसमें प्रकृति में चेतनता और आत्मा में जड़ता, इस प्रकार विरोधी भावों का समन्वय करना चाहा। ये विज्ञान की सत्यता की अपेक्षा बाइबिल की सत्यता में अधिक आस्था रखते थे। बाद को लार्ड शेलबर्न का साथ इन्होंने छोड़ दिया और बर्मिघम के गिरजे के पादरी बने। यहाँ इन्होंने ईसा मसीह से संबधित विवादास्पद विचारों पर एक पुस्तक लिखी, जिसका नाम 'हिस्ट्री ऑव अर्ली ओपिनियन्स कन्सर्निग जीसस क्राइस्ट' है। बर्क की एक पुस्तक 'रिफ्लेक्शन्स ऑन फ्रेंच रेवोल्यूशन' का प्रीस्टलि ने उत्तर लिखा, जिसके परिणामस्वरूप इन्हें फ्रेंच रिपब्लिक का नागरिक बना लिया गया। इस नागरिकता के कारण इनके नगर के लोग बिगड़ उठे, उन्होंने इनका घर लूट लिया और इनकी पुस्तकें तथा पांडुलिपियाँ जला दीं। इसी समय इनके एक बहनोई की मृत्यु हुई और इन्हें उसकी १०,००० पाउंउ की संपत्ति मिल गई। इनके स्वतंत्र विचारों ने इन्हें कहीं चैन से टिकने न दिया। विरुद्ध लोकमत से तंग आकर ये १७९४ ई. में अमरीका चले गए, जहाँ इनका अच्छा स्वगत हुआ। पेनसिलवेनिया के फिलाडेल्फिया नगर में ६ फ़रवरी १८०४ ई. को इनकी मृत्यु हो गई। निर्माण हॉफमान के वोल्टामीटर में जल के विद्युत अपघटन से हाइद्रोजन और आक्सीजन उत्पन्न होतीं हैं। प्रिस्टले ने जो ‘वायु’ बनाई थी वह ऑक्सीजन थी। मगर उनका मानना था कि उन्होंने फ्लॉजिस्टन-रहित वायु बनाई है। चूँकि इसमें फ्लॉजिस्टन नहीं है, इसलिए यह जलने में ज़्यादा मदद करती है। फ्लॉजिस्टन-रहित होने के कारण यह वायु जलती वस्तु में से निकलते फ्लॉजिस्टन को ज़्यादा मात्रा में घोल पाती है। तो ऑक्सीजन की खोज किसने की थी? शीले ने अपने प्रयोग पहले (1772 में) किए थे मगर उनके परिणाम प्रकाशित करने में ढिलाई बरती। प्रिस्टले ने प्रयोग तो दो वर्ष बाद (1774 में) किए थे मगर प्रकाशन पहले कर दिया था। तो इन दोनों में से किसे श्रेय दिया जाए? दरअसल, ऑक्सीजन को एक तत्व के रूप में पहचानने का काम तो इन दोनों में से किसी ने भी नहीं किया था। ये तो इसे ‘फ्लॉजिस्टन-रहित वायु’ ही मानते थे। आस्ट्रेलिया के पिबारा चट्टानों के नमूनों की सहायता से वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला है कि वायुमंडलीय आक्सीजन करीब 2.48 अरब साल पहले आस्तित्व में आया। अनुसंधान दल के अगुवा प्रो. मार्क बार्ली का कहना है कि उनकी खोज का आधार चट्टान के नमूनें हैं। अमेरिका और यूरोप के कुछ वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में जीवन का आधार मानी जाने वाली आक्सीजन गैस के मौजूद होने का दावा किया है। एक यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी को हर्शल दूरबीन की मदद से अंतरिक्ष के निर्जीव माहौल में ऑक्सीजन गैस के अणु होने का प्रमाण मिला है। ( 12 ) 0 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 0