बेगम हज़रत महल जीवनी - Biography of Begum Hazrat Mahal in Hindi Jivani Published By : Jivani.org जन्म : 1820 धर्म : शिया इस्लाम जन्मस्थान : फैजाबाद, अवध, भारत राष्ट्रीयता : भारतीय बच्चे : एक बेटा योगदान से मिली पहचान : महक परी लखनऊ में 1857 की क्रांति का नेतृत्व बेगम हज़रत महल ने किया था। अपने नाबालिग पुत्र बिरजिस कादर को गद्दी परबिठाकर उन्होंने अंग्रेज़ी सेना का स्वयं मुक़ाबला किया। उनमें संगठन की अभूतपूर्व क्षमता थी और इसी कारण अवध के ज़मींदार, किसानऔर सैनिक उनके नेतृत्व में आगे बढ़ते रहे। आलमबाग़ की लड़ाई के दौरान अपने जांबाज सिपाहियों की उन्होंने भरपूर हौसला आफज़ाई की और हाथी पर सवार होकर अपनेसैनिकों के साथ दिन-रात युद्ध करती रहीं। लखनऊ में पराजय के बाद वह अवध के देहातों में चली गईं और वहाँ भी क्रांति की चिंगारीसुलगाई। बेगम हज़रत महल और रानी लक्ष्मीबाई के सैनिक दल में तमाम महिलायें शामिल थीं। लखनऊ में बेगम हज़रत महल की महिला सैनिक दल का नेतृत्व रहीमी के हाथों में था, जिसने फ़ौजी भेष अपनाकर तमाममहिलाओं को तोप और बन्दूक चलाना सिखाया। रहीमी की अगुवाई में इन महिलाओं ने अंग्रेज़ों से जमकर लोहा लिया। लखनऊ की तवायफ हैदरीबाई के यहाँ तमाम अंग्रेज़ अफ़सर आते थे और कई बार क्रांतिकारियों के ख़िलाफ़ योजनाओं पर बातकिया करते थे। हैदरीबाई ने पेशे से परे अपनी देशभक्ति का परिचय देते हुये इन महत्त्वपूर्ण सूचनाओं को क्रांतिकारियों तक पहुँचाया औरबाद में वह भी रहीमी के सैनिक दल में शामिल हो गयी। अंग्रेज सैनिक लगातार रेजीडेंसी से अपने साथियों को मुक्त कराने के लिए प्रयासरत रहे, लेकिन भारी विरोध के कारण अंग्रेजो कोलखनऊ सेना भेजना कठिन हो गया था. इधर रेजीडेंसी पर विद्रोहियों द्वारा बराबर हमले किये जा रहे थे. बेगम हजरत महल लखनऊ केविभिन्न क्षेत्रो में घूम – घूम कर लोगो का उत्साह बढ़ा रही थी. लेकिन होनी को कौन टाल सकता है. दिल्ली पर अंग्रेजो का अधिकार स्थापित हो चुका था. मुग़ल सम्राट बहादुर शाह जफ़र के बंदीहोते ही क्रांतकारी विद्रोहियों के हौसले कमजोर पड़ने लगे. लखनऊ भी धीरे – धीरे अंग्रेजो के नियंत्रण में आने लगा था. हैवलाक औरआउट्रूम की सेनाएं लखनऊ पहुँच गयी. बेगम हजरत महल ने कैसरबाग के दरवाजे पर ताले लटकवा दिए. अंग्रेजी सेनाओ ने बेलीगारद परअधिकार कर लिया. बेगम ने अपने सिपाहियों में जोश भरते हुए कहा ,” अब सब कुछ बलिदान करने का समय आ गया है अंग्रेजो की सेना का अफसर हैवलाक आलमबाग तक पहुँच चूका था. कैम्पवेल भी कुछ और सेनाओ के साथ उससे जा मिला. आलमबाग में बहुत भीड़ इकट्ठी थी. जनता के साथ महल के सैनिक, नगर की सुरक्षा के लिए उमड़ पड़े थे. घनघोर बारिश हो रही थी. दोनों ओर से तोपों की भीषण मार चल रही थी. बेगम हजरत महल को चैन नहीं था. वे चारो ओर घूम – घूम कर सरदारों में जोश भर रही थी. उनकी प्रेरणा ने क्रांतकारी विद्रोहियों में अद्भुत उत्साह का संचार किया. वे भूखप्यास सबकुछ भूलकर अपनी एक – एक इंच भूमि के लिए मर – मिटने को तैयार थे. 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम : सन 1857-58 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, राजा जयलाल सिंह के नेतृत्व में बेगम हज़रात महल के समर्थकों ने ब्रिटिशईस्ट इंडिया कंपनी के सेना के विरुद्ध विद्रोह कर दिया और लखनऊ पर कब्ज़ा कर लिया। लखनऊ पर कब्ज़े के बाद हज़रात महल अपनेनाबालिग पुत्र बिरजिस कादर को अवध की गद्दी पर बिठा दिया। इसके पश्चात जब कंपनी की सेना ने लखनऊ और अवध के ज्यादातरभाग पर फिर से कब्ज़ा जमा लिया तब बेगम हज़रत महल को पीछे हटना पड़ा। इसके पश्चात उन्होंने नाना साहेब (पेशवा, जिन्होंने कानपुर में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया) के साथ मिलकर कामकिया और फिर फैजाबाद के मौलवी के साथ मिलकर शाहजहाँपुर आक्रमण को अंजाम दिया। उन्होंने अंग्रेजों पर हिन्दुओं और मुसलमानोंके धर्म में दखलंदाजी करने का आरोप लगाया। स्मारक : बेगम हज़रत महल का मकबरा काठमांडू के मध्य जामा मस्जिद के पास (घंटाघर पर) स्थित है। यह स्थान दरबार मार्ग से ज्यादादूर नहीं है। इसकी देख-भाल जामा मस्जिद केन्द्रीय समिति करती है। 15 अगस्त 1962 को बेगम हज़रत महल के सम्मान में लखनऊ स्थित हजरतगंज के ‘ओल्ड विक्टोरिया पार्क’ का नाम बदलकर‘बेगम हज़रत महल पार्क’ कर दिया गया। नाम बदलने के साथ-साथ यहाँ एक संगमरमर का स्मारक भी बनाया गया। बेगम हज़रत महलपार्क में रामलीला, दशहरा और लखनऊ महोत्सव जैसे समारोहों का आयोजन होता है। 1. 10 मई 1984 को भारत सरकार ने उनके सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया। 2. लखनऊ में '1857 की क्रांति' का नेतृत्व बेगम हज़रत महल ने किया था। अपने नाबालिग पुत्र बिरजिस कादर को गद्दी परबिठाकर उन्होंने अंग्रेज़ी सेना का स्वयं मुक़ाबला किया। 3. 7 जुलाई 1857 से अवध का शासन हजरत महल के हाथ में आया। 4. 1857 में मंगल पांडे के विद्रोह के बाद क्रांति मेरठ तक फ़ैली। मेरठ के सैनिक दिल्ली के बादशाह बहादुर शाह से मिले। बहादुरशाह और ज़ीनत महल ने उनका साथ दिया और आजादी की घोषणा की। 5. बेगम हजरत महल ने हिन्दू, मुसलमान सभी को समान भाव से देखा। अपने सिपाहियों का हौसला बढ़ाने के लिये युद्ध के मैदानमें भी चली जाती थी। बेगम ने सेना को जौनपुर और आजमगढ़ पर धावा बोल देने का आदेश जारी किया लेकिन ये सैनिक आपसमें ही टकरा ग़ये। 6. ब्रितानियों ने सिखों व राजाओं को ख़रीद लिया व यातायात के सम्बंध टूट गए। नाना की भी पराजय हो गई। 21 मार्च कोलखनऊ ब्रितानियों के अधीन हो गया। अन्त में बेगम की कोठी पर भी ब्रितानियों ने कब्जा कर लिया। 7. बेगम हज़रत महल में संगठन की अभूतपूर्व क्षमता थी और इसी कारण अवध के ज़मींदार, किसान और सैनिक उनके नेतृत्व मेंआगे बढ़ते रहे। 8. आलमबाग़ की लड़ाई के दौरान अपने जांबाज सिपाहियों की उन्होंने भरपूर हौसला आफज़ाई की और हाथी पर सवार होकरअपने सैनिकों के साथ दिन-रात युद्ध करती रहीं। ( 15 ) 0 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 0