गणेश प्रसाद की जीवनी - Biography of Ganesh Prasad in hindi jivani Published By : Jivani.org नाम : गणेश प्रसाद जमन तिथी : 15 नवंबर 1876 ठिकाण : बलिया, उत्तरप्रेदश व्यावसाय : गणितज्ञ मर गए : 9 मार्च 1935 प्रारंभिक जीवनी : गणेश प्रसाद का जनम 15 नवंबर 1876 को उत्तार प्रदेश के बलिया मे हुआ था | उन्होंने मूइर सेंट्रल कॉलेज इलाहाबाद से बीए कि डिग्री प्राप्ता कि थी | कलकत्ता के विश्वाविदयालयों से एमए कि डिग्री प्राप्ता कि थी | कलकत्ता के विश्वाविदयालयों से एमए कि डिग्री और डीएससी इलाहाबाद विश्वाविदयालयों से डिग्री हासिल कि थी | लगभग दो वर्षो तक इलाहाबाद के कायस्था पाठशाला और मुईर सेंट्रल कॉलेज मे पढाने के बाद, वे उच्चा अध्यायन और शोध के लिए कैम्ब्रिज चले गए थे | कैम्ब्रिज मे रहते हुए वह ईडब्ल्यू हॉब्सन और एंउर्यू फोर्सिस जैसे गणितज्ञों से परिचित हो गए थे | एडम्स पूरस्कार प्रतियोगीता के लिए असफल होने पर भी वह बैठे रहे | बाद मे वह गोटिंगेन चले गए जहाँ वह अर्नोल सोमरफेल्ड उेविड हिल्बर्ट और जॉर्ज कैंटर से जुडे थे | गोटिंगेन मे प्रसादन ने अपना पेपर शीर्षक पर लिखा था | गणेश प्रसाद ने लगभग पांच साल यूरोप मे बिताए | कार्य : गणेश प्रसाद एक भारतीय गणितज्ञ थे | जो क्षमता के सिध्दांत एक वास्तिविक चर के कार्यो के सिध्दांत फूरियर श्रृखंला और सतहों के सिध्दांत मे विशेष थे | भारत का गणितीय समूदाय गणेश प्रसाद को भारत मे गणितीय अनूसंधान का जनक मानता है | वे भारत के ग्रामीण क्षेत्रों मे प्राथमिक शिक्षा कि उन्नाति मे विशेष रुचि लेने वाले एक शिक्षक भी थे | प्रसाद 1904 मे यूरोप से भारत लौटे और इलाहाबाद के मुइर सेंट्रल कॉलेज मे गणित के प्रोफेसर नियुक्ता किए गए थे | इलाहाबाद मे उनकी नियूक्ति के एक साल के भीतर प्रसाद को महारानी कॉलेज, बनारस भेजा गया था | वे 1914 तक वहां रहे जब उन्हें कलकत्ता विश्वाविदयालय के गणित विभाग के प्रमूख के रुप मे आमंत्रित किया गया था | गणेश प्रसाद 1914 से 1917 तक कलकत्ता विश्वाविदयालय के अनूप्रयूक्त गणित के रास बिहारी घोष अध्याक्ष थे | उन्होंने बनारास हिंदू विश्वाविदयालय से गणित के प्रोफेसर 1917-1923 के रुप मे कार्य किया था | गणेश प्रसाद 1924 मे कलकत्ता गणितीय सोसायटी के अध्याक्ष और इंडियन एसोसिएशन फॉर एडंवासमेंट ऑफ साइंस कलकत्ता के उपाध्याक्ष चुने गए थे | गणेश प्रसाद ने गोलाकार हार्मोनिक्सा पर एक ग्रंथ और बेसेल और लंगडे के कार्य और गणित मे पचास से अधिक शोध पत्रों सहित 11 पुस्तके लिखी थी | गणेश प्रसाद ने उत्तारप्रेदश के ग्रामीण इलाकों सामान्या रुप से शिक्षा के प्रचार के लिए कडी मेहनत कि थी | उत्तरप्रेदश के गांवो मे अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा कि शुरुवात करने मे उनका महत्वापूर्ण योगदान था | उन्होंने इलाहाबाद और बनारस विश्वाविदयालयों को बडी मात्रा मे धनराशी दान कि थी | ( 12 ) 0 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 0