विश्वनाथन आनंद जीवनी - Biography of Viswanathan Anand in Hindi Jivani Published By : Jivani.org विश्वनाथन आनंद भारत शतरंज खिलाड़ी, अंतरराष्ट्रीय ग्रैंडमास्टर एवं पूर्व विश्व चैंपियन हैं। विश्वनाथन आनंद क जन्म ११ दिसम्बर १९६९ में हुआ था। विश्वनाथन आनंद् एक भारतीय शतरंज खिलाड़ी और वह एक भूत्पुर्व शतर्र्ंज विजेता हैं। आनंद ने पाँन्च बार विश्व शतरंज प्रतियोगिता जीते हैं और वह निर्विवाद विजेता रहे हैं। विश्वनाथन आनंद २००३ में फीडे विश्व शतरंज चैंपियनशिप में विश्व शतरंज बने और वह अपने समय के ड्रीड खिलाड़ी माने जाते हैं। सन १९८८ में विश्वनाथन आनंद भारत के ग्रांडमास्टर बने। उन्हें राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सबसे पहले सम्मानित किया गया जो कि भारत का सबसे माननीय खेल पुरस्कार है (सन १९९१-९२)। विश्वनाथन आनंद को सन २००७ में भारत का द्वितीय सबसे श्रेष्ठ नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण दिया गया, जिससे वे भारतीय इतिहास के सबसे पहले खिलाड़ी बने जिसे यह पुरस्कार मिला। आनंद ने शतरंज ऑस्कर ६ बार जीता है (सन १९९७, १९९८, २००३, २००७, २००८)। विश्वनाथन आनंद को यदि भारतीय शतरंज का बादशाह कहा जाए तो अतिशयोक्ति न होगी । वह वर्ष 2000 में भारत के ही नहीं एशिया के प्रथम शतरंज विश्व-चैंपियन बने । यदि विश्व के प्रथम विजेता विल्हम स्टीन्ज से गणना करें जो 1886 में विजेता बने थे तो आनन्द 15वें विश्व-चैंपियन बने । 24 दिसम्बर, 2000 को उन्होंने तेहरान में हुई चैंपियनशिप में, रूस में जन्मे अपने स्पेनिश प्रतिद्वन्दी अलेक्सई शिरोव को छह खेलों के चौथे मुकाबले में हरा कर विश्व-चैंपियन का खिताब हासिल किया । ऐसी शानदार विजय सम्भवत: विश्व चैंपियनशिप के खेलों में दोबारा होनी मुश्किल है | इस मुकाबले में विजय प्राप्त करने पर आनंद को 6,60,000 डॉलर की राशि पुरस्कार स्वरूप प्राप्त हुई । वर्ष 2002 में विश्वनाथन आनंद ने विश्व स्तर की चौथी सफलता प्राप्त कर एक बार फिर नया इतिहास रच डाला । फ्रांस में होने वाले कोर्सिका ओपन चेस टूर्नामेंट के पहले खेल में हारने के बाद आनंद ने अन्तिम छठे खेल में रूस के अनोतोली कारपोस को हरा कर विजय प्राप्त की । वर्ष 2002 में ही आनंद ने मई में प्राग में यूरोटेल टाइटल जीता, जुलाई में ‘चेस क्लासिक’ का मैन्ज टाइटल जीता । फिर अक्टूबर में हैदराबाद में होने वाले विश्व कप शतरंज में पुन: अपनी प्रभुता साबित की और फिर विश्व कप विजेता साबित हुए । उन्हें पुरस्कार स्वरूप 46,000 डालर की राशि प्राप्त हुई । जब विश्व चैंपियनशिप का बटवारा किया जा रहा था, उस समय उन्होंने 2000 से 2002 तक FIDE World Chess Championship का ख़िताब अपने नाम रखा. वह सन 2007 में निर्विवाद विश्व विजेता बने और सन 2008 में उन्होंने अपना ख़िताब व्लाडामीर क्राम्निक से बचाया, तब उन्होंने उसके बाद सफलता से 2010 में अपने विश्व विजेता प्रतियोगिता का ख़िताब हासिल किया जो की वेसेलिन तपोलाव के खिलाफ था और उन्होंने विश्व शतरंज प्रतियोगिता फिरसे 2012 में जीता जो बोरिस गल्फ के खिलाफ था. विश्व शतरंज प्रतियोगिता 2013 में वे मागनुस कार्सलेन के खिलाफ पराजित हुए. विश्वनाथन आनंद इतिहास के उन 9 खिलाडियों में से एक है जिन्होंने FIDE विश्व शतरंज चैंपियनशिप की सूचि में उसके पुराने रिकॉर्ड को तोडा और पुरे 21 महीनो तक विश्व के नंबर 1 खिलाडी बने रहे. और वे अपने जीवन में 6 दफा इस स्थान पर रहे. विश्वनाथन आनंद 1988 में भारत के पहिले ग्रेंडमास्टर बने. और 1991-92 में राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार मिलने वाले वे पहले खिलाडी बने, ये भारत का खेल की दुनिया में सबसे बड़ा पुरस्कार था. 2007 में, उन्हें भारत का दूसरा सबसे बड़ा सिविलियन पुरस्कार दिया गया, जिसे पद्म भूषण कहते है, और वे पहले खिलाडी थे जिन्होंने इस पुरस्कार को प्राप्त किया. विश्वनाथन आनन्द (Viswanathan Anand) ने ग्रैंडमास्टर बनकर भारत की खोई प्रतिष्ठा को पुन: वापस किया | इनका जन्म दक्षिण भारत में सन 1969 को हुआ | 17 वर्ष की अवस्था में इन्होने ग्रैंडमास्टर का खिताब हासिल किया | 27 वर्ष की अवस्था में विश्व के 2 नम्बर के खिलाड़ी बन गये | 1988 में इन्होने यह खिताब हासिल किया | लियेनेर्स अंतर्राष्ट्रीय शतरंज टूर्नामेंट में आनन्द को 7वा स्थान मिला | इसी प्रतियोगिता में इन्होने विश्व चैंपियन कारपोरोव तथा ब्रिटेन के जनाथन स्पीलमैन को पराजित किया | आनन्द (Viswanathan Anand) एक तेज तर्रार खिलाड़ी है | इनकी चाले बहुत गुप्त नही होती है फिर भी ये अपने प्रतिद्वंदी पर दबाव डालकर उसे गलती करने पर मजबूर कर देते है | अपनी चालो के लिए ये ज्यादा समय नही लेते | ये परम्परागत शैली से खेलते है | जिस प्रकार क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर है वैसे ही शतंरज में विश्वनाथन आनन्द | मुम्बई में “ए” राष्ट्रीय प्रतियोगिता जीतकर इन्होने अपनी प्रतिभा सिद्ध की | इस चैंपियनशिप में इन्होने फीड़ा से मान्यता प्रदान 15 खिलाडियों में फीडा रेटिंग 16 वर्ष की अवस्था में प्राप्त की | आनन्द (Viswanathan Anand) ने 5 वर्ष की उम्र से ही शतरंज खेलना शूरू कर दिया था | माता-पिता से बारिकिया सीखी | 1982 में इन्होने जूनियर चैंपियनशिप की राष्ट्रीय प्रतियोगिता जीती | खेल जीवन : वर्ष 2000 में उन्होंने फीडे विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीती थी। वर्ष 2007 की विश्व चैंपियनशिप में विजय के बाद वे शतरंज के निर्विवाद बादशाह बन गये। 14 से 29 अक्टूबर 2008 के मध्य संपन्न विश्व शतरंज चैंपियनशिप में उन्होंने व्लादिमीर क्रैमनिक को हराकर अपना खिताब बरकरार रखा है। इस विजय के साथ ही वे चैंपियनशिप के तीन भिन्न प्रारूपों यानि नॉकआउट, टूर्नामेंट तथा मैच में जीतने वाले विश्व शतरंज इतिहास के पहले खिलाड़ी बन गये हैं। वाणिज्य में स्नातक विश्वनाथन आनंद पढ़ने के अलावा तैराकी और संगीत के बहुत शौक़ीन हैं। खेल उपलब्धियाँ : 1988 में भारत के पहले ग्रैंडमास्टर बने। 2000 में फीडे विश्व शतरंज चैम्पियनशिप जीतने वाले पहले भारतीय बने ।शतरंज ऑस्कर 6 बार जीता। 2007 और 2008 में विश्व शतरंज चैंपियन रहे।पाँच बार विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद अब तक पाँच बार विश्व शतरंज चैंपियन बन चुके हैं। वर्ष 2000 में पहली बार विश्व चैंपियन बने विश्वनाथन आनंद, वर्ष 2007 से अब तक (2012) लगातार चार बार विश्व चैंपियन हैं। सम्मान और पुरस्कार : विश्वनाथन आनंद को भारत सरकार ने खेल क्षेत्र में अर्जुन अवॉर्ड (१९८५), पद्म श्री (१९८७), पद्म भूषण (२०००), पद्म विभूषण (२००७), राजीव गांधी खेल रत्न (१९९१-१९९२) से सम्मानित किया था। ( 13 ) 28 Votes have rated this Naukri. 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