एलेन ट्यूरिंग जीवनी - Biography of Alan Turing in Hindi Jivani Published By : Jivani.org जन्म- 23 जून, 1912, लंदन, इंग्लैंड; मृत्यु- 7 जून, 1954, इंग्लैण्ड, यूनाइटेड किंगडम) अंग्रेज़ गणितज्ञ और कम्प्यूटर वैज्ञानिक थे। ये पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने कम्प्यूटर के बहुप्रयोग की बात सोची। उन्होंने लोगों को बताया की कम्प्यूटर अलग-अलग प्रोग्रामों को चला सकता है। ट्युरिंग ने 1936 में ट्युरिंग यंत्र का विचार प्रस्तुत किया। ये डिजिटल कम्प्यूटरों पर काम करने वाले सर्वप्रथम लोगों में से थे। 23 जून 1912 को लंदन में जन्मे एलन की 41 साल की आयु में ही मौत हो गई थी. कहा जाता है कि एलन ने सायनाइड की गोली खाकर आत्महत्या की. ब्रिटेन के कानून ने 1952 में एलन को अश्लीलता का दोषी करार दिया था और दवा देकर उन्हें नपुंसक बनाए जाने की सजा सुनाई थी. एलन समलैंगिक थे और उस वक्त ब्रिटेन में समलैंकिता गैरकानूनी थी. छोटी उम्र में ही एलन ने कई बड़े काम किए थे. आधुनिक कंप्यूटर की नींव रखी, कृत्रिम दिमाग के लिए मानक तय किए और द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जर्मन सेना की पनडुब्बियों का कोड तोड़कर लाखों लोगों की जान बचाईं. 1936 में एलन ने युनिवर्सल ट्यूरिंग मशीन बनाने के लिए एक पेपर प्रकाशित किया था. इसे आधुनिक कंप्यूटर का ब्रेन कहा जाता है. आज के कंप्यूटर की तरह एलन उस जमाने में ऐसी मशीन बनाने की कोशिश में लगे थे जिसमें एक बार आंकड़ें फीड किए जाने के बाद कई तरह के काम लिए जा सकें. गणितज्ञ जैक कोपलैंड कहते हैं, ''कंप्यूटर की खोज इतनी बड़ी चीज है कि इस पर बात करना भी अजीब लगता है. लेकिन मेरे खयाल से द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान कोड़ तोड़ना उनका महान काम था.'' कुछ साल पहले तक दुनिया को पता ही नहीं था कि अटलांटिक महासागर में तैनात जर्मन ऊ-बोट (पनडुब्बी) का गुप्त संदेश तोड़ने वाले एलन ही थे.कई इतिहासकार मानते हैं कि अगर एलन ने ये काम नहीं किया होता तो युद्ध कम से दो साल और खिंचता. लंबी दूरी तक दौड़ सकने वाले ट्यूरिंग को फूल की गंध से एलर्जी थी. इसीलिए वह दौड़ते वक्त मुंह में मास्क लगा रखते थे. एलेन ट्यूरिंग समलैंगिक थे। 1952 में उन्होंने ये माना की उन्होंने एक पुरुष से यौन संबंध बनाए थे। उस समय इंग्लैड में समलैंगिकता अपराध था। एक ब्रिटिश न्यायालय में उनके उपर मुकदमा चलाया गया और इस अपराध का दोषी पाया गया और उनसे एक चुनाव करने के लिए कहा गया। उन्हें कारागृह में जाने या "रासायनिक बधियापन" (अपनी यौन उश्रृखंलता को कम करने के लिए एस्ट्रोजन जैसे महिला अंतःस्रावों का सेवन) में से किसी एक को चुनने को कहा गया। उन्होंने अंतःस्रावों को चुना। पर इस कारण वे नपुंसक (यौनक्रिया करने में असमर्थ) हो गए और इस से उनके स्तन उग आए। ऐलन यह सब बर्दाश्त नहीं कर पाए किसी तरह दो वर्ष झेलने के बाद उन्होने एक सेब में साइनाइड लगा कर खा लिया। इस तरह महज 41 साल में ही अपने जन्मदिन से मात्र 16 दिन पहले आज के दिन (7 जून) एलेन ने अपनी जान ले ली। अगस्त 2009 में, जॉन ग्राहम-कमिंग ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एक सिग्नेचर कैंपेन आरंभ किया जिसमें की उन्होनो मांग की एक समलैंगिक के रूप में ट्यूरिंग के खिलाफ चला मुकदमा गलत था और ब्रिटिश सरकार माफी मांगे। 10 सितंबर 2009 को ब्रिटिश सरकार से जारी बयान में कहा गया की ऐलन को दी गई सजा गलत थी। प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन ने माफ़ी मांगी। लेकिन तबतक दुनिया का एक जीनियस जा चुका था। ट्यूरिंग ने ट्यूरिंग परिणक्षण के बारे में भी विचार किया : दूसरे विश्व युद्ध के दौरान, ट्यूरिंग जर्मन गूढ़लेखों को तोड़ने के प्रयासों में महत्वपूर्ण भागीदार थे। कूटलेखन विश्लेषण (क्रिप्टैनालिसिस) के आधार पर उन्होंने दोनों ऐनिग्मा यंत्र और लॉरेज़ एस ज़ेड ४०/४२ (एक टेलीटाइप कूटलेखन संलग्न जिसे ब्रिटिशों द्वारा "ट्यूनी" (Tunny) कूटनामित किया गया था) को तोड़ा और कुछ समय के लिए वे जर्मन नौसैनिक संकेत को पढ़ने वाले अनुभाग, हट ८ (Hut 8) के प्रमुख भी रहे। एलेन ट्यूरिंग समलैंगिक थे। १९५२ में उन्होंने ये माना की उन्होंने एक पुरुष से यौन संबंध बनाए थे। उस समय इंग्लैड में समलैंगिकता अपराध था। एक ब्रिटिश न्यायालय में उनपर मुकदमा चलाया गया और इस अपराध का दोषी पाया गया और उनसे एक चुनाव करने के लिए कहा गया। उन्हें कारागृह में जाने या "रासायनिक बधियापन" (अपनी यौन उश्रृखंलता को कम करने के लिए एस्ट्रोजन जैसे महिला अंतःस्रावों का सेवन) में से किसी एक को चुनना था। उन्होंने अंतःस्रावों को चुना। पर इस कारण वे नपुंसक (यौनक्रिया करने में असमर्थ) हो गए और इस से उनके स्तन उग आए। इन दुष्प्रभावो को दो वर्षों तक झेलने के बाद, उन्होनें १९५४ में एक सायनाइड युक्त सेब खाकर आत्महत्या कर ली। इस प्रकार का उपचार अब बहुत अनुपयुक्त माना जाता है, जो चिकित्सा की नैतिकता और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकारों के विरुद्ध माना जाता है और बहुत से चिकित्सकों द्वारा कदाचार माना जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान : एलेन ट्युरिंग द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सरकार के लिये गवर्नमेंट कोड तथा सायफर स्कूल में काम करते थे। जो ब्रिटेन के कोड ब्रेकिंग केंद्र के तौर पर काम करते थे। जर्मनी प्रथम विश्व युद्ध के दौरान बुरी तरह हार गया था। बदला लेने को जर्मनी बेकरार था वह द्वितीय विश्व युद्ध का खांचा खीचने लगा। युद्ध के तैयारी के दौरान नए-नए हथियार बनाने लगा। जर्मनी ने एक ऐसी मशीन बनाई जिसे एनिग्मा मशीन कहा जाता था। यह मशीन गुप्त सन्देशों के कूटलेखन या कूटलेखों के पठन के लिये प्रयुक्त होती थी। युद्ध में इसका प्रयोग सरकार और सेना के बीच भेजे गये संदेशो के लिये किया जा रहा था। एलेन ने बॉम्ब मेथड में सुधार लाकर तथा एल्कट्रो मेकेनिकल मशीन बनाकर एनिग्मा मशीन का कोड तोड़ दिया। इसके आने से ब्रिटेन को काफी लाभ मिला और विश्व युद्ध को कम से कम 4 साल छोटा कर दिया। युद्ध के बाद ये राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (National Physical Laboratory) से जुड़े जहां उन्होने एसीई (एटोमेटीक कंप्युटिंग इंजीन) का डिजाईन किया। जो की स्टोर्ड प्रोग्राम कम्प्यूटर का डिजाइन करने वाले पहले व्यक्तियों में से एक थे। निधन : एलेन मैथिसन ट्यूरिंग का निधन 7 जून, 1954 को इंग्लैण्ड, यूनाइटेड किंगडम में हुआ था। ( 12 ) 8 Votes have rated this Naukri. 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