पोली रॉय की जीवनी - Biography of Polly Roy in hindi jivani Published By : Jivani.org नाम : पोली रॉय जन्म ठिकाण : कलकत्ता, भारत व्यावसाय : प्रोफेसर प्रारंभिक जीवनी : पोली रॉय ओबीई लंदन सकूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन मे एक प्रोफेसर और वायरोलॉजी के अध्याक्ष है | वह कई स्कूलो मे सहभागी थी | कोलंबिया विश्वाविघ्यालय मेडिकल स्कूल, रटगर्स विश्वाविघ्यालय, अलबामा विश्वाविघ्यालय और ऑक्साफोर्ड विश्वाविघ्यालय शामिल थी | पोली रॉय का जन्म भारत मे कलकत्ता शहर मे हुआ है | पोली रॉय ने अपनी शिक्षा कलकत्ता भारत मे शुरु कि थी | इसके बाद उन्हे न्यूयॉर्क् विश्वाविघ्यालय मे अध्यायन करने के लिए छात्रवृत्ती मिली थी | उन्हेांने न्यूयॉर्क् विश्वाविघ्यालय से आणविक वायरोलॉजी मे पीएचडी प्राप्ता कि है | उन्होंने रटगर्स विश्वाविघ्यालय मे वाक्सामेन इंस्टीटयूट ऑफ मायक्रोबायलॉजी मे आरएनए वायरोलॉजी मे डॉक्टरेट कि उपाधि प्राप्ता कि है | कार्य : रॉय अपनी पोस्टा डॉक्टरेल के बाद, अपना ब्लू टेंगू वायरस अनुसंधान समूह शुरु करने के लिए बर्मिधम के अलबामा विश्वाविघ्यालय मे गई थी | सन 1987 मे वह बर्मिघम मे अलबामा विश्वाविघ्यालय मे प्रोफेसर के रुप मे कार्यरित हुई | सन 1997 मे उन्हेांने ऑक्साफोर्ड विश्वाविघ्यालय मे दूसरी वायरोलॉजी लैब स्थापति कि है | सन 2001 मे रॉया पॉली लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसीन मे पैथोजन मॉलिक्यूलर बायोलॉजी विभाग मे एक वायरोलॉजी प्राफेसर के रुप मे कार्यरीत रही है | वहॉ पर वे एक शोध समुह का नेतृत्वा करणे का कार्य भी करती है | रॉया ने बुनियादी आणविक और कोशिका जीव विज्ञान, प्रतिकृति और विभिन्ना वायरस के संचरण पर समझा मे सुधार कियो है | उनके शोध से डायग्नेस्टिक एसेज के विकास मे प्रगति हुइ है | जैसी कि अधिक प्रभावकारी वायरस जैसे प्रोटीन पीलएपी के टी के ब्लुगॉन्गा और अफ्रीकि हॉर्स सिकनेस वायरस एएचएसवी के लिए टीके और इन रोगो से सबंधित अन्या समझा प्रदान करने के लिए बहू अनुशासनात्माक दृष्टीकोन का इस्तेमाल किया है | रॉय के वर्तमान शोध मे आगविस्ता पर ब्लू जीभ आयरस के आसपास एक स्पष्ट समझा प्रापता करना, ब्लूनेटॉन्ग वायरस और अफ्रीकि प्रार्स बिमारी वायरस एरएनए इंटरैक्शन और पैकेजिंग सेल प्रिविष्टी और गैर लिफाफा डीएसआरएन के प्रतिलेखन सक्रियण के लिए टी के विकसित करने कि क्षमता शामिल है | पॉली रॉय वायरोलॉजी कि कुर्सी होने के साथ साथ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी कोर्स कि सह आयोजक भी है | रॉय का सबसे बडा योगदान वायरस रिसर्च पर रहा है | उपलब्धि : 1) 2006 मे डॉ पॉली को वायरस असेंबली मे सम्मेलन के लिए चिकित्सा विज्ञान अकादमी का फेलो चुना गया था | 2) सन 2012 से उन्हें वरिष्ठा अन्वेषक पूरस्कार प्रापता हुआ है | 3) सन 2012 मे डॉ पॉली को भारतीय कॉग्रेस के महासचिव का स्वर्ण पदक मिला है | 4) डॉ पॉली रॉय को उनके वायरस रिसर्च के लिए सन 2012 के बर्थर्ड ऑनर्स मे ऑर्डर ऑफ द ब्रिटीश एम्पायर ओबीई के अधिकारी होणे का अवसर मिला है | 5) सन 2014 मे डॅा पॉली जीवविज्ञान सोसाइटी कि निर्वाचित फेलो थी | पूस्तक/ग्रंथ : 1) डॉ पॉली ने अपने शोध को लगभग 300 शोध पत्रों मे प्रकाशित कियाहै | सन 1991 मे प्रकाशित पुस्तक टुवर्डस द कंन्ट्रोल ऑफ इमरर्जिंग ब्ल्यूनेटॉन्ग् डिसीज ( 20 ) 0 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 0