माधव धनंजय गाडगिल की जीवनी - Biography of Madhav Dhananjay Gadgil in hindi jivani Published By : Jivani.org नाम : माधव धनंजय गाडगिल जन्म : 27 मई 1942 ठिकाण : पुणे, महाराष्ट्रा पिता : धनंजय रामचंद्र गाडगिल व्यावसाय : परिस्थितिकिविज्ञानी, अकादमीक लेखक प्रारंभिक जीवन : माधव धनंजय गाडगिल का जन्म 27 मई 1942 को पूणे महाराष्ट्रा मे हुआ था | उनके पिता का नाम धनंजय रामचंद्र गाडगिल और माता का नाम प्रमिला गाडगिल है | माधव धनंजय गाडगिल एक भारतीय परिस्थितिकीविज्ञानी अकादमिक लेखक, स्तंभाकार है | इतना ही नही बल्की पो भारतीय विज्ञान संस्थान के तत्वावधान मे एक अनुसंधान मंच केंद्र के संस्थापक है | माधव गाडगिल ने सन 1963 मे महाराष्ट्रा राजया के पुणे विश्वाविदयालय के फर्ग्यूसन कॉलेज से जीवविज्ञान मे स्त्रातंक किया है | सन 1965 मे मुंबई विश्वाविध्यालय से प्राणीशास्त्रा में उन्हें स्त्रातकोत्तार उपाधि प्राप्ता हुई है | सुलचना मौसम विज्ञानी और हार्वड की विव्दान रही है | इनके दो बच्चे है बेटा गणितज्ञ है और बेटी एक पत्रकार सह स्पेनिश शिक्षक भी है | गाडगिल हार्वर्ड विश्वाविदयालय मे नाइल्सा मीड व्दारा शामिल हुऐ और फांर वे हार्वर्ड म्यूजियम ऑफ कम्पेरेटिव्हा जूलॉजी मे मछलियों के क्यूरेटर बने | उसके बाद ईओ वे प्रभावित हुए और उन्होंने गणितीय परिस्थितिकी और मछली पर डॉक्टरेट अनुसंधान किया | सन 1969 मे उनके पीएचडी की उपाधि दी गई | कार्य : 1) गाडगील ने हार्वर्ड कम्यूटिंग सेंटर मे एक रिसर्च फेलो के रुप मे अपना कार्य उन्हें फेलोशिप प्राप्ता हुई और उन्होंने वहॉ विश्वाविध्यालय मे दो साल तक जीवविज्ञान के व्याख्याता के रुप मे काम किया है | 2) 1971 मे भारत आने के बाद वे दो साल तक वे महाराष्ट्रा एसोसिएशन फॉर कल्टीवेशन ऑफ साइंस पुणे के अग्रहार रिसर्च इंस्टीटयूट मे वैज्ञानिक अधिकारी रुप मे कार्यरत हुए गाडगील ने आयआयएससी इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ साइंन्सा मे दो शोध केंद्रो की स्थापना की है | सैध्दांतिक अध्यायन केंद्र और परिस्थीतीक अध्यायन केंद्रा 3) गाडगील ने स्टैनफोर्ड विश्वाविदयालय सन 1991 मे और कैलिफोर्निया विश्वाविदयालय बर्कले मे सन 1995 मे एक विजिटींग प्रोफेसर के रुप मे काम किया है | सन 1986 मे उन्हें भारत के प्रथानमंत्री पद के लिए वैज्ञानिक सलाहाकार परिषद के सदस्या के रुप मे नियुक्त किया गया था वे सन 1990 तक इस पद पर रहे जो उस समय उन्होंने पहला बायोस्फांयर रिसर्च स्थापित करने के प्रयासों मे सहायता की | सन 1998 मे उन्हे संयुक्त राष्ट्रा के तहत एक एजेंसी गाडगिल केा जनसंख्या जीव विज्ञान संसक्षण, जीवविज्ञान, मानव परिस्थितिकी और परिस्थितिक इतिहास के क्षेत्रों मे व्यापक शोध करने के कार्य कि लिए जाना जाता है | उपलब्धि : सम्मान/पूरस्कार : 1) सन 1984 मे आयएनएसए मे और सन 1990 को नासा ने गाडगिल को फेलो के रुप मे चुना इतना ही नहीबल्की वे टीडब्यूएएस के भी फेलो है | 2) पर्यावरण और वन मंत्रालय व्दारा राष्ट्रीय पर्यावरण फैलोशिप उन्हे प्राप्ता हुई है | 3) सन 1981 मे उन्हे भारत सरकार व्दारा पघश्री पूरस्कार दीया गया | 4) 1983 मे उन्हे कर्नाटका रा्जया सरकारव्दारा रा्जयोत्साव प्रशस्तिसे सम्मानित किया गया 5) हार्वर्ड युनिवर्सिटी से उनहे 2002 मे हार्वर्ड सेंटनियल मेडल प्राप्ता हुआ है 6) सन 2006 को भारत सरकारव्दारा पघभूषण मिला 7) सन 2014 को टीइआरई ने जॉर्जेसकु रोगेन पूरस्कार से सम्मानित किया 8) गाडगिल को विक्रम साराभाई और इंध्वरचंद्र विध्यासागर पूरस्कार भी प्राप्ता हुआ है पूस्तके : गाडगिल के शोध को विभिन्न पत्रीकाओं और 205 से अधिक वैज्ञानिक लेखो व्दारा प्रलेखित किया गया है | 1) गालगिल लिखित पुस्तक द फिशर्ड लैंड उनकी पहली पूस्ताक है | 2) परिस्थितिकी और समानता समकालीन भारत मे प्रकृति का उपयोग और दुरुपयोग यह गाडगिल और उनके साथी के साथ लिखित है | 3) गाडगील ने एक मैन्यूअल प्रकाशित किया है उसका नाम पीपुल्सा बायोडाय वर्सिटी रजिस्टार ए मेथोडॉली जी है | 4) गाडगिल मराठी दैनिक सकाल मे एक मासिक कॉलम संभालते है | ( 6 ) 0 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 0