आर.एस. कृष्णान की जीवनी - Biography of R S. Krushnan in hindi jivani Published By : Jivani.org नाम : आर. एस. कृष्णान जनम तिथी : 23 सितंबर 1911 ठिकाण : त्रिशूर, भारत पत्नि : नारायणी कृष्णान व्यावसाय : भौतिक विज्ञानी, वैज्ञानिक सीएसआईआर प्रारंभिक जीवनी : आर. एस. कृष्णान का पूरा नाम रापाल संगमेश्वरन कृष्णान था | आर. एस. कृष्णान एक भारतीय प्रायोगकि भोतिक विज्ञानी और वैज्ञानिक थे | वह भारतीय विज्ञान संस्थान मे भौतिकी विभाग के प्रमूख और केरल विश्वाविघ्यालय के कुलपति थे | कृष्णान का जनम 23 सितंबर 1911 मे भारत मे त्रिशूर जिले के छोटे गांव रापाल मे हुआ था | उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानिय स्कूलो से प्राप्ता कि थी | उसके बाद उन्होंने सेंट जोसेफ कॉलेज तिरचिरापल्ली से बीए ऑनर्स मे स्त्रातक किया था | उन्हे इसके लिए 1933 मे रैंक हासिल कि थी | सन 1941 मे उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वाविघ्यालय से पीएचडी कि उपाधि प्राप्त कि थी | सी वी रमन और नॉर्मन फेदर उनके डॉक्टरल सलाहकार थे | उनका विवाह नारायणी कृष्णान के साथ हुआ था | कार्य : सन 1938 मे उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वाविघ्यालय के कैवेडिग प्रयोगशाला मे सर जॉन कॉक्रॉन्ट के तहत एक शोधकर्ता के रुप मे काम किया है | उनके शोधव्दारा साइक्लोट्रॉन के विकास और यूरेनियम और थोरीयम मे डयूटेरॉन प्रेरित विखंडन के अवलोकन मे साहयता मिली है | सन 1942 मे कृष्णान भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर के भौतिकी विभाग मे शामिल हुए थे | सन 1948 मे उनहेांने भौतिकी विज्ञान विभाग के प्रमूख के रुप मे सन 1972 तक संस्था कि सेवा कि है | सन 1973 मे कृष्णान केरल विश्वाविघ्यालय, तिरवनंतपूरम के कुलपति बने थे | वहाँ पर उन्होंने सन 1977 तक कार्य किया था | उन्होंने सेवानिवृत्ती के बाद भी राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशालाओं मे सन 1981 से 1990 तक एक विजिटिंग साइंटिस्टा के रुप मे कार्य किया है | रमन प्रभाव पर आगे काम करते हुए कृष्णान ने कोलाइडल कणों के बावजूद क्षैतिज घ्रूविकरण के साथ बिखरे हुए क्षैतिज घ्रूवीकृत प्रकाश कि तीव्रता के बीच पारस्परिक संबंधो का खोज करणे महत्वापूर्णकाम किया है | इसक कृष्णान पारस्परिकता प्रभाव के रुप मे भी जाना जाता है |इतना ही नही बल्की कृष्णान को हीरे मे व्दितीय आदेश रमन स्पेक्ट्रा और अलकली हैलीड मे शेध का श्रेय दिया जाता है | कष्णान ने हीरे क्रिस्टलीय और फयूजड क्वार्टज एल्यूमिना और अल्कली हैलाइडस मे ब्रिल्लिन स्केटरिंग जैसे अनेको प्रयोग किए है | ऐसे प्रयोग करने वाले वह पहले वैज्ञानिक थे | कृष्णान ने थर्मल विस्तार, लोचदार स्थिरांक और स्फटिको के फोटोलेस्टिक स्थिरांक पर जांच का दस्तावेजोकिरण भी किया था | कृष्णानव्दारा ही परमाणू भू वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग करके भारतीय रॉक संरचनाओं के डिेटिंग पर प्रयास शुरु किए गए थे | कृष्णान ने फेरो बिजली पर अंतराष्ट्रीय समिती के रुप मे काम किया था |वह रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी पर सम्मेलनों के लिए अंर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और सेमिनारो मे भारत का प्रतिनिधित्वा करने कार्य किया था |कृष्णान सीएसआईआर के एक एमेरिटस साइंटिस्टा थे | उपलब्धि : पूरस्कार/सम्मान : 1) सन 1944 मे कृष्णान को इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेज ने एक फेलो के रुप मे चुना था | 2) कृष्णान अमेरीका और लंदन इंस्टीटयूट ऑफ साइंस के भी सदस्या रहे है | 3) सन 1988 मे कृष्णान को सी वी रमन पूरस्कार प्राप्ता हुआ था | 4) 1984 मे उन्हें प्लेटिनम जुबली डिस्ट्रिक्टेड एलुमनी आवार्ड से सम्मनित किया गया था | 5) सन 1949 से 1955 तक कृष्णान भारतीय विज्ञान अकादमी परिषद के सदसय थे | पुस्तके/ग्रंथ : 1) 1957 मे प्रकाशित : रमन प्रभाव संगम 2) 1936-ऑप्टीकल ग्लास मे प्रकाश का बिखराज 3) 1947-क्रिस्टला का दुसरा क्रम रमन स्पेक्ट्रा 4) 1946- डायमंड पर दुसरा आदेश रमन स्पेक्ट्रा कृष्णान एक मोनोगाफ के लेखक भी थे | कृष्णान का 2 अक्टूबर 1999 को भारत मे कर्नाटक के बेंगलूरु शहर मे निधन हुआ है | ( 12 ) 0 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 0