सायना नेहवाल जीवनी - Biography of Saina Nehwal in Hindi Jivani Published By : Jivani.org साइना नेहवाल भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। वर्तमान में वह दुनिया की शीर्ष वरीयता प्राप्त महिला बैडमिंटन खिलाडी हैं तथा इस मुकाम तक पहुँचने वाली वे प्रथम भारतीय महिला हैं। साथ ही एक महीने में तीसरी बार प्रथम वरीयता पाने वाली भी वो अकेली महिला खिलाडी हैं। लंदन ओलंपिक २०१२ मे साइना ने इतिहास रचते हुए बैडमिंटन की महिला एकल स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल किया। बैडमिंटन मे ऐसा करने वाली वे भारत की पहली खिलाड़ी हैं। २००८ में बीजिंग में आयोजित हुए ओलंपिक खेलों मे भी वे क्वार्टर फाइनल तक पहुँची थी। वह बीडबल्युएफ विश्व कनिष्ठ प्रतियोगिता जीतने वाली पहली भारतीय हैं। वर्तमान में वह शीर्ष महिला भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं और भारतीय बैडमिंटन लीग में अवध वैरियर्स की तरफ से खेलती हैं। प्रारंभिक जीवन : साइना का जन्म १७ मार्च १९९० को हिसार, हरियाणा के एक जाट परिवार मे हुआ था। इनके पिता का नाम डॉ॰ हरवीर सिंह नेहवाल और माता का नाम उषा नेहवाल है। साइना साईं के नाम से बना है। सायना ने शुरुआती प्रशिक्षण हैदराबाद के लाल बहादुर स्टेडियम, हैदराबाद में कोच नानी प्रसाद से प्राप्त किया। माता-पिता दोनो के बैडमिंटन खिलाड़ी होने के कारण सायना का बैडमिंटन की ओर रुझान शुरु से ही था। पिता हरवीर सिंह ने बेटी की रुचि को देखते हुए उसे पूरा सहयोग और प्रोत्साहन दिया। सायना अब तक कई बड़ी उपलब्धियाँ अपने नाम कर चुकी हैं। वे विश्व कनिष्ठ बैडमिंटन विजेता रह चुकी हैं। ओलिम्पिक खेलों में महिला एकल बैडमिंटन का काँस्य पदक जीतने वाली वे देश की पहली महिला खिलाड़ी हैं। उन्होंने 2006 में एशियाई सैटलाइट प्रतियोगिता भी जीती है। सायना के पूर्व भारत की सर्वश्रेष्ठ महिला खिलाड़ी अपर्णा पोपट ने ही 1999 में स्वीडिश ओपन में सेमीफाइनल तक प्रवेश पाया था । इस जीत के दौरान उसने विश्व की 4 नंबर खिलाड़ी जर्मनी की जू हुवाइवेन को क्वार्टर फाइनल में हराया था । सायना की उस वक्त रैंकिग 86 हो गई थी । इससे पूर्व उससे पिछले वर्ष उसकी रैंकिंग मात्र 185 थी । सायना के पिता श्री हरवीर सिंह भारतीय कृषि अनुसंधान केन्द्र हैदराबाद में प्रमुख वैज्ञानिक पद पर कार्यरत हैं | यहां वह 1998 में चले गए थे | 1999 में उसके माता-पिता को अहसास हुआ कि उनकी दो पुत्रियों में से छोटी सायना बैडमिंटन में अत्यधिक रुचि रखती है । सायना की माँ ऊषा विश्वविद्यालय स्तर की बैडमिंटन चैंपियन रही थीं । अत: उन्हीं की प्रेरणा से सायना ने गोपी चंद की कोचिंग में खेल की ट्रेनिंग आरम्भ कर दी । 9 वर्ष की उम्र से सायना ने खेलना आरम्भ कर दिया था । शुरू में उसके कोच नानी प्रसाद, गोवर्धन रेड्डी, तथा एस.एम. आरिफ थे । सायना को द्रोणाचार्य अवार्ड विजेता एस.एम. आरिफ ने प्रशिक्षित किया था और बाद में सितम्बर 2014 तक उन्हें पुल्लेला गोपीचंद ने प्रशिक्षित किया था. सायना कई बार बैडमिंटन में राष्ट्रिय चैंपियन भी बन चुकी है और फिलहाल पूर्व भारतीय बैडमिंटन चैंपियन और राष्ट्रिय प्रशिक्षक विमल कुमार से वह प्रशिक्षण ले रही है. इंडियन बैडमिंटन लीग के हैदराबाद हॉटशॉट्स के लिये सायना खेलती है. उन्होंने 2015 की BWF वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर जीता था और ऐसा करने वाली वह पहली महिला बनी थी. सायना नेहवाल ने विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप के महिला एकल मुकाबले में रजत पदक जीतकर भारत को गौरवान्वित किया है. विश्व चैंपियनशिप के इतिहास में सायना भले ही भारत को स्वर्ण पडल दिलाने में विफल रही पर वे उन भारतीय खिलाडियों के लिये प्रेरक बनकर जरुर उभरी है, जो खेल की दुनिया में कोई मुकाम हासिल करना चाहती है. यदि खेल में ईमानदारी से गंभीर प्रयास हो तो एक नहीं अनेक सायना और सानिया सरीखी देख का गौरव बढ़ाने आगे आ सकती है. जब कभी भी सायना से उनकी चाह के बारे में पूछा जाता तो वह हमेशा यही कहती, “मै हमेशा से एक ओलिंपिक पदक चाहती हु और भारत के राष्ट्रिय ध्वज को मंच पर हमेशा से उपर जाते हुए देखना चाहती हु.” बैडमिंटन कैरियर : • सायना ने अपने कैरियर के लिए शुरूआती प्रशिक्षण जो है वो लाल बहादुर स्टेडियम, हैदराबाद से कोच नानी प्रसाद से लिया | • ओलिम्पिक के खेलों में महिला एकल बैडमिंटन का काँस्य पदक जीतने वाली वे देश की पहली महिला खिलाड़ी हैं। • 2006 की एशियाई सैटलाइट प्रतियोगिता सायना ने जीती है। • उन्होंने 2009 में इंडोनेशिया ओपन जीतते हुए सुपर सीरीज़ बैडमिंटन प्रतियोगिता का खिताब अपने नाम किया और ऐसा करने वाली वो भारत की पहली महिला बैडमिंटन खिलाडी है क्योंकि इस से पहले यह किसी ने नहीं जीता | • सन 2008 में बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन द्वारा साल की सबसे होनहार खिलाड़ी का सम्मान दिया गया. • 2010 में भारत के चौथे बड़े सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया. • खेल के सबसे बड़े अवार्ड ‘राजीव गाँधी खेल रत्न’ से साइना को 2009-10 में सम्मानित किया गया. • खेल के सबसे बड़े अवार्ड ‘राजीव गाँधी खेल रत्न’ से साइना को 2009-10 में सम्मानित किया गया. आंध्रप्रदेश के बैडमिंटन कोच नानी प्रसाद ने सबसे पहले उनकी प्रतिभा को पहचाना जब वो सायना आठ साल की थी उनके पिता के लिए यह मुश्किल तो था कि वो अपनी आधी तनख्वाह को अपनी आठ साल की बच्ची के लिए खर्च करें लेकिन फिर कोच के द्वारा भरोसा जताए जाने के बाद उनके पिता ने उनको सपोर्ट किया | इस तरह सायना के लिए रह आसान होती गयी | सायना कहती है कि मेरे माता पिता कि चूँकि खेल की पृष्ठभूमि रही है इसलिए दोनों ने मुझे बहुत सपोर्ट किया और ऐसे में जब वो प्रैक्टिस करती थी तो उन्हें स्टेडियम जाने के लिए 25 किलोमीटर का फासला तय करना पड़ता था लेकिन मेरे लिए यह काम पापा करते थे और वो रोज मुझे सुबह 4 बजे उठाते और उसके बाद मुझे अपने स्कूटर से स्टेडियम लेकर जाते और मेरे जल्दी उठने के कारण या भी डर रहता था कि कंही नींद के झोकों की वजह से में स्कूटर से गिर नहीं जाऊ इसलिए पापा मम्मी को भी साथ ले जाते थे जो पीछे मुझे पकडके बैठ जाती थी | 2006 – मई 2006 में साइना ने 4 स्टार टूर्नामेंट – फिलिपिन्स ओपेंस में हिस्सा लिया. 16 साल की छोटी सी उम्र में साइना ने यह ख़िताब जीता, और भारत एवं एशिया की पहली महिला खिलाड़ी बन गई, जिन्होंने ये जीत हासिल की. इसी साल उन्होंने एक बार फिर सेटेलाइट टूर्नामेंट में जीत हासिल की. 2008 – सन 2008 में साइना पहली भारतीय बन गई, जिन्होंने ‘वर्ल्ड जूनियर बैडमिंटन चैम्पियनशीप’ का ख़िताब जीता. इसी साल साइना ने ‘चायनीस टेपी ओपन ग्रांड प्रिक्स गोल्ड’ , ‘इंडियन नेशनल बैडमिंटन चैम्पियनशीप’ एवं ‘कॉमनवेल्थ यूथ गेम्स’ में भी जीत हासिल की थी. 2008 में साइना को सबसे होनहार खिलाड़ी के रूप में घोषित किया गया था. 2010 – सन 2010 में साइना ने ‘इंडिया ओपन ग्रांड प्रिक्स गोल्ड’, ‘सिंगापूर ओपन सुपर सीरीज’, ‘इण्डोनेशिया ओपन सुपर सीरीज’ एवं ‘हांगकांग सुपर सीरीज’ में अपनी जीत दर्ज कराई. 2010 में दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स में साइना सबसे बड़ी जीत हासिल की, उन्होंने बैडमिंटन सिंगल में मलेशिया की खिलाड़ी को हरा कर गोल्ड मैडल जीता. 2011 – सन 2011 में साइना ने ‘स्विस ओपन ग्रांड प्रिक्स गोल्ड’ में जीत हासिल की. इसके अलावा ‘मलेशिया ओपन ग्रांड प्रिक्स गोल्ड’, ‘इण्डोनेशिया ओपन सुपर सीरीज प्रीमियर’ एवं ‘BWF सुपर सीरीज मास्टर फाइनल्स’ में दूसरा स्थान प्राप्त किया. साइना नेहवाल ने दूसरी बार जीता ऑस्ट्रेलियाई ओपन खिताब : भारत की स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल ने 12 जून, 2016 रविवार को एक बार फिर कमाल करते हुए ऑस्ट्रेलियन ओपन सुपर सीरीज पर कब्जा कर लिया। साइना का साल का यह पहला खिताब है। साइना ने दूसरी बार इस खिताब को अपने नाम किया है। इससे पहले 2014 में भी उन्होंने यह खिताब जीता था। यह पहला मौका है जब पहली बार किसी खिलाड़ी ने दूसरी बार यह टूर्नामेंट जीता है। सिडनी में खेले गए ऑस्ट्रेलियन ओपन सुपर सीरीज के फाइनल में साइना ने चीन की सुन यू को 11-21, 21-14, 21-19 से हराया। 7.5 लाख डॉलर की इनामी राशि के टूर्नामेंट के फाइनल में साइना ने शुरुआत में लड़खड़ाने के बाद शानदार वापसी की। 70 मिनट तक चले इस मुकाबले में साइना ने अपनी चीनी प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ अपना जीत का रेकॉर्ड और मजबूत किया। इससे पहले शनिवार को साइना ने चौथी वरीयता प्राप्त यिहान वांग को हराकर फाइनल में जगह बनाई थी। वर्ल्ड रैंकिंग में आठवें पायदान पर मौजूद साइना ने शनिवार को सिडनी में खेले गए मुकाबले में चीन की यिहान वांग को 21-8, 21-12 से हराया था। साइना 2 अप्रैल, 2015 को विश्व रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बनी थी। उसने अगस्त में जकार्ता में विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता था। वह नवंबर में चाइना ओपन सुपर सीरिज प्रीमियर के फाइनल में भी पहुंची लेकिन इसके बाद चोट के कारण उसका फॉर्म गिर गया। इंडिया ओपन, मलेशिया ओपन, बैडमिंटन एशिया चैम्पियनशिप में वह सेमीफाइनल में हारी। उसने एशियाई चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता और जून में इंडोनेशिया ओपन सुपर सीरिज में क्वार्टर फाइनल तक पहुंच गईं। साइना नेहवाल2002 में Yonex की sponsored थी! जैसे जैसे साइना नेहवालकी ranking बढती गयी वैसे ही वैसे उनको बहुत से चीजों की sponsorships मिलती गयी! साइना नेहवालको उनके बढ़िया खेल के लिए 2010 को राजीव गाँधी खेल रत्न के अवार्ड से नवाजा गया है! राजीव गाँधी खेल रत्न के अलावा साइना नेहवालको और भी कई तरह के अवार्ड मिले! 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