अन्ना हजारे जीवनी - Biography of Anna Hazare in Hindi Jivani Published By : Jivani.org अन्ना हजारे का जन्म १५ जून १९३७ को महाराष्ट्र के अहमदनगर के रालेगन_सिद्धि गाँव के एक मराठा किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम बाबूराव हजारे और माँ का नाम लक्ष्मीबाई हजारे था। उनका बचपन बहुत गरीबी में गुजरा। पिता मजदूर थे तथा दादा सेना में थे। दादा की तैनाती भिंगनगर में थी। वैसे अन्ना के पूर्वंजों का गाँव अहमद नगर जिले में ही स्थित रालेगन सिद्धि में था। दादा की मृत्यु के सात वर्षों बाद अन्ना का परिवार रालेगन आ गया। अन्ना के छह भाई हैं। परिवार में तंगी का आलम देखकर अन्ना की बुआ उन्हें मुम्बई ले गईं। वहाँ उन्होंने सातवीं तक पढ़ाई की। वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद सरकार की युवाओं से सेना में शामिल होने की अपील पर अन्ना 1963 में सेना की मराठा रेजीमेंट में ड्राइवर के रूप में भर्ती हो गए। अन्ना की पहली नियुक्ति पंजाब में हुई। 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान अन्ना हजारे खेमकरण सीमा पर नियुक्त थे। 12 नवम्बर 1965 को चौकी पर पाकिस्तानी हवाई बमबारी में वहाँ तैनात सारे सैनिक मारे गए। इस घटना ने अन्ना के जीवन को सदा के लिए बदल दिया। इसके बाद उन्होंने सेना में 13 और वर्षों तक काम किया। उनकी तैनाती मुंबई और कश्मीर में भी हुई। 1975 में जम्मू में तैनाती के दौरान सेना में सेवा के 15 वर्ष पूरे होने पर उन्होंने स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति ले ली। रालेगन सिद्धि : मुम्बई पदस्थापन के दौरान वह अपने गाँव रालेगन आते-जाते रहे। वे वहाँ चट्टान पर बैठकर गाँव को सुधारने की बात सोचा करते थे। १९७८ में स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति लेकर रालेगन आकर उन्होंने अपना सामाजिक कार्य प्रारंभ कर दिया। इस गाँव में बिजली और पानी की ज़बरदस्त कमी थी। अन्ना ने गाँव वालों को नहर बनाने और गड्ढे खोदकर बारिश का पानी इकट्ठा करने के लिए प्रेरित किया और स्वयं भी इसमें योगदान दिया। अन्ना के कहने पर गाँव में जगह-जगह पेड़ लगाए गए। गाँव में सौर ऊर्जा और गोबर गैस के जरिए बिजली की सप्लाई की गई। उन्होंने अपनी ज़मीन बच्चों के हॉस्टल के लिए दान कर दी और अपनी पेंशन का सारा पैसा गाँव के विकास के लिए समर्पित कर दिया। वे गाँव के मंदिर में रहते हैं और हॉस्टल में रहने वाले बच्चों के लिए बनने वाला खाना ही खाते हैं। सामाजिक जीवन : अन्ना हजारे ने ये सोचा की विकास के मामले में केवल भ्रष्टाचार ही एक सबसे बढ़ी बाधा है इसलिए 1991 में उन्होंने अपना एक नया अभियान शुरू किया जिसे भ्रष्टाचार विरोधी जन आन्दोलन का नाम दिया गया। इस से पता लगाया गया की 42 फारेस्ट अधिकारियो ने संधि का लाभ उठाते हुए करोडो का भ्रष्टाचार किया है। अन्ना हजारे ने इसके विरुद्ध साबुत पेश कर उन्हें जेल में डालने की अपील भी की लेकिन उनकी इस अपील को ख़ारिज कर दिया गया, क्योंकी वे सारे अधिकारी किसी बड़ी प्रचलित राजनितिक पार्टी के ही अधिकारी थे। और इस बात से निराश होकर अन्ना हजारे ने उन्हें दिया गया पद्मश्री पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति को वापिस कर दिया और प्रधानमंत्री इंदिरा राजीव गाँधी द्वारा दिया गया वृक्ष मित्र पुरस्कार भी वापिस कर दिया। बाद में वे आलंदी गए जहा उन्होंने इसी कारणवश आन्दोलन भी किये। इस से जागृत होकर सरकार ने तुरंत भ्रष्टाचारियो पर तुरंत प्रतिक्रिया की हजारे के इस अभियान / आन्दोलन का सरकार पर गहरा प्रभाव पड़ा- 6 य उस से भी ज्यादा मंत्रियो को इस्तीफा देना पड़ा और 400 से ज्यादा अधिकारियो को काम से निकलकर वापिस अपने-अपने घर भेजा गया। लेकिन अन्ना हजारे इस छोटी सी प्रतिक्रिया से खुश नहीं थे वे पुरे के पुरे सिस्टम को ही बदलना चाहते थे और भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने अपने सहकर्मियों के साथ जानकारी प्राप्त करने के अभियान की शुरुवात की। इसे देखते हुए आज़ाद मैदान, मुंबई 1997 के इस आंदोलन की तरफ सरकार ने ध्यान नहीं दिया और उनकी मांग को ख़ारिज कर दिया गया। व्यक्तित्व और विचारधारा : गांधी की विरासत उनकी थाती है। कद-काठी में वह साधारण ही हैं। सिर पर गांधी टोपी और बदन पर खादी है। आंखों पर मोटा चश्मा है, लेकिन उनको दूर तक दिखता है। इरादे फौलादी और अटल हैं। महात्मा गांधी के बाद अन्ना हजारे ने ही भूख हड़ताल और आमरण अनशन को सबसे ज्यादा बार बतौर हथियार इस्तेमाल किया है। इसके जरिए उन्होंने भ्रष्ट प्रशासन को पद छोड़ने एवं सरकारों को जनहितकारी कानून बनाने पर मजबूर किया है। अन्ना हजारे को आधुनिक युग का गान्धी भी कहा जा सकता है अन्ना हजारे हम सभी के लिये आदर्श है। अन्ना हजारे गांधीजी के ग्राम स्वराज्य को भारत के गाँवों की समृद्धि का माध्यम मानते हैं। उनका मानना है कि ' बलशाली भारत के लिए गाँवों को अपने पैरों पर खड़ा करना होगा।' उनके अनुसार विकास का लाभ समान रूप से वितरित न हो पाने का कारण रहा गाँवों को केन्द्र में न रखना। व्यक्ति निर्माण से ग्राम निर्माण और तब स्वाभाविक ही देश निर्माण के गांधीजी के मन्त्र को उन्होंने हकीकत में उतार कर दिखाया और एक गाँव से आरम्भ उनका यह अभियान आज ८५ गावों तक सफलतापूर्वक जारी है। व्यक्ति निर्माण के लिए मूल मन्त्र देते हुए उन्होंने युवाओं में उत्तम चरित्र, शुद्ध आचार-विचार, निष्कलंक जीवन व त्याग की भावना विकसित करने व निर्भयता को आत्मसात कर आम आदमी की सेवा को आदर्श के रूप में स्वीकार करने का आह्वान किया है। भ्रष्टाचार के विरोधी : महात्मा गांधी के बाद अन्ना हजारे ने ही भूख हड़ताल और आमरण अनशन को सबसे ज़्यादा बार बतौर हथियार इस्तेमाल किया है। भ्रष्ट प्रशासन की खिलाफवर्जी हो या सूचना के अधिकार का इस्तेमाल, हजारे हमेशा आम आदमी की आवाज़ उठाने के लिए आगे आते रहे हैं। अन्ना हजारे ने ठीक ही सोचा था कि भ्रष्टाचार देश के विकास को बाधित कर रहा है। इसके लिए उन्होंने 1991 में भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन शुरू किया। उन्होंने पाया कि महाराष्ट्र में 42 वन अधिकारी सरकार को धोखा देकर करोड़ों रुपए की चपत लगा रहे हैं। उन्होंने इसके सबूत सरकार को सौंपे, लेकिन सरकार ने उनके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की क्योंकि सत्ताधारी दल का एक मंत्री उनके साथ मिला था। इससे व्यथित हजारे ने भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिया गया पद्मश्री पुरस्कार और प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा दिया गया वृक्ष मित्र पुरस्कार लौटा दिया। उन्होंने पुणे के आलंदी गांव में इसी मुद्दे को लेकर भूख हड़ताल कर दी। आखिर में सरकार कुंभकर्णी नींद से जागी और दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की। हजारे का यह आंदोलन काफ़ी काम आया और 6 मंत्रियों को त्याग-पत्र देना पड़ा जबकि विभिन्न सरकारी कार्यालयों में तैनात 400 अधिकारियों को वापस उनके घर भेज दिया गया। प्रमुख आंदोलन 1. महाराष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन 1991। 2. सूचना का अधिकार आंदोलन 1997-2005। 3. महाराष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन 2003। 4. लोकपाल विधेयक आंदोलन 2011। 5. प्रमुख सम्मान और पुरस्कार। 6. पद्मभूषण पुरस्कार (1992)। 7. पद्मश्री पुरस्कार (1990)। 8. इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्षमित्र पुरस्कार (1986)। 9. महाराष्ट्र सरकार का कृषि भूषण पुरस्कार (1989)। 10. यंग इंडिया पुरस्कार। 11. मैन ऑफ़ द ईयर अवार्ड (1988)। 12. पॉल मित्तल नेशनल अवार्ड (2000)। 13. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंटेग्रीटि अवार्ड (2003)। 14. विवेकानंद सेवा पुरुस्कार (1996)। 15. शिरोमणि अवार्ड (1997)। 16. महावीर पुरुस्कार (1997)। 17. दिवालीबेन मेहता अवार्ड (1999)। 18. केयर इन्टरनेशनल (1998)। 19. बासवश्री प्रशस्ति (2000)। 20. GIANTS INTERNATIONAL AWARD (2000)। 21. नेशनलइंटरग्रेसन अवार्ड (1999)। 22. विश्व-वात्सल्य एवं संतबल पुरस्कार। 23. जनसेवा अवार्ड (1999)। 24. रोटरी इन्टरनेशनल मनव सेवा पुरस्कार (1998)।25. विश्व बैंक का ‘जित गिल स्मारक पुरस्कार’ (2008)। ( 5 ) 17 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 3