कमला नेहरु जीवनी - Biography of Kamala Nehru in Hindi Jivani Published By : Jivani.org जवाहरलाल नेहरु की पत्नी और इंदिरा गांधी की माँ कमला नेहरु का जन्म 1 अगस्त 1899 को दिल्ली में एक कश्मीरी परिवार में हुआ था | उनके पिता जवाहरलाल कौल एक साधारण व्यवसायी थे | उन दिनों लडकियों को घर से बाहर निकलने की स्वतंत्रता नही थी | उनको स्कूली शिक्षा भी नही दी जाती थी | कमला को भी घर पर ही हिंदी का साधारण ज्ञान मिल पाया था | वे देखने में बहुत सुंदर थी इसलिए मोतीलाल नेहर ने इंग्लैंड में पढ़ रहे अपने बेटे जवाहरलाल के लिए उन्हें पसंद किया | 8 फरवरी 1916 को दोनों का विवाह हो गया | जवाहरलाल की उम्र उस समय 26 वर्ष और कमला की उम्र 17 वर्ष थी | मोतीलाल नेहरु के घर के पश्चिमी वातावरण से तालमेल बैठाने में काफी परेशानी हुयी | वह अंग्रेजी भाषा नही जानती थी इसलिए जैसा कि जवाहरलाल जी ने स्वयं लिखा है उन दोनों में भी आरम्भ में कम पटती थी | लेकिन कमला जी ने भारतीय आचार-विचार को छोड़े बिना नेहरु जी के राजनैतिक कार्यो में रूचि लेना और सक्रिय सहयोग आरम्भ किया | इससे दोनों के संबध मधुर हो गये थे | कमला जी (Kamala Nehru) ने स्वतंत्रता संग्राम में और महिला जागरण तथा स्वदेशी के प्रचार में सक्रिय भाग लिया | एक समय तो सब नेताओं के जेल में बंद हो जाने पर उन्होंने पुरे प्रदेश में कांग्रेस का नेतृत्व किया | ब्रिटिश लेखिका कैथरिन प्रैंसक ने अपनी पुस्तक 'इंदिरा: द लाइफ ऑफ इंदिरा नेहरू गांधी' में लिखा है कि दिल्ली के परंपरावादी हिंदू ब्राह्मण परिवार से सम्बंध रखने के कारण हिंदू संस्कार कमला नेहरू के चरित्र का एक प्रमुख हिस्सा थे लेकिन पश्चिमी परिवेश वाले नेहरू ख़ानदान में उन्हें एकदम विपरीत माहौल मिला जिसमें वह खुद को अलग थलग महसूस करती रहीं। उनकी बेटी तथा देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जीवन पर पुस्तकें लिखने वाले लेखकों ने अपनी पुस्तकों में इस बात का प्रमुखता से उल्लेख किया है कि कमला नेहरू की धार्मिक भावनाओं को नेहरू ख़ानदान में समझा नहीं गया और वह सदैव उस परिवार में खुद को अजनबी महसूस करती रहीं। इतना सब होने पर भी कमला नेहरू ने स्वतंत्रता संग्राम में अपने पति जवाहरलाल नेहरू का कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया। नेहरू के राष्ट्रीय आंदोलन में कूदने पर कमला नेहरू को भी अपनी क्षमता दिखाने का अवसर मिला। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान : पुरानी दिल्ली के एक पारंपरिक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में पली-बढी कमला पाश्चात्य सभ्यता से प्रभावित नेहरू कुल में शुरू में असहज थी। दोस्त-परिवार : कमला का जन्म जवाहरमल और राजपति कौल के यहाँ हुआ था। वे अपने भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी। उनके दो छोटे भाई - चंद बहादुर कौल और वनस्पतिशास्त्री कैलाशनाथ कौल और एक छोटी बहन स्वरूप काटजू थी। १९ नवम्बर १९१७ को कमला को इन्दिरा नेहरू के रूप में पुत्री की प्राप्ति हुई, जो आगे चलकर अपने पिता की तरह देश की प्रधानमंत्री और काँग्रेस पार्टी की अध्यक्षा बनी। नवम्बर १९२४ में कमला ने एक पुत्र को भी जन्म दिया, किन्तु जन्म के दो दिन पश्चात् ही उसकी मृत्यु हो गयी। विवाह और स्वाधीनता आन्दोलन : कमला कौल जब मात्र सत्रह साल की थीं तब उनका विवाह जवाहरलाल नेहरू से हो गया। दिल्ली के परंपरावादी हिंदू ब्राह्मण परिवार से सम्बंध रखने वाली कमला के लिए पश्चिमी परिवेश वाले नेहरू ख़ानदान में एकदम विपरीत माहौल मिला जिसमें वह खुद को अलग-थलग महसूस करती रहीं। विवाह पश्चात नेहरु दंपत्ति की पहली संतान – इंदिरा – ने 17 नवम्बर 1917 को जन्म लिया। कमला ने नवम्बर 1924 में एक पुत्र को भी जन्म दिया परन्तु वो कुछ दिन ही जीवित रहा। विवाह पश्चात कमला नेहरु को स्वाधीनता संग्राम को समझने और नजदीकी से देखने का मौका मिला क्योंकि उनके पति जवाहरलाल और ससुर मोतीलाल दोनों ही आन्दोलन में सक्रीय थे। जब तक वो जीवित रहीं अपने पति जवाहरलाल नेहरू का कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया। सन 1921 के असहयोग आंदोलन के साथ वो स्वाधीनता आन्दोलन में कूदीं। इस आन्दोलन के दौरान उन्होंने इलाहाबाद में महिलाओं का एक समूह गठित किया और विदेशी वस्त्र तथा शराब की बिक्री करने वाली दुकानों का घेराव किया। उनके अन्दर गज़ब का आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता थी जिसका परिचय उन्होंने आजादी की लड़ाई के दौरान कई बार दिया। एक बार जब जवाहरलाल नेहरु को सरकार विरोधी भाषण देने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया तो कमला नेहरु ने आगे बढ़कर उस भाषण को पूरा किया। स्वाधीनता आन्दोलन के दौरान अंग्रेजी सरकार ने उनकी गतिविधियों के लिए उन्हें दो बार गिरफ्तार भी किया। जब गाँधी जी ने 1930 के नमक सत्याग्रह के दौरान दांडी यात्रा की तब कमला नेहरु ने भी इस सत्याग्रह में भाग लिया। नेहरूजी जी का पत्नी प्रेम : लेखक के नाते पहली चीज जिसे नेहरूजी मूल्यवान मानते हैं वह है इन्सानी रिश्ता। इन्सानी रिश्ते को राजनीति और अर्थशास्त्र की बहसों के बहाने नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। खासकर पति-पत्नी के संबंधों के बीच इन्सानी रिश्तों का एहसास रहना चाहिए। नेहरूजी ने रेखांकित किया है कि भारत और चीन में इन्सानी रिश्तों के एहसास को नज़र-अंदाज़ नहीं किया गया। यह हमारी पुरानी अक्लमंद तहज़ीब की देन है। इंसानी एहसास व्यक्ति में संतुलन और हम-वज़नीपन पैदा करता है। नेहरूजी लिख रहे हैं कि इन दिनों यह एहसास कम हो गया है। इसी क्रम में नेहरूजी ने लिखा "यक़ीनी तौर पर इसे मुमकिन होना चाहिए कि भीतरी संतुलन का बाहरी तरक्की से, पुराने ज़माने के ज्ञान का नये जमाने की शक्ति और विज्ञान से मेल क़ायम हो। सच देखा जाय, तो हम लोग दुनिया के इतिहास की एक सी मंज़िल पर पहुँच गए हैं कि अगर यह मेल न क़ायम हो सका, तो दोनों का ही अंत और नाश रखा हुआ है।" नेहरूजी चाहते थे हम मानव-सभ्यता की अब तक की सभी महान् उपलब्धियों को आत्मसात करके विकास करें। कमला के बारे में उनका लेखन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वे उसे अपनी पत्नी के रुप में नहीं देखते थे, वे उसे भारत की औरतों का प्रतीक मानते थे। मृत्यु : 28 फ़रवरी 1936 को स्विटज़रलैंड में कमला नेहरू की बेहद कम उम्र में टीबी से मृत्यु हो गयी। टी. बी. उस समय भयंकर बीमारी मानी जाती थी। उनके पति श्री जवाहरलाल नेहरू उस समय जेल में थे। ( 15 ) 17 Votes have rated this Naukri. 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