फीरोज गांधी जीवनी - Biography of Feroze Gandhi in Hindi Jivani Published By : Jivani.org स्वतंत्रता सेनानी , इंदिरा गांधी क पति और लोकसभा के प्रभावशाली सदस्य फीरोज गांधी (Feroze Gandhi) का जन्म 12 सितम्बर 1912 को मुम्बई के एक अस्पताल में पारसी परिवार में हुआ था | 1915 में वे अपनी माँ के साथ इलाहाबाद में कार्यरत एक संबधी महिला के पास आ गये | इस प्रकार उनकी आरम्भिक शिक्षा -दीक्षा इलाहाबाद में हुयी | इलाहाबाद उन दिनों स्वतंत्रता संग्राम की गतिविधियों का केंद्र था | युवक फीरोज (Feroze Gandhi) इसके प्रभाव में आये और नेहरु परिवार से भी उनका सम्पर्क हुआ | उन्होंने 1928 में साइमन कमीशन के बहिष्कार में भाग लिया और 1930-32 के आन्दोलन में जेल की सजा भोगी | 1935 में फीरोज गांधी आगे के अध्ययन के लिए लन्दन गये और उन्होंने “स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स ” से अंतर्राष्ट्रीय कानून में स्नातक की डिग्री ली | क्षय रोग से पीड़ित कमला नेहरु की फीरोज ने भारत और जर्मनी के चिकित्सालय में बड़ी सेवा की | तभी उनका और इंदिरा का सम्पर्क हुआ और मार्च 1942 में इलाहाबाद में दोनों का विवाह हो गया | अगस्त 1942 में “भारत छोड़ो आन्दोलन” में फीरोज कुछ समय तक भूमिगत रहने के बाद गिरफ्तार कर लिए गये | रिहा होने के बाद 1946 में उन्होंने लखनऊ के दैनिक पत्र “नेशनल हेराल्ड” के प्रबंध निदेशक का पद सम्भाला | 1952 के प्रथम आम चुनाव वे वे लोकसभा के सदस्य चुने गये | इसके बाद उन्होंने लखनऊ छोड़ दिया | कुछ वर्ष वे और इंदिरा और नेहरु जी के साथ रहे | इंदिरा जी का अधिकाँश समय अपने प्रधानमंत्री पिता की देख-रेख में बीतता था | फ़िरोज़ गांधी पर रेहान फ़ज़ल की विवेचना दुनिया में ऐसा कौन सा शख़्स होगा जिसका ससुर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का पहला प्रधानमंत्री हो और बाद में उसकी पत्नी और उसका पुत्र भी इस देश का प्रधानमंत्री बना हो. नेहरू परिवार पर नज़दीकी नज़र रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई बताते हैं, "इंदिरा गाँधी के प्रधानमंत्री बनने से पहले 1960 में फ़िरोज का निधन हो गया और वो एक तरह से गुमनामी में चले गए. लोकतंत्र में ऐसे बहुत कम शख़्स होंगे जो खुद एक सांसद हों, जिनके ससुर देश के प्रधानमंत्री बने, जिनकी पत्नी देश की प्रधानमत्री बनीं और उनका बेटा भी प्रधानमंत्री बना." "इसके अलावा उनके परिवार से जुड़ी हुई मेनका गाँधी केंद्रीय मंत्री हैं, वरुण गाँधी सांसद हैं और राहुल गाँधी कांग्रेस के उपाध्यक्ष हैं. इन सबने लोकतंत्र में इतनी बड़ी लोकप्रियता पाई. तानाशाही और बादशाहत में तो ऐसा होता है लेकिन लोकतंत्र में जहाँ जनता लोगों को चुनती हो, ऐसा बहुत कम होता है. जिस नेहरू गांधी डाएनेस्टी की बात की जाती है, उसमें फ़िरोज़ का बहुत बड़ा योगदान था, जिसका कोई ज़िक्र नहीं होता और जिस पर कोई किताबें या लेख नहीं लिखे जाते." फ़िरोज़ गांधी का आनंद भवन में प्रवेश इंदिरा गांधी की माँ कमला नेहरू के ज़रिए हुआ था। एक बार कमला नेहरू इलाहाबाद के गवर्नमेंट कालेज में धरने पर बैठी हुई थीं। बर्टिल फ़ाक बताते हैं, "जब कमला ब्रिटिश सरकार के खिलाफ़ नारे लगा रही थीं, तो फ़िरोज़ गाँधी कालेज की दीवार पर बैठ कर ये नज़ारा देख रहे थे. वो बहुत गर्म दिन था. अचानक कमला नेहरू बेहोश हो गईं." परिवार और करियर: 1930 में कांग्रेस के स्वतंत्रता सेनानियों की वानर सेना का निर्माण किया गया। इसके बाद एविंग क्रिस्चियन कॉलेज के बाहर महिला प्रदर्शनकारियों को रोकते हुए ही उनकी मुलाकात कमला नेहरु और इंदिरा गाँधी से हुई। प्रदर्शन के दौरान सूरज की गर्मी से कमला बेहोश हो गयी थी और फिरोज ने उस समय उनकी सहायता की थी। अगले ही दिन, 1930 में भारतीय स्वतंत्रता अभियान में शामिल होने के लिए उन्होंने पढाई छोड़ दी। भारतीय स्वतंत्रता अभियान में शामिल होने के बाद महात्मा गांधी से प्रेरित होकर फिरोज ने अपने उपनाम “घंडी” को बदलकर “गांधी” रखा। 1930 में लाल बहादुर शास्त्री (भारत के दुसरे प्रधानमंत्री और उस समय वे अलाहाबाद जिला कांग्रेस समिति के मुख्य थे) के साथ उन्हें भी जेल जाना पड़ा और उन्हें फैजाबाद के जेल में 19 महीनो तक रहना पड़ा। रिहा होने के तुरंत बाद, वे उत्तर प्रदेश के कृषि पर कोई कर ना दिए जाने वाले अभियान में शामिल हो गये और इस वजह से जब वे नेहरु के करीब रहकर काम कर रहे थे तब 1932 और 1933 में उन्हें दो बार जेल जाना पड़ा था। 1933 में फिरोज ने पहली बार इंदिरा को प्रपोज किया, लेकिन इंदिरा और उनकी माता ने इसे अस्वीकार कर दिया। इंदिरा का पालन पोषण नेहरु परिवार के आस-पास ही हुआ है। कहा जाता है की जब इंदिरा की माता कमला नेहरु की हालत टीबी की वजह से काफी ख़राब थी और इंदिरा ही उन्हें 1934 में भोवाली के अस्पताल में ले गयी थी और इसके बाद जब उन्हें अचानक इलाज के लिए यूरोप जाना पड़ा तो इंदिरा ने ही उनकी यात्रा के सारे बंदोबस्त किये थे, लेकिन अंत में 28 फरवरी 1936 को उनकी माता की मृत्यु हो गयी। राजनीति सफ़र अगस्त, 1942 में ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ में फ़ीरोज़ गाँधी कुछ समय तक भूमिगत रहने के बाद गिरफ़्तार कर लिए गए। रिहा होने के बाद 1946 में उन्होंने लखनऊ के दैनिक पत्र ‘नेशनल हेराल्ड’ के प्रबन्ध निर्देशक का पद सम्भाला। 1952 के प्रथम आम चुनाव में वे लोकसभा के सदस्य चुने गए। इसके बाद उन्होंने लखनऊ छोड़ दिया। कुछ वर्ष वे और इंदिरा, नेहरू जी के साथ रहे। इंदिरा जी का अधिकांश समय प्रधानमंत्री पिता की देख-रेख में बीतता था। 1956 में फ़िरोज़ गांधी ने प्रधानमंत्री निवास में रहना छोड़ दिया और वे सांसद के साधारण मकान में अकेले ही रहने लगे। 1957 में वे पुन: लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। इस बार उन्होंने संसद में भ्रष्टाचार के कई मामले उठाए। इन्हीं के कारण वित्त मंत्री टी. टी. कृष्णमाचारी को अपने पद से हटना पड़ा। वे नेहरू परिवार से अपने सम्बन्धों की परवाह किए बिना प्रधानमंत्री की कई नीतियों, विशेषत: औद्योगिक नीतियों की कटु आलोचना करते थे। वे बड़े लोकप्रिय सांसद थे, पर निजी जीवन में अन्तिम वर्षों में बहुत एकाकी हो गए थे। उनके दोनों पुत्र राजीव गाँधी और संजय गाँधी भी अपनी माँ के साथ प्रधानमंत्री निवास में ही रहते थे। मृत्यु फ़ीरोज़ गाँधी को 1960 में दिल का दौरा पड़ा। इंदिरा जी उस समय महिला सम्मेलन में भाग लेने के लिए केरल गई थीं। सूचना मिलते ही वे तुरन्त दिल्ली आई और 8 सितम्बर, 1960 ई. को फ़ीरोज़ गाँधी का देहान्त हो गया। ( 10 ) 4 Votes have rated this Naukri. 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