राजा रमन्ना जीवनी - Biography of Raja Ramanna in Hindi Jivani Published By : Jivani.org राजा रामन्ना भारत के एक परमाणु वैज्ञानिक थे। श्री राजा रामन्ना का जन्म कर्नाटक के टुम्कुर में हुआ था। वह भारत के प्रथम परमाणु परीक्षण के सूत्रधार भी थे। 'राजा रमन्ना को विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन १९७३ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये तमिलनाडु से हैं। राजा रमन्ना (Raja Ramanna) का जन्म 28 जनवरी 1925 को हुआ था | इनकी आरम्भिक शिक्षा बंगलौर में हुयी थी | लन्दन विश्वविद्यालय से Ph.D. करने के बाद उन्होंने Tata Institute of Fundamental Research में प्रोफेसर पद का भार सम्भाला | इसके बाद उन्होंने भाभा परमाणु अनुसन्धान केंद्र के निदेशक पद का भार सम्भाला | सन 1966 में वायु दुर्घटना में भाभा की मृत्यु के बाद इन्होने देश की नाभिकीय उर्जा का कार्यभार सम्भाला | पोखरण में नाभिकीय उर्जा का परीक्षण रमन्ना साहब की विचारधारा का ही परिणाम था | यह भूमिगत परीक्षण शांतिपूर्ण कार्यो के लिए किया गया था | इसमें यह देखा गया कि डायनामाईट की तुलना में यह विस्फोट कितना प्रभावशाली सिद्ध होगा | इस परीक्षण का बाद में यह निष्कर्ष निकाला गया कि देश में नाभिकीय उर्जा को पालतू बनाकर अपने शांतिपूर्ण कार्यो में प्रयोग किया जा सकता है | साथ ही साथ इसके कोई कुप्रभाव भी नही होंगे | वास्तव में नाभिकीय उर्जा को शांतिपूर्ण कार्यो में प्रयोग करने का बहुत बड़ा परीक्षण था | साथ ही साथ इस परीक्षण से यह भी निष्कर्ष निकाला गया कि नाभिकीय उर्जा डायनामाईट की तुलना में कई गुनी अधिक प्रभावशाली होती है | शांतिपूर्ण कार्यो में नाभिकीय उर्जा को प्रयोग करने की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम था | इसके बाद रमन्ना (Raja Ramanna) ने कई वर्षो तक रक्षामंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार के पद पर रहकर रक्षा अनुसन्धान और विकास संघठन का कार्यभार सम्भाला | इनका मुख्य कार्य नाभीकिय विखंडन के क्षेत्र में रहा है | ध्रुव रिएक्टर को बनाने में भी इनका विशेष हाथ रहा | भारत का परमाणु कार्यक्रम डॉ Raja Ramanna भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु द्वारा प्रारंभ किये गए देश के ‘परमाणु कार्यक्रम’ से जुड़े हुए सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक थे। सन 1954 में इंग्लैंड से डॉक्टरेट करने के बाद वे भारत लौट आये और डॉ होमी जहाँगीर भाभा के नेतृत्व में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेण्टर में वरिष्ठ तकनिकी दल में नियुक्त हो गए। सन 1958 में उन्हें इस कार्यक्रम का चीफ डायरेक्टिंग ऑफिसर नियुक्त किया गया। डॉ होमी जहाँगीर भाभा के दुखद मौत के बाद उन्हें इस कार्यक्रम का मुखिया बना दिया गया और सन 1974 में उनके नेत्रत्व में भारत ने पहले परमाणु परीक्षण (स्मायिलिंग बुद्धा) किया जिसके बाद राजा रमन्ना को अन्तराष्ट्रीय ख्याति मिली और भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया। सन 1978 में इराक के तत्कालीन राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने राजा रमन्ना के सामने इराक के लिए परमाणु बम बनाने का प्रस्ताव रखा पर उन्होंने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और भारत वापस लौट गए। अपने करियर के बाद के दिनों में राजा रमन्ना ने सख्त नीतियों को बनाने की वकालत की ताकि परमाणु प्रसार रोका जा सके। उन्होंने ‘अंतर्राष्ट्रीय भौतिकी सम्मलेन’ में भाग लेने के लिए पाकिस्तान की भी यात्रा की और परमाणु भौतिकी पर भाषण दिया। उन्होंने भारत-पाकिस्तान के मध्य शांति स्थापित करने के प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान दिया और इस क्षेत्र में ‘परमाणु टकराव’ रोकने में अग्रणी भूमिका भी निभाई। सन 1984 में उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु उर्जा संस्थान ज्वाइन कर लिया और IAEA के 30वें महा अधिवेशन का अध्यक्ष भी रहे। रूचि डॉ राजा रमन्ना महुमुखी प्रतिभा के धनि व्यक्ति थे। परमाणु भौतिकी के साथ-साथ संगीत और दर्शन में भी उनकी गहरी रूचि थी। वे पियानो बजाने में बहुत पारंगत थे और देश-विदेश में कई समारोहों में अपनी कला का प्रदर्शन भी किया। संगीत उनके दिल के बहुत करीब था और इस विषय पर उन्होंने एक पुस्तक भी लिखी – ‘द स्ट्रक्चर ऑफ़ म्यूजिक इन रागा एंड वेस्टर्न सिस्टम्स (1993)। उन्होंने एक और पुस्तक (आत्मकथा) ‘इयर्स ऑफ़ पिल्ग्रिमेज’ (1991) भी लिखी। सम्मान o देश के लिए किये गए उनके कार्यों के मद्देनजर भारत सरकार ने समय-समय पर राजा रमन्ना को सम्मानित किया। o सन 1963 में उन्हें विज्ञानं और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शांति स्वरुप भटनागर पुरस्कार दिया गया o सन 1968 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया o सन 1973 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया o सन 1976 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया ( 12 ) 6 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 3