अचला मौलिक की जीवनी - Biography of Achala Moulik in hindi jivani Published By : Jivani.org नाम : अचला मौलिक जनम दि : 1 जुलाई 1941 ठिकाण : बंगाल पती : मोहनदास मूसा आयएएस व्यावसाय : भारतीय लेखिका प्रारंभिक जीवनी : अचला मुलिक इनका जन्म 1 जुलाई 1941 मे लीला मजूमदार मुलिक और पिता डॉ मोनी मुलिक इनके घर मे हुआ था | वह एक भारतीय लेखिका और पूर्व नौकरशाह है , जिन्हेांने भारत सरकार के शिक्षा सचिव 1993 से 1994 तक भारतीय पुरातत्वा सर्वक्षण के महानिदेशक और जनवरी से कर्नाटक सरकार के अतिरिक्ता मुख्या सचिव के रुप मे कार्य किया | जून 2001, 2003 मे मौलिक ने रुसी साहित्या का बढाया देने के लिए सर्गेई यासेनिन पूरस्कार जीता था | 1 जूलाई 1941 को एक अच्छी तरह से करने वाले बंगाली परिवार मे जन्मे मुलिक को संयुक्ता राजया अमेरिका ब्रिटेनन और इटली मे लंदन विश्वाविदयालय से स्त्रातक की पढाई की अपनी पढाई पूरी करने पर मुलिक ने भारतीय सिविल सेवा परिक्षा लिखी और 1964 मे भारतीय प्रशासकीय सेवा मे शामिल हुए | उनका विवाह मोहनदास राजशेखरन मूसा आयएएस रंगून मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज युनिवर्सिटी ऑफ मद्रास बी ए प्रथम श्रेणी अर्थशास्त्रा गणित, राजनिति, विज्ञान अंग्रजी मद्रास विश्वाविदयालय एम ए पहले के वर्षा मे उन्होने नियमित रुप से पुस्ताक समीक्षा लिखि| उनके शौक मे शतरंज खेलना, पक्षी देखना पुरानी और दर्लेक्ष पुस्तके एकत्र करना शामिल था | उनकी लगभग 3000 पुस्ताकों का पुस्ताकालय आयएएस पुस्ताकालय बैंगलोर को दान कर दिया गया है | मोहनदास मुसा एक फिटनेस व्याक्ति थे वह तैरना पसंद करता था और स्विमिग पूल समुद्र मे जहाँ भी वह तैर सकता था उन्होंने धुडसवारी पसंद की और धूडसवारी के पुरस्कार जीते उन्होंने पहाड पर चढाई की काश्मीर और लढाख मे वह करदुंग ला जोजिला दर्श जास्कर मठ जैसे बिना ऑक्सिजन पैशफर्नालिया के उंची चोटियों पर चढ गया | गुलमर्ग मे फिर से स्की आईएनजी और कुछ ढलानों व्दारा स्की आईएनजी व्दारा इसका उदघाटन किया निधन से पहले उन्होंने रामकृष्णा मिशन, मदर तेरेसा फाउंडेशन और होम फॉर द एजेड को दान दिया | कार्य : मुलिकने 2001 मे अपनी सेवानिवृत्ति तक आयएएस मे कार्य किया | उन्होंने शिक्षा और युवा सेवा विभाग मे संयुक्त सचिव और कर्नाटक रा्जया अभिलेखकार के निदेशक के रुप मे कार्य किया | जब एएसआई के तत्कालीन महानिर्देशक पुरातत्वाविद एमसी जोशी ने बाबरी मस्जिद एक संरक्षित स्मारक विध्वांस से बचाने के लिए एएसआई की विफलता के लिए जिम्मेदारी से इस्तीफा दे दिया तो भारत सरकार ने उन्हे सफल होने के लिए मौलिक नियुक्त किया | अचला मौलिक पर पर कब्जा करने वाली पहली भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी थी | मौलिक की महानिदेशक के रुप मे नियुक्ती ने सर्वक्षण मे पेशेवर पुरातत्वाविदों के विरोध को जन्म दिया जिन्होंने महसूस किया कि केवल एक पेशेवर पुरातत्वाविद ही इस पद के लिए उपयुक्ता था | उन्हें गिरवी रखने के लिए, सरकार ने पूर्व उपयुक्ता था उन्हे व्यक्तिगत प्रतिव्दंव्दिता के कारण यह व्यावस्था काम नही कर पाई | जोशी का एएसआई मे पुरातत्वाविंदों से समर्थत मिला और मुलिक को बाहर करने की कोशिश की गई लेकिन अल्पाविधी के बाद कर्नाटक मे स्थानांतरीत कर दिया गया और एसके महापात्रा ने सफलता हासिल कि | 2013 तक एएसआई का नेतृत्वा सिविल सेवकों व्दारा किया जाता रहा | मूलिक को जनवरी से जून 2001 तक कर्नाटक सरकार के अतिरिक्ता मुख्या सचिव के रुप मे कार्य किया गया | तत्कालीन मुख्या सचिव एस के भटटाचार्य की सेवानिवृत्ती पर मुलिक को पद की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और अंतत सेवानिवृत्ता हो गए | पूरस्कार और सम्मान : 1) 2011 मे रुसी साहित्या और संस्कूती पर मेरे काम की मान्याता मे मैने राष्ट्रपती दिमित्री मेदेवेदेव से रुस के विभिन्ना पहलुओं पर लिखने के लिए गैर रुसियों को दिया जाने वाला सर्वोच्च् पूरस्कार, पुश्लिन पदक प्राप्ता किया | 2) राष्ट्रापति दिमित्री मेदवेदेव अचला मौलिक को पुश्किन पदक प्रदान करते हुए 14 नोव्हे 2011 3) 2013 मे रुसी संस्कृति पर काम के लिए सर्गेई येनिनि पुरस्कार मिला पूस्तकें : 1) रुसी साहित्या के सिल्हूटस मैसूर विश्वाविदयालय प्रेस 1976 2) इतालवी साहित्या के अमर विकास प्रकाशक 1988 3) सभ्याताओं के संवाद विलियम जोन्सा और ओरिएंटलिस्टापति मोहनदास मुसा आयएएस सेवानिवृत्ता 4) एलडोरेडो रिविजिडेट ए क्लचरल हिस्ट्री ऑफ स्पेन इंडिया बुक हाऊस 1982 और पालग्रेव मैकमिलन 1983 और 19981 5) द मिलेनियम युबीएस पब्लिशर्स 1999 के साहित्यीक टाइटन्सा ( 6 ) 0 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 0