नवरत्न श्रीनिवास राजाराम की जीवनी - Biography of Navaratna Srinivasa Rajaram in hindi jivani Published By : Jivani.org नाम : नवरत्न श्रीनिवास राजाराम जनम : 1943 ठिकाण : मैसूर, भारत व्यावसाय : हिंदूत्वा विचारक प्रारंभिक जीवन : नवरत्न श्रीनिवास राजाराम भारत आधारित हिंदूत्वा विचारक थै | उनका जन्म 1943 मे मैसूर मे हुआ था | उनके दादा नरत्न् रामराव एक औपनिवेशिक विव्दान और क्षेत्रीय प्रसिध्दी के शाश्वात लेखक थे | राजाराम ने पीएचडी की शिक्षा इंडियाना विश्वाविदयालय से की है | जिसमें केंट युनिवसिटी और लॉकहीड कॉरपोरेशन मे स्टैंस शामिल है | उन्होंने भारत मे एक इंजीनियर के रुप मे अपने पेशेवर करियर की सुरुवात की | कार्य : राजाराम ने प्राचीन भारतीय इतीहास और भारतीय पुरातत्वा से संसंधीत विषयों पर बडे पैमाने पर प्रकाशित किया था | जिसमें इंडोलॉजी और संस्कृत छात्रवृत्ति मे एक युरोसेस्ट्रिक पूर्वाग्रह का आरोप लगाया और इसि कारण स्वादेशी आर्ये यानीजिसे ऑउट ऑफ इंडिया सिध्दांन्ता के रुप मे माना जाता है | इसपर उन्होंने बहस की उन्होने उस प्रक्रीया की आलोचना की जिसके व्दारा उन्होंने कहा था कि 19 वी सदी मे इंडोलॉजिस्टा/मिशनरी अपने कई निष्कर्षेा पर पहॅुंचे | नवरत्न् श्रीनिवास राजाराम भाषाओं पर कि गई बहस के कारण और भारतीय इतिहास के जिज्ञासु वैज्ञानिक शक्ति के माध्याम से आक्रमण मिथक के विनाश मे अपना बहूत बहुमख्या योगदान दिया था अत उन्हें महान लेखकों मे से एक वॉयस ऑफ इंडिया कहा जाता था | उन्होंने इंडियाना विश्वाविदयालय से पीएचडी की थी | इसलीए उन्होंने अमेरिकी विश्वाविदयालय मे लगभग 20 साल तक पढायाँ है | उनकी वैज्ञानिक पृष्ठभूमिक ने उन्हें प्राचीन भारतीय इतिहास की समस्याओं के लिए जागृत किया और आगे चलकर वह उसके उन्ही समस्याओं संबंध उनकी रुची बढती रही | जो बाद मे उनका मूख्या व्यावसाय बन गया | फिर उन्होंने विज्ञानदृष्टीकोन रखते हुऐ, आर्य आक्रमण सिध्दांत को नष्टा करने मे मदद की | आर्यो के स्वादेशी मूल को अपना समर्थन दिया | उनके पुस्ताक है एक धोखे मे प्रोफाइल आयोध्या और मृत सागर स्क्रॉल इस पुस्ताक मे उन्होंने परिदृश्यों की तुलना की है | इससे यह सारांश होता है की, कैसे शीशु की कहानी शायद एक धोखा है | जो मृत सागर स्क्रॉल पर आधारित है | ठीक इसी तरह वामपंथी इतिहासकार की पृष्ठी की गयाी है | दोनों मामलों मे एक पैगंबरी एकेश्वरवादी विचार धारा एक मुर्तिपुजक संस्कूति की पवित्र स्थल की खोज करती है | बल की, सरासर शक्ति के माध्याम से विभिन्ना गैर सरकारी संगठनों और मिडीयाव्दारा उनकी सोवा मे लगाये गए झाुट के साथ मिलकर, मुर्तिपूजक पिडित का प्रदर्शन करती है | वह वॉयस ऑफ इंडिया के पहले लेखक भी है | वैदिक आर्यन और सभ्याता की उत्पात्ती इस पुस्ताक के लेखक डेविड लॉलीव्दारा वह भी सहलेखक थे | इस पुस्ताक मे लेखक गणित के माध्याम से यह सिदूध करते है, की हडप्पा संस्कूती याने वैदिक संस्कृती की वंशज है | उन्होंने इस पुस्ताकव्दारा हडप्पा संस्कृती और वैदिक संस्कृती वास्तुकला मे उपयोग की हुई गणितीय इकाइयों का विश्लेषण किया और दोन्हो की तुलना की गयी है | वह राजाराम ही है , जिन्होंने हमे बताया की कैसे इसाई धर्म भारत भारत को इसाई धर्म मे परिवर्तीत करने का लक्ष्या योजना था | और ठीक उसी तरह कही चीनों का उपयोग करता था | राजाराम की हरएक पुस्तकोंव्दारा हमे उनका हिंदू दृष्टिकोन व्याक्गित होता है | यह ऐसा कार्य है जो की, हिंदू कार्यकर्ताओ की एक पीढी को प्रेरित करने मे कामयाब रहा है | उन्होंने इंडो आर्यन प्रवासन सिध्दांत को खारित कर दिया | राजाराम ने कहा की इस्लामी धर्मग्रंथो ने सामाजिक आर्थिक असमानताओं के बजाय इस्लामी कटटारवाद मे अधिक जटिल भूमिका निभाई है | भारतीय पुरातत्वा सोसायटी की पत्रिका पुरातत्वा मे राजाराम ने दावा की, धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा एक बहुलवादी राजया के लिए अप्रासंगिक है | उनका यह कहना था की, प्राचीन हिंदू भारत एक धर्मनिरपेक्ष राजया था | उन्होंने सिंधूलिपी को विघटित करने और उसे स्वार्गीय वैदिक संस्कृत के समतुल्या होने का दावा भी किया था | उपलब्धि : पूस्तकें : राजाराम लिखित वॉयस ऑफ इंडिया पब्लिशिंग हाउस से उनके प्रकाशनों के लिए उल्लेखनीय है | एनएस राजाराम की किताबे : 1) नास्त्रेदमस और युग संधि से परे 2) सरस्वती नदी और वैदिक सभ्याता – इतिहास विज्ञान और राजनिति 3) इतिहास की राजनीती आर्यन आक्रमण सिध्दांत और विव्दता का पराभव 4) छिपे हुए क्षितिज ने भारतीय संस्कृति के 10,000 वर्षेा का खुलासा किया 5) दशांश सिंधू लिपी 11 दिसंबर 2019 को नवरत्ना श्रीनीवास राजाराम का निधन हो गया | ( 14 ) 0 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 0