फ्रिलियानो डे मेलो की जीवनी - Biography of Friliano De Melo in hindi jivani Published By : Jivani.org नाम : फ्रिलियानो डे मेलो जनम तिथी : 17 मई 1887 ठिकाण : बेनौलिम, गोवा, पुर्तगाली व्यावसाय : चिकित्सा वैज्ञानिक, प्रोफेसर, लेखक मृत्यू : 9 जनवरी 1955 आयू 67 वर्षे प्रारंभिक जीवनी : फ्रिलियानो डी मेलो का जनम बैनुलिम, सलासेट मे गोयन कैथोलिक माता पिता के घर मे हुआ था | वह वकिन कॉन्स्टेन्शियो फ्रांसिस्को डी मेलो के सबसे बडे बेटे थे | रोड्रिग्स पोतूर्गाल मे कोट्रेस गेरैस के सदस्या, कोइम्ब्रा के मेयर थे | और गोवा मेडिकल कॉलेज के पहले निदेशकों मे से एक थे | कॉन्स्टिस्कियो कि मृत्यूहो गई तब वह बारह वर्षे का था | मेलो परिवार के भाग्य पर प्रतिकूल प्रभ्ंाव डाला पूरे परिवार के लिए वह कठिन समय था | उन्होंने एक चिकित्साक के रुप मे पंजिम मे स्त्रातक किया था | और बाद मे पुर्तगाल के पोर्टा मे पाठयक्रम दोहराया था | 1910 मे काम करने के लिए लौट आए गोवा मे एक अतिरिक्त डिप्लोमा के साथ ट्रॉपिकल मेडिसिन के लिरबन विश्वाविदयालय मे पढाई कि थी | मेलो कि दो बाद शादी हुई थी | उनकी पहली पत्नी मैरी यूजिनी कैलेट, जिनेवा के एक कुलीन स्विस थे | जो शादी के बाद उनके साथ पंजिम मे चले गए थे | यूजीनी रबींद्रनााथ् टैगोर के कार्यो का फ्रेंच मे अनूवाद करने वाले पहले व्यकित्थे 1921 मे पोर्टो मे स्पैनिश फलू वायरस व्दारा लाईफ जटिलताओं से उसकी मृत्यू हो गई थी | दंपति के कोई संतान नही थी | 15 सितंबर 1923 केा मेलो ने अपनी दूसरी पत्नी डेहेनहोफेन से स्विस स्कूल के युवा शिक्षक हेडविग बैचमैन से शादी कर ली थी | उनके छह बच्चे थे : अल्फेडो, यूरेजिया विक्टर, फ्रासिस्को पाडलो, क्रिस्टीना और मार्गेरिडा | उनके पूत्र अल्फ्रेडो बाचमन डी मेलो 1924-2010 एक प्रसिध्दा यात्रा लेखक और संस्मरणकार थे | जिन्होंने गोवा से पैटागोनिया के लिए एक ऑटो जीवनी लिखी थी : समय और स्थान पर हुए संस्मरण एक और बेटा, विक्टर फ्रोइलानो बछमन डी मेलो एक विश्वा प्रसिध्दा भूतकनकी इंजिनियर था | कार्य : फ्रिजियानो डी मेलो एक पुर्तगाली संसद मे एक गोवा पुर्तगाली माइक्राबायोलॉजिस्टा, चिकीत्सा वैज्ञानिक, प्रोफेसर, लेखक और एक स्वतंत्र सांसद थे | मेलो के शेक्षणिक कैरियर कि शूरुआत 1910 मे हुई थी | 23 वर्षे कि आयू मे जब उन्हे प्रतिष्ठित गोवा मेडिकल कॉलेज मे प्रोफेसर के रुप मे नियुक्त किया गया था | 1978-14 से उन्हेने पेरिस के सोरबोन विश्वाविदयालय मे एक सहायक प्रोफेसर के रुप कार्य किया था | 1921 मे पोर्टा विश्वाविघ्यालय के एक प्रोफेसर थे | मेलो को गोवा मेडिकल कॉलेज के निदेशक के पद पर पदोन्नात किया गया था | वैज्ञानिक अनूसंधान केंद्र के डीन बन गए थे | पुर्तगाली भारत के लिए सार्वजनिक स्वास्था प्रमूख के रुप मे भी कार्य किया था | उन्होंने 1922-23 तक कैंसर विल्हेम इंस्टीटयूट के ईधन बायोलॉजि, बर्लिन और मैक्स प्लैक इंस्टीटयूट, पोटसडेम जर्मनी मे पैरासाइटोलॉजी मे स्त्रातकोत्तार पाठयक्रम किया था | मेलो क्यूबा मे विश्वा कुष्ठा सम्मेलन के पुर्तगाली प्रतिनिधीमंडल के प्रमूख थे | उन्हे लखनऊ मे अखिल भारतीय स्वच्छता सम्मेलन और 19 वी तृतीय बैठक सहित कम से कम 40 विश्वा सम्मेलनों मे भाग लेने के लिए जाना जाता है | उष्णकटिबंधिय चिकित्सा मे उनके शोधो ने उन्हे अंतर्राष्ट्रीय ख्याती और पहचान दिलाई जो इस विषय पर एक विश्वाप्रसिध्दा विशेषज्ञ के रुप मे है | मेलो ने गोवा मे क्षयरोग को टूर करने के लिए और वेलहा गोवा से मलेरिया के लिए काम किया था | पूरस्कार और सम्मान : 1) मेलो रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल के सदस्या थे | 2) ग्रांउे ऑफिशियल दा ऑर्डेम डी एविज| 3) कॉमेन्डोर डी ऑर्डेम डी साओ टियागो| 4) कॉमेंडडोर डी ऑर्डेम डी बेनेरमेनिया | पुस्तके : 1) गोवा से पेटागोनिया :संस्मरण स्पैनिग टाइम्सा और रिक्त स्थान| 2) ओ कैटिको दा विदा न पोजिया टैगोरियाना | ( 12 ) 1 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 5