धर्मेन्द्र जीवनी - Biography of Dharmendra in Hindi Jivani Published By : Jivani.org धर्मेन्द्र हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता हैं। इनकी पत्नी हेमा मालिनी, पुत्र बॉबी द्योल और सनी द्योल भी फ़िल्मों में काम करते हैं। धर्मेन्द्र 2004 से 2009 तक बीकानेर से भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा सांसद थे। वे फगवाड़ा में पंजाब राज्य के कपूरथला जिले में पैदा हुए थॆ। धर्मेंद्र नॆ दो बार शादी की और अपनी दोनों पत्नियों को बनाए रखा है।हेमा मालिनी से शादी करने के लिए धर्मेन्द्र ने इस्लाम धर्म अपना लिया। उनकी पहली शादी प्रकाश कौर से 19 वर्ष की उम्र में 1954 में हुई। उनकी दूसरी शादी बॉलीवुड अभिनेत्री हेमा मालिनी के साथ हुई। असल में धर्मेन्द्र का गाँव जिला लुधिआना के अंतर्गत साहनेवाल है। जो अब कसबे का रूप ले चुका है। धर्मेन्द्र की पढाई फगवाडा के आर्य हाई स्कूल एवं रामगढ़िया स्कूल में हुई. ये उनकी बुआ का शहर है। जिनका बेटा वीरेंदर पंजाबी फिल्मों का सुपर स्टार तथा प्रोड्यूसर डायरेक्टर था। आतंक के दौर में लुधिआना में ही फिल्म जट ते ज़मीन की शूटिंग के दौरान आतंकियों ने गोली मार कर उनकी हत्या कर दी थी। Dharmendra फिल्मफेयर मैगज़ीन न्यू टैलेंट अवार्ड जीतने के बाद पंजाब से मुंबई काम ढूंढने के इरादे से आये थे। 1960 में अर्जुन हिंगोरानी की आई फिल्म दिल भी तेरा हम भी तेरे से उन्होंने बॉलीवुड में डेब्यू किया था। इसके बाद 1961 में आई फिल्म बॉय फ्रेंड में वे सह-कलाकार की भूमिका में नजर आये और फिर 1960 से 1967 के बीच उन्होंने कई रोमांटिक फिल्मे की। उन्होंने नूतन के साथ सूरत और सीरत (1962), बंदिनी (1963), दिल ने फिर याद किया (1966) और दुल्हन एक रात की (1967) में काम किया है और माला सिंह के साथ अनपढ़ (1962), पूजा के फूल (1964), बहारें फिर भी आएँगी में काम किया है और नंदा के साथ आकाशदीप, सायरा बानू के साथ ‘शादी’ और आयी मिलन की बेला (1964) और मीना कुमारी के साथ मैं भी लड़की हूँ (1964), काजल (1965), पूर्णिमा (1965) और फूल और पत्थर (1966) में काम किया है। फूल और पत्थर (1966) में उनका एकल किरदार था, जो उनकी पहली एक्शन फिल्म भी थी और इसी फिल्म से लोग उन्हें एक्शन हीरो के नाम से पहचानने लगे थे और इसके बाद उन्होंने 1971 में आई एक्शन फिल्म मेरा गाँव मेरा देश की। फूल और पत्थर 1966 की हाईएस्ट-ग्रोसिंग फिल्म साबित हुई और धर्मेन्द्र को इसके लिये बेस्ट एक्टर का फिल्मफेयर में पहला नॉमिनेशन भी मिला था। फिल्म अनुपमा में उनके किरदार और अभिनय की लोगो ने काफी तारीफ की।वुन्होने 1975 से रोमांटिक और एक्शन दोनों तरह की फिल्मे की और इसी वजह से लोग उन्हें बहुमुखी अभिनेता कहते थे। इस समय में उन्होंने कई कॉमेडी फिल्मे भी की जिनमे तुम हसीं मै जवान, दो चार, चुपके चुपके, दिल्लगी, नौकर बीवी का शामिल है। उनकी सबसे सफलतम सह-कलाकारा हेमा मालिनी थी, जो बाद में उनकी पत्नी भी बनी। इन दोनों ने कई फिल्मो में एक साथ काम किया है जिनमे राजा जानी, सीता और गीता, शराफत, नया ज़माना, पत्थर और पायल, तुम हसीन मैं जवान, जुगनू, दोस्त, चरस, माँ, चाचा भतीजा, आज़ाद और शोले शामिल है। इंडिया टाइम्स ने शोले फिल्म को “टॉप 25 मस्ट सी बॉलीवुड फिल्म ऑफ़ ऑल टाइम” भी बताया। 2005 में 50 वे एनुअल फिल्मफेयर अवार्ड के जज ने शोले फिल्म को फिल्म फेयर बेस्ट फिल्म ऑफ़ 50 इयर का अवार्ड भी दिया। 1974 से 1984 के दरमियाँ आई ज्यादातर एक्शन फिल्मे धर्मेन्द्र ने ही की, जिनमे धरम-वीर, चरस, आज़ाद, कातिलों के कातिल, ग़ज़ब, राजपूत, भागवत, जानी दोस्त, धर्म और कानून, मैं इन्तेकाम लूँगा, जीने नहीं दूंगा, हुकूमत और राज तिलक शामिल है। राजेश खन्ना के साथ उन्होंने 1986 में बी फिल्म मोहब्बत की कसम की थी। उन्होंने बहुत से डायरेक्टरो के साथ काम किया है, जिनके साथ उन्होंने अलग-अलग तरह की फिल्मे की है। उनका सबसे लंबा सहयोग डायरेक्टर अर्जुन हिंगोरानी के साथ 1960 से 1991 तक रहा। बतौर अभिनेता दिल भी तेरा हम भी तेरे धर्मेन्द्र की पहली फिल्म थी। इसके बाद अर्जुन और धर्मेन्द्र ने कब? क्यु? और कहाँ?, कहानी किस्मत की, खेल खिलाडी का, कातिलों का कातिल और कौन करे कुर्बानी में साथ-साथ काम किया। इसके बाद उन्होंने डायरेक्टर प्रमोद चक्रवर्ति के साथ नया ज़माना, ड्रीम गर्ल, आजाद और जुगनू में साथ-साथ काम किया। इसके बाद धर्मेन्द्र ने फिल्म यकीन (1969) में दोहरी (हीरो और विलन) भूमिका निभाई, इसके बाद समाधी (1972) में पिता और पुत्र, गज़ब (1982) में जुड़वाँ भाई और जीओ शान से में ट्रिपल रोल में नजर आये थे। धर्मेन्द्र ने कपूर परिवार में पृथ्वीराज और करीना कपूर को छोड़कर सभी के साथ काम किया है। इसके साथ ही उन्होंने अपनी स्थानिक भाषा पंजाबी में भी, कंकन दे ओले (मेहमान की भूमिका) (1970), दो शेर (1974), दुःख भजन तेरा नाम (1974), तेरी मेरी इक जिन्दरी (1975), पुत्त जट्टां दे (1982) और कुर्बानी जट्टां दी (1990) जैसी फिल्मे की। 1980 और 1990 के बीच उन्होंने बतौर मुख्य अभिनेता और बतौर सह-कलाकार कई फिल्मे की। 1997 में उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला। दिलीप कुमार और उनकी पत्नी सायरा बानू के हाँथो से अवार्ड लेते समय धर्मेन्द्र भावुक हो गए थे और उन्होंने कहाँ की बहुत सी सफल और सुपरहिट फिल्मे करने के बावजूद कभी उन्हें बेस्ट एक्टर का फिल्मफेयर अवार्ड नही मिला और अबतक वे 100 से भी ज्यादा सफल फिल्मे कर चुके है। इस मौके पर दिलीप कुमार ने कहाँ की, “जब कभी भी मै भगवान से मिलूँगा तब मै उनसे एक ही शिकायत करूंगा की उन्होंने मुझे धर्मेन्द्र जितना खुबसूरत क्यु नही बनाया?” । इसके बाद उन्होंने प्रोडक्शन में भी हाँथ आजमाया, उन्होंने अपने दोनों बेटो को फिल्म में लांच किया, सनी देओल को बेताब (1983) में और बॉबी देओल को बरसात (1995) और भतीजे अभय देओल को सोचा ना था (2005)। इसके साथ ही वे अपनी फिल्म सत्यकाम (1969) और कब क्यु और कहाँ (1970) के प्रेसेंटर भी थे। प्रिटी जिंटा ने एक इंटरव्यू में कहाँ था की धर्मेन्द्र ही उनके सबसे पसंदीदा अभिनेता है। वह चाहती थी की फिल्म हर पल (2008) में धर्मेन्द्र उनके पिता की भूमिका निभाए। 2003 से कुछ समय तक एक्टिंग से दूर रहने के बाद, बतौर अभिनेता 2007 में उन्होंने फिल्म लाइफ इन ए….मेट्रो और अपने की। उनकी ये दोनों ही फिल्मे दर्शको और आर्थिक रूप से सुपरहिट रही। इसके बाद वे अपने दोनों बेटो के साथ पहली बाद फिल्म में दिखे। इसके बाद उनकी दूसरी फिल्म जोहनी गद्दार थी, जिसमे उन्होंने एक विलन का किरदार निभाया था। 2011 में उन्होंने फिर अपने बेटो के साथ फिल्म यमला पगला दीवाना में काम किया जो 14 जनवरी 2011 को रिलीज़ हुई। इसके बाद उन्होंने इसका ही दूसरा भाग यमला पगला दीवाना 2 भी की जो 2013 में रिलीज़ हुई। अपनी बेटी ईशा और पत्नी हेमा के साथ धर्मेन्द्र 2011 में आई फिल्म टेल मी ओ खुदा में नजर आये थे। 2014 में उन्होंने पंजाबी फिल्म डबल दी ट्रबल में डबल रोल किया है। 2011 में धर्मेन्द्र ने साजिद खान की जगह प्रसिद्ध टीवी शो इंडिया गोट टैलेंट की के तीसरे संस्करण को जज किया है। 29 जुलाई 2011 को इंडिया गोट टैलेंट कलर्स पर आया था जिसकी शुरुवाती रेटिंग उसके पिछले दो संस्करणों से काफी ज्यादा थी। धर्मेन्द्र राजनीती में काफी सक्रीय है। 2004 के जनरल चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मेदवार के तौर पे वे राजस्थान के बीकानेर से चुनाव जीते और उन्हें पार्लिमेंट का सदस्य भी बनाया गया। अपने चुनावी अभियान के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण मुद्दों तक अपने विचार प्रकट किये थे और देश के लोगो को लोकतंत्र का अर्थ समझाने की कोशिश की थी। लेकीन इस दौरान उन्होंने कई आलोचनात्मक बाते भी की थी। संसद के सदस्य होने के बावजूद वे बहुत कम संसद जाते थे। क्योकि वे अपना ज्यादातर समय फिल्मो की शूटिंग और फार्म हाउस को ही देते थे। 1983 में देओल ने विजेता फिल्म के नाम से एक प्रोडक्शन कंपनी की शुरुवात की। बतौर प्रोड्यूसर उनकी पहली फिल्म बेताब थी जो 1983 में रिलीज़ हुई, जिसमे उनके बेटे सनी देओल मुक्य भूमिका में थे। उनकी यह फिल्म ब्लॉकबस्टर साबित हुई। 1990 में उन्होंने एक्शन फिल्म घायल प्रोड्यूस की जिसमे उन्ही के बेटे सनी देओल ने काम किया। इस फिल्म ने सात फिल्मफेयर अवार्ड जीते, जिनमे बेस्ट मूवी अवार्ड भी शामिल है। और मनोरंजन की श्रेणी में एक फिल्म ने नेशनल अवार्ड भी जीता है। ( 2 ) 0 Votes have rated this Naukri. 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