झुम्पा लाहिरी जीवनी - Biography Of Jhumpa Lahiri in Hindi Jivani Published By : Jivani.org नाम : झुम्पा लाहिरी । जन्म : 11 जुलाई 1967, लंदन । पिता : अमर लाहिड़ी । माता : भगवती देवी । पत्नी/पति : दीनामणि देवी । प्रारम्भिक जीवन : झुम्पा लाहिड़ी एक भारतीय अमेरिकी लेखिका हैं। भारतीय अमेरिकी लेखक झुम्पा लाहिड़ी को लघु कथा में उत्कृष्टता के लिए 2017 पीएएन / मालामुद अवॉर्ड के प्राप्तकर्ता के रूप में घोषित किया गया है। लाहिड़ी के प्रथम लघु कथा संग्रह, इंटरप्रेटर ऑफ़ मैलडीज़ (1999) को 2000 में उपन्यास के पुलित्जर पुरस्कार सम्मानित किया गया और उनके पहले उपन्यास द नेमसेक (2003) पर आधारित उसी नाम की एक फिल्म बनाई गयी। जन्म से उनका नाम नीलांजना सुदेश्ना है और उनके अनुसार यह दोनों ही उनके "अच्छे नाम" है, लेकिन वे अपने उपनाम झुम्पा के नाम से ही जानी जाती हैं। लाहिड़ी, अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा कला और मानवीयता पर राष्ट्रपति की समिति की सदस्या नियुक्त की गयी हैं। लाहिड़ी का जन्म लंदन में हुआ था, वे एक आप्रवासी बंगाली भारतीय परिवार की बेटी हैं। जब वे तीन वर्ष की थीं तो उनका परिवार संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थानांतरित हो गया; लाहिड़ी खुद को अमेरिकी मानती हैं और उनका कहना है, "मैं यहां पैदा नहीं हुई लेकिन ऐसा हो भी सकता था ." लाहिड़ी किंग्सटन, रोड आइलैंड, में बड़ी हुई, जहां उनके पिता अमर लाहिड़ी रोड आइलैंड विश्वविद्यालय में एक लाइब्रेरियन के रूप में कार्यरत है, वे इंटरप्रेटर ऑफ़ मैलडीज़ की अंतिम कथा "दी थर्ड एंड फाइनल कोंटीनेंट," के नायक का आधार हैं। लाहिड़ी की मां चाहती थी कि उनके बच्चे बंगाली विरासत को जानते हुए बड़े हों और उनका परिवार प्रायः अपने रिश्तेदारों से मिलने कलकत्ता (अब कोलकाता) जाता था। 15 जनवरी 2001 को कलकत्ता के उपनगर के राजवाड़े में लाहिरी की शादी अमेरिका के पत्रकार अल्बर्टो वौर्वौलिअस से पारंपरिक हिंदु समारोह में हुई। शादी के बाद वे न्यू यॉर्क अपने घर वापस आई और अपने पहले उपन्यास पर कर कार्य शुरू कर दिया। झुम्पा लाहिरी 1997 में इंग्लिश थिएटर में सतरावी शताब्दी में इटालियन वास्तुकला पर अपने निबंध पुरे कर रही थी। तब उन्होंने बोस्टन पत्रिका में अवैतनिक प्रशिक्षु बन कर काम किया। उसके बाद उन्होंने लेखिका बनने पर विचार किया। झुम्पा लाहिड़ी ने कई पुरस्कार जीते हैं, जिसमें 1993 में हेनफील्ड फाउंडेशन की तरफ से मिला ट्रांसएटलांटिक अवार्ड, सन् 1999 में लघु कथा “इंटरप्रेटर ऑफ मैलादीज़” के लिए ओ-हेनरी पुरस्कार, 2000 में “इंटरैक्ट्री ऑफ मैलाडीज” के लिए पीएएन / हेमिंग्वे पुरस्कार (सर्वश्रेष्ठ फिक्शन डेथ ऑफ द इयर), द न्यू यॉर्कर का बेस्ट डेब्यूट ऑफ द इयर फॉर “इंटरप्रेटर ऑफ मैलाडीज” और एम.एफ.के. फिशर 2000 में जेम्स बेअर्ड फाउंडेशन से प्रतिष्ठित लेखन पुरस्कार और प्रतिष्ठित पुलित्जर पुरस्कार भी शामिल हैं। लाहिरी ने भारत में बड़े पैमाने पर यात्रा की है और वहां उपनिवेशवाद के प्रभावों का अनुभव किया है और साथ ही साथ डायस्पोरा के मुद्दों का अनुभव भी किया है। वह अपने माता-पिता के मातृभूमि के साथ-साथ संयुक्त राज्य अमेरिका और इंग्लैंड के साथ मजबूत संबंध महसूस करती है। लाहिरी में बेघरता की भावना और स्वीकार्य महसूस करने में असमर्थता के तीनों देशों के साथ संबंधों के साथ बढ़ रहा है। लाहिरी ने इसे अपने माता-पिता के संबंधों को भारत के लिए एक विरासत के रूप में समझाया, "माता-पिता को मुश्किल है कि वे 30 साल तक विदेश में रहने के बाद भी" घर "पर विचार करें, भारत उनके लिए घर है। हम हमेशा वापस देख रहे थे इसलिए मैंने कभी नहीं देखा यहां घर पर पूरी तरह से महसूस किया गया। इस पूरे देश में कोई भी नहीं है जिसे हम संबंधित हैं। भारत अलग था - हमारे विस्तारित परिवार ने वास्तविक कनेक्शन की पेशकश की। पुरस्कार : •1993 – ट्रांस अटलांटिक अवार्ड हेन फिल्ड फाउंडेशन द्वारा •1999 – ओ हेनरी अवार्ड “इंटरप्रेटर ऑफ़ मैलाडीज़” लघु कथा के लिए •1999 – पी इ एन / हेमिंग्वे अवार्ड ( बेस्ट फिक्शन डेब्यू ऑफ़ द इयर ) ‘इंटरप्रेटर ऑफ़ मैलाडीज़” के लिए •1999 – “इंटरप्रेटर ऑफ़ मैलाडीज़” बेस्ट अमेरिकन शोर्ट स्टोरीज के लिए चयनित •2000 – एडिसन मेटकाफ अवार्ड, द अमेरिकन अकादमी ऑफ़ आर्ट्स एंड लेटर्स द्वारा ( 6 ) 4 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 3