गोपाल समूद्रम नारायण रामचंद्रन की जीवनी - Biography of Gopal Samudram Narayan Ramachandran in hindi jivani Published By : Jivani.org नाम : गोपाल समूद्रम नारायण रामचंद्रन जनम तिथी : 8 अक्ट्रूबर 1922 ठिकाण : एर्नाकुलम , केरल, ब्रिटिश व्यावसाय : भैातिकि विज्ञानी मृत्यू: 7 अप्रैल 2001 प्रारंभिक जीवनी : रामचंद्रन का जनम 8 अक्टूबर 1922 को भारत के केरल के एर्नाकुलम शहर मे एक तामिल ब्राम्हण परिवारमे हुआ था | उन्होंने 1939 मे सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली से भौतिकी मे बीएससी ऑनर्स पूरा किया था | उन्होंने 1942 मे इलेक्ट्रिकल इंजिनियरिंग विभाग मे भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर मे प्रवेश लिया था | भौतिकी मे अपनी रुची का एहसास करते हुए उन्होंने 1942 मे बैंगलोर से प्रस्तूत अपनी थीसिस के साथ मद्रास विश्वाविदयालय से भौतिकी मे स्त्रातकोस्तार कि उपाधि प्राप्त कि थी | बाद मे उन्होंने अपना डि|एस|सी 1947 मे डिग्री हासिल कि थी | यहाँ उन्होंने एक्स रे माइक्रोस्कोप के लिए एक्स रे कोकसिंग मिरर बनाया था | रामचंद्रन 1998 मे अपनी पत्नी राजलक्ष्मी कि मौत से तबाह हो गए और स्वास्थ मे धीरे धीरे गिरावट आई थी | अपने जीवन के अंतिम कुछ वर्षो के दौरान उनहे स्ट्रोक का सामना करना पडा और पार्किगस रोगस से प्रभावित थे | रामचंद्रन का 2001 मे 78 वर्षे कि अयू मे निधन हो गया और वे अपने पीछे वैज्ञानिक खोजो कि विरासत छोड गए | कार्य : जी एन रामचंद्रन एक भारतीय भौतिक विज्ञानी थे | जो अपने काम के लिए जाने जाते थे | जिसके कारण पेप्टाइड संरचना को समझाने के लिए रामचंद्रन कि साजिश का निर्माण हुआ था | वह कोलेजन कि संरचना के लिए ट्रिपल हेलिकल मॉडल का प्रस्ताव करने वाले पहले व्याक्ति थे | बाद मे उन्होंने जीव विज्ञान और भौतिकी मे अनया प्रमूख योगदान दिए थे | क्रिस्टल स्थलाकृति के परिणाम स्वरुप क्षेत्र का उपयोग बडे पैमाने पर क्रिस्टल विकास और ठोस राजया प्रतिक्रियात्मकता वाले अध्यायनों मे किया जाता है | 1952 मे वे मद्रास विश्वाविदयालय मे प्रोफेसर और भौतिकी विभाग के प्रमूख के रुप मे चले गए जहाँ उन्हेाने क्रिस्टल भौतिकी पर अपना काम जारी रखा था | मद्रास विश्वाविदयालय मे प्रोफेसर रामचंद्रन प्रसिध्दा कुलपति और प्रसिध्दा चकित्सक और चिकीत्सा वैज्ञानिक सर अर्कोट लक्ष्मणस्वामी मुदलियार के पसंदीदा थै | 1971 मे उन्हेांने पीएनएएस मे अपना शोध प्रकाशित किया था | 1981 मे रामचंद्रन विश्वा सांस्कृतिक परिषद के संस्थापक सदस्या बने थे | पुरस्कार और सम्मान : 1) उनहे 1961 मे भारत मे भौतिकी के लिए शांति स्वरुप भटनागर पूरस्कार से सम्मानित किया गया| 2) वह रॉयल सोसाइटी ऑफ लंदन कि फैलोशिप मे शामिल है| 3) 1999 मे उन्हे क्रिस्टलोग्राफी मे उत्कृष्टा योगदान के लिए इवाल्ड पूरस्कार से सम्मानित| 4) प्रत्येक वर्षे सीएसआईआर जैविक विज्ञान और प्रौधोगिकी मे काम के लिए उनकी स्मृति मे जीएन रामचंद्रन गोल्ड मेडल फॉर एक्सीलेंस इन बायेालॉजिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी पूरस्कार प्रदान करता है | पुस्तके : 1) कोरियर मेथड इन क्रिस्ट्रोलॉजी| 2) क्रिस्टल ऑप्टीक्सा| ( 12 ) 0 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 0