गुरुचरण सिंह कलकत की जीवनी - Biography of Gurucharan Singh Kalkat in hindi jivani Published By : Jivani.org नाम : गुरुचरण सिंह कलकत जन्म तिथी : 17 जून 1926 ठिकाण : पंजाब, ब्रिटीश भारत व्यावसाय : कृषि वैज्ञानिक मृत्यू : 27 जनवरी 2018. प्रारंभिक जीवनी : गुरुचरण सिह का जन्म 17 जून 1926 केा भारतीय राजया पंजाब मे हुआ था | उन्हेांने 1947 मे पंजाब एग्रीक्लचर कॉलेज, लायलपूर से कृषि मे स्त्रातक किया था | और 1956 मे पंजाब विश्वाविघ्यालय से कृषि मे स्त्रातकोत्तार कि उपाधि प्राप्ता कि थी | कार्य : गुरुचरण सिंह कलकट एक भारतीय कृषि वैज्ञानिक है | वह पंजाब राजय किसान आयोग पीएसएफई के संस्थापक अध्याक्ष थे | जो पंजाब मे हरित क्रांती लाने मे उनके योगदान के लिए जाने जात थे | उन्हेांने कृषि एंटोमोलॉजी मे पीएचडी प्राप्त कि कि थी | अमेरिका से लौटकर, उन्हेांने 1960 मे पंजाब सरकार के साथ कृषि उपनिदेशक के रुप मे अपना करियर शुरु किया था | और 1991 मे निदेशक बने थे | दो साल बाद उनहें नई दिल्ली मे कृषि आयूक्ता के रुप मे भारतीय कृषि मंत्रालय मे स्थानांतरित कर दिया गया था | वाशिंगटन डिसी कार्यकाल के बाद, विश्वा बैंक के वरिष्ठा कृषक के रुप मे भाग लेने की जिम्मेदारी के साथ कार्य किया था | 1988 मे पंजाब कृषि विश्वाविदयालय लुधियाना के कुलपति का पद संभालने के लिए भारत लौटे थे | 2001 तक वहाँ काम किया था | जब 2005 मे पंजाब रा्जया किसान आयेाग कि स्थापना कि गई थी | कलकत को इसके संस्थापक अध्याक्ष के रुप मे नियुक्त किया गया था | वह आन तक का पद है | कलकत्ता ने पंजाब कृषि विश्वाविदयालय और किसानों के बीच आधूनिक कृषि विधियों के तेली से प्रसार के लिए सहयोग शुरु करने के लिए जाना जाता है | उन्हें स्थानीय सहकारी समितीयों और पंजाब स्टैट को ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन के बीच समन्वय के लिए पहल करने का श्रेय दिया जाता है | कृषि आयूक्ता के रुप मे अपने कार्यकाल के दौरान उन्हेांने भारतीय कृषि अनूसंधान परिषद और राष्ट्रीय बीज निगम को विभिन्ना राजया कुषि काार्यक्रमो मे शामिल किया है | उन्हेांने नॉर्मन बोरलॉग के साथ भी काम किया है | उन्हेांने पंजाब रा्जया किसान आयेाग के संस्थापक अध्याक्ष पीएयू लूधियाना के पूर्व वाइस चांसलर के रुप मे कार्यकिया है | उनका संक्षिप्त बीमारी के बाद 27 जनवरी 2018 को पीजीआईएमईआर मे निधन हो गया | पूरस्कार और सम्मान : 1) भारत सरकारने उन्हें 1981 मे पदमश्री के नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया था | 2) छब्बीस साल बाद, उन्हे पदमभूषण पुरस्कार के लिए 2007 के पदम सम्मन सूची मे फिर से शामिल किया गया था | ( 12 ) 0 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 0