परसु राम मिश्रा की जीवनी - Biography of Parasu Ram Mishra in hindi jivani Published By : Jivani.org नाम : परसु राम मिश्रा जन्म ठिकाण : झारखंड भारत व्यावसाय : मृदा संरक्षणवादी पर्यावरणविद प्रांरभिक जीवनी : परसू राम मिश्रा एक भारतीय मृदा संरक्षणवादी और पर्यावरण विदू थे | परसू चंदीगढ केंद्र मे केंद्रीय मृदा और जल संरक्षण अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान सीएसडब्यूसीआरटीआय के प्रमूख थे | परसू राम मिश्रा को शिवलिक पहाडियों कि घाटी मे चंदीगढ के एक छोटे से गांव सुखोमाजारी के परिवर्तन के लिए श्रेय दिया गया था | कार्य : भारत मे चंदीगढ मे हिमालय कि तलहटी शिवलिक पहाडियों मे एक जलाशया है उसक नाम सुखना झाील है | सुखना झाील के एक दशक बाद ले कोर्बुसीयर व्दारा अवसाधरणा का निर्माण किया गया था उस समय यह पता चला था कि कांसल कोए एक मौसमी घारा के माध्याम से अवसादन झाील कि गहराई और आकार मे कमी का कारण बन रहा था | यह एक बडी समस्या थी | इसिलीए सन 1975 मे सीएसडब्यूसीआरटीआय ने एक टीम कि नियुक्ती कि गई थी | वहां परसू मिरा को परियोजना केा निदेशक के रुप मे चुना गया था | परसू मिश्रा ने उस समय लगभग तीन साल तक स्थानिक ग्रामीनों के साथ किया था | परसू ने लोगों केा स्थिती किगंभीरता के बारे मे शिक्षीतकिया था |उन्हेांने वर्षा जल संचयन के लिए मौसमी धारा मे दो चेक बांध बनाए | इतना ही नही बल्की ग्रामीणों को कृषि के लिए पानी उपलब्ध कराया | उनके व्दारे सामाजिक बाड लगाने के कार्यक्रम को लागू करने सफल रहे ग्रामीणो ने मवेशियों को चरने मे सफल रहे ग्रामीणों ने मवेशियों कि चरनें से बनाने वाले बाड लागए | उनके प्रयासों के कारण हरियाना के वन विभाग और फोर्ड फाउंडेशन कि सहायता से उन्हेांने गांव को एक समृध्दा मे बदलने कि सूचना दि है | गांव मे विकास गतिविधीयों के लिए एक समान कि देखरेख मे रखा गया | परसू मिश्रा ने चक्री विकास प्रणाली कि एक नई अवधारणा को पेश किया था | इसमें एक योजना सें रिटर्न का हिस्सा अगली परियोजना को रजधानी बन जाता है | जिसे ग्रामीण रोजगार बढाने और गांव केा आत्मानिर्भर बनाने मे सहायता करने के लिए जाना जाता है | उपलब्धि : 1) परसू मिश्रा केंद्रीय मृदा और जल संरक्षण अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान सीएसडब्ल्यूआरटीआय के प्रमूख थे | 2) आयआयईडी ने सामाजिक अध्यायन के माध्याम से समाजिक सुरक्षा शीर्षक के तहत परसू मिश्रा व्दारा एक केस स्टडी रिपोर्ट प्रकाशित कि थी | और सुखोमातरी परियोजना कि सफलता को स्वीकार किया था | 3) भारत सरकार व्दारा उन्हें सन 2000 मे पघश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था | पुस्तक/ग्रंथ : 1) सन 1988 मे प्रकाशित द ग्रिनिंग ऑफ एड मे स्थायी जिविका| 2) परसू मिश्रा का सन 2001 मे निधन हुआ है | ( 20 ) 0 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 0