अभिनव बिंद्रा जीवनी - Biography of Abhinav Bindra in Hindi Jivani Published By : Jivani.org अभिनव बिंद्रा १० मीटर एयर रायफल स्पर्धा में भारत के एक प्रमुख निशानेबाज हैं। वे ११ अगस्त २००८ को बीजिंग ओलंपिक खेलों की व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं। क्वालीफाइंग मुकाबले में ५९६ अंक हासिल करने के बाद बिंद्रा ने जबर्दस्त मानसिक एकाग्रता का परिचय दिया और अंतिम दौर में १०४.५ का स्कोर किया। उन्होंने कुल ७००.५ अंकों के साथ स्वर्ण पर निशाना साधने में कामयाबी हासिल की। बिंद्रा ने क्वालीफाइंग मुकाबले में चौथा स्थान हासिल किया था, जबकि उनके प्रतियोगी गगन नारंग बहुत करीबी अंतर से फाइनल में पहुंच पाने से वंचित रह गए। वे नौवें स्थान पर रहे थे। पच्चीस वर्षीय अभिनव बिंद्रा एयर राफल निशानेबाजी में वर्ष २००६ में विश्व चैम्पियन भी रह चुके हैं। अभिनव बिंद्रा का जन्म एक संपन्न पंजाबी सिख परिवार में हुआ. वे बचपन से ही शूटिंग करना पसंद करते थे, इसीलिए उनके माता – पिता ने उनके पटियाला [पंजाब] में स्थित घर में ही एक शूटिंग रेंज की व्यवस्था कर दी और इस प्रकार यहाँ से शुरु हुआ, अभिनव के शूटर बनने का सफ़र. इस सफ़र में उनके प्रारंभिक कोच थे -: डॉ. अमित भट्टाचार्जी और लेफ्टिनेंट कर्नल ढिल्लों. सन 1998 में हुए कामनवेल्थ गेम्स में उन्होंने भारत को रिप्रेजेंट किया था. उस समय उनकी आयु मात्र 15 वर्ष थी और साथ ही वे इस खेल प्रतिस्पर्धा के सबसे छोटे प्रतिभागी [Participant] भी थे. सन 2001 में म्युनिक [Munich] वर्ल्ड कप में जब अभिनव को ब्रोंज मैडल मिला और उन्होंने नया जूनियर वर्ल्ड रिकॉर्ड 597/600 बनाया, तब लोगों का ध्यान उन पर गया. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और इसके बाद वे एक के बाद एक मैडल और अवार्ड जीतते चले गये. उन्होंने ‘वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप’ भी जीती. उनकी इस सफलता ने भारत के लोगों में शूटिंग के प्रति जिज्ञासा को बढ़ाया और प्रेरित भी किया, जिससे कई लोगों ने इसे अपने करियर के रूप में भी चुना हैं. वह ‘अर्जुन पुरस्कार’ और ‘राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार’ पाने वाले सबसे कम आयु के खिलाड़ी है । अभिनव बिन्द्रा ने 11 अगस्त, 2008 को बीजिगं में आयोजित 29वें, ओलंपिक खेलों में 10 मीटर एयर राइफल निशानेबाजी प्रतियोगिता में गोल्ड मैडल जीतकर इतिहास रच डाला | ओलंपिक में वैयक्तिक स्पर्धा में गोल्ड मैडल जीतने वाले वे भारत के पहले निशानेबाज बन गए । भारत को 28 साल बाद ओलंपिक में गोल्ड मैडल मिला | 2004 के एथेंस ओलंपिक में अभिनव बिन्द्रा ने सातवां स्थान प्राप्त किया था | उन्होंने अपनी ट्रेनिंग के बारे में बताया- ”मैं लगभग 9 घंटे रोज अभ्यास करता हूँ । जिसमें से 7 घंटे नियमित रूप से शूटिंग का अभ्यास करता हूं और दो घंटे खिंचाव वाले तथा जॉगिंग जैसे व्यायाम करता हूँ । यह सब करने के बाद मैं पूरी तरह थक चुका होता हूँ परन्तु यह सब करना बहुत महत्त्वपूर्ण है । एक शूटर की योग्यता उसकी ध्यान केन्द्रित करने की क्षमता पर निर्भर करती है ।” अभिनव ने बहुत कम उम्र में प्रसिद्धि पाई है और बहुत कम उम्र में बड़े-बड़े पुरस्कार जीते हैं । उनके पिता ने उनके लिए निशानेबाजी के सभी उपकरण जुटा रखे हैं ताकि वह घर पर ही पूर्ण अभ्यास कर सकें । उन्होंने बताया- ”मेरे पास एयर कन्डीशंड रेंज है जो पूर्णतया अन्तरराष्ट्रीय मानदण्डों के अनुसार कम्प्यूटर आधारित ‘टार्गेट ट्रांसपोर्ट सिस्टम’ पर आधारित है । मेरे पास सात बन्दूकें, गोलियाँ, जैकेट व अन्य शूटिंग का सामान है । अत: सुविधा व सामान के हिसाब से मैं बहुत संतुष्ट हूँ ।’ अभिनव के जीवन पर उनके माता पिता का सर्वाधिक प्रभाव है । उनके राष्ट्रीय कोच गैबी ब्यूलमान और सन्नी थामस हैं । भारत के लिए ओलंपिक खेलों की व्यक्तिगत स्पर्धा में एकमात्र स्वर्ण पदक जीतने वाले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा सोमवार को ब्राजील की मेजबानी में चल रहे रियो ओलंपिक की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में चौथे स्थान पर रहे और पदक से चूक गए। करियर के आखिरी ओलंपिक में पदक के इतना नजदीक आकर चूकने के बाद बिंद्रा ने कहा कि मेरा निशानेबाजी करियर यहीं खत्म होता है, यहां तक कि शौकिया निशानेबाजी भी यहीं से खत्म होती है। स्पर्धा के एक घंटा बाद सहज हो चले बिंद्रा ने आराम से पत्रकारों से बातचीत की और उनके सवालों के जवाब दिए। बिंद्रा ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि वह भविष्य में क्या करने वाले हैं, लेकिन निश्चित तौर पर निशानेबाजी का उनके आने वाले कल में कोई स्थान नहीं है, यहां तक कि शौकिया भी वह निशानेबाजी नहीं करने वाले। बिंद्रा ने कहा कि उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ किया, लेकिन पदक नहीं जीत सके। जब उनसे पूछा गया कि घर पर शौकिया तौर पर तो वह निशानेबाजी करते ही रहेंगे तो उन्होंने कहा कि मैं अपने घर के पिछले हिस्से में सब्जियां उगाने वाला हूं। इस जब उनसे पूछा गया कि क्या वह इस बारे में गंभीर हैं तो उन्होंने कहा कि क्या मैं आपको गंभीर व्यक्ति नजर नहीं आता। इस पर बिंद्रा से पूछा गया कि क्या वह खुद को कुछ ज्यादा ही सख्त दिखाने की कोशिश कर रहे हैं तो बिंद्रा ने कहा कि और मैं कर भी क्या सकता हूं। आप मुझसे क्या चाहते हैं, क्या मैं रोना शुरू कर दूं? जी हां, मैंने ठीक-ठाक प्रदर्शन किया। हाल ही में उन्हें वीडियोकॉन यूथ आइकॉन चुना गया है। अपने जीवन के 27 बरस पूरे कर चुके इस युवा ने अब तक चार गोल्ड, एक सिल्वर व एक ब्रोंज मेडल जीता है और उनकी निगाहें बड़े गोल की ओर लगी हैं। पहाड़ की हर ऊँचाई छूने की ताकत होती है युवाओं में। युवा अब बड़े से बड़ा लक्ष्य हासिल कर रहे हैं। वह चाहे कितना भी दुरुह, कितना भी कठिन क्यों न हो। ऐसा ही लक्ष्य पाया है अभिनव बिंद्रा ने। 26 वर्ष की उम्र में 10 मीटर एयर राइफल के अपने करिश्मे को देश के लिए एकमात्र व्यक्तिगत ओलिम्पिक स्वर्ण पदक में बदलने का ऐसा ही कठिन काम किया था अभिनव ने। युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बने बिन्द्रा 18 वर्ष की उम्र में ही अर्जुन अवार्डी बन चुके थे, 19 वर्ष की आयु में वे देश का सबसे बड़ा खेल सम्मान राजीव गाँधी खेल रत्न पा गए। उन्हें पद्मभूषण भी मिला। क्या यह एक आदर्श नहीं है 21वीं सदी के युवाओं के समक्ष। ओलंपिक शूटिंग में देश को पहला गोल्ड मेडल दिलाने वाले अभिनव बिंद्रा अब पंजाब यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर की भूमिका में होंगे। पीयू प्रशासन के ओलंपियन बलबीर सिंह सीनियर चेयर की प्रोफेसरशिप (ऑनरेरी) देने के प्रस्ताव को अभिनव बिंद्रा ने स्वीकार कर लिया है। वह समय-समय पर फिजिकल एजुकेशन विभाग में लेक्चर भी देंगे। पीयू में पहली बार किसी ओलंपियन खिलाड़ी को रिसर्च प्रोफेसरशिप दी गई है। पीयू सिंडीकेट की 27 नवंबर को हुई बैठक में अभिनव को प्रोफेसर बनाने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास किया गया था। 13 जनवरी 2017 से अभिनव बिंद्रा का कार्यकाल शुरू हो गया है। पीयू कुलपति प्रो.अरुण कुमार ग्रोवर के अनुसार अभिनव बिंद्रा जैसे खिलाड़ियों का पीयू से जुड़ना सम्मान की बात है। प्रो.ग्रोवर ने कहा कि पीयू के खिलाड़ियों को बिंद्रा के कैंपस में लेक्चर लेने से काफी फायदा होगा। जल्द ही बिंद्रा विभाग में पहला लेक्चर लेंगे। तथ्य : • देहरादून में पैदा हुए और चंडीगढ़ में पले बढ़े अभिनव बिंद्रा का जन्म 28 सितंबर, 1982 को हुआ था. • इसके बाद देश की राजधानी दिल्ली में जो कॉमनवेल्थ गेम्स हुए उसमें भी उन्होंने बेहतरीन शूटिंग की. इस बार भी उन्होंने पेयर्स में गोल्ड और व्यक्तिगत स्पर्धा में सिल्वर जीता. ग्वांगझू में हुए एशियन गेम्स में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता. • 2006 में मेलबोर्न में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने पेयर्स में गोल्ड और व्यक्तिगत स्पर्धा में सिल्वर हासिल किया. • 2002 के मैनचेस्टर कॉमनवेल्थ गेम्स में अभिनव ने पेयर्स में गोल्ड मेडल जीता. इसके अलावा इसी कॉमनवेल्थ गेम्स में व्यक्तिगत तौर पर उन्होंने सिल्वर मेडल भी अपने नाम किया. • 2011 में भारतीय सेना ने अभिनव बिंद्रा का सम्मान करते हुए उन्हें लेफ्टिनेंट रैंक से नवाजा. • अभिनव का नाम देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान-भारत रत्न के लिए भी प्रस्तावित किया जा चुका है. • 2008 ओलंपिक से लाइमलाइट में आने वाले अभिनव को भारत सरकार पद्म भूषण से भी सम्मानित कर चुकी है. • 2012 के लंदन ओलिंपिक में बिंद्रा कुछ खास नहीं कर सके और 10 मीटर राइफल शूटिंग मुकाबले में बाहर हो गए. • 19 वर्ष की आयु में अभिनव बिंद्रा देश का सबसे बड़ा खेल सम्मान राजीव गाँधी खेल रत्न पा गए. उन्हें पद्मभूषण भी मिला. • अभिनव बिंद्रा ने आईएसएसएफ विश्व शूटिंग चैंपियनशिप में, मेलबोर्न पहुंचे कामनवेल्थ खेलों में और दोनों जगहों पर उन्होंने स्वर्णिम सफलता पाई. प्रदर्शन : • सन 1998 में अभिनव बिंद्रा ने कुआला लुम्पुर में आयोजित कामनवेल्थ गेम्स में भाग लिया, तब उनकी आयु मात्र 15 वर्ष थी और वे सबसे कम उम्र के प्रतिभागी थे. • सन 2000 में हुए सिडनी ओलिंपिक में वे भारतीय कोंटीन्जेंट [Indian Contingent] के भाग रहें. परन्तु यहाँ उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा. • सन 2004 में हुए एथेंस ओलंपिक्स में उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा और उन्होंने फाइनल में 8 प्रतियोगियों [पार्टिसिपेंट] में अंतिम स्थान प्राप्त किया. अवार्ड : • 2000 – अर्जुन अवार्ड • 2001 – राजीव गांधी खेल रत्न (भारत का सर्वोच्च खेल पुरस्कार) • 2009 – पद्म भुषण • 2011 – 2008 के ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने के बाद सम्माननीय लेफ्टिनेंट कर्नल अवार्ड दिया गया • मित्तल चैंपियन ट्रस्ट द्वारा 15 मिलियन (US$ 2,20,000) का पुरस्कार • केंद्र सरकार द्वारा पुरस्कार स्वरुप 5 मिलियन (US$ 74,000) की नगद राशी दी गयी • हरियाणा राज्य सरकार द्वारा पुरस्कार स्वरुप 2.5 मिलियन (US$ 37,000) की नगद राशी दी गयी • बोर्ड ऑफ़ कण्ट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया द्वारा पुरस्कार स्वरुप 2.5 मिलियन (US$ 37,000) की नगद राशी दी गयी • स्टील मिनिस्ट्री ऑफ़ इंडिया द्वारा 1.5 मिलियन (US$ 22,000) रुपयों की नगद राशी पुरस्कार स्वरुप दी गयी • बिहार राज्य सरकार द्वारा पुरस्कार स्वरुप 1.1 मिलियन (US$ 16,000) की नगद राशी दी गयी। • कर्नाटक राज्य सरकार द्वारा पुरस्कार स्वरुप 1 मिलियन (US$ 15,000) की नगद राशी दी गयी • गोल्ड जिम के चेयरमैन एस. अमोलक सिंह गखाल द्वारा पुरस्कार स्वरुप 1 मिलियन (US$ 15,000) की नगद राशी दी गयी • महाराष्ट्र राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा पुरस्कार स्वरुप 1 मिलियन (US$ 15,000) की नगद राशी दी गयी • ओड़िसा राज्य सरकार द्वारा पुरस्कार स्वरुप 5,00,000 रुपये की नगद राशी दी गयी • तमिलनाडु राज्य सरकार द्वारा पुरस्कार स्वरुप 5,00,000 रुपये की नगद राशी दी गयी • छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा पुरस्कार स्वरुप 1,00,000 रुपये की राशी दी गयी • मध्यप्रदेश राज्य सरकार द्वारा पुरस्कार स्वरुप 1,00,000 रुपये की नगद राशी दी गयी पुरस्कार स्वरुप 1 मिलियन (US$ 15,000) की नगद राशी दी गयी • रेल्वे मिनिस्ट्री ऑफ़ इंडिया द्वारा फ्री लाइफटाइम रेल्वे पास दी गयी • केरला राज्य सरकार द्वारा गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया • पुणे म्युनिसिपल कारपोरेशन द्वारा पुरस्कार स्वरुप 1.5 मिलियन (US$ 22,000) की नगद राशी दी गयी ( 13 ) 2 Votes have rated this Naukri. 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