मल्लिका श्रीनिवासन जीवनी - Biography Of Mallika Srinivasan in Hindi Jivani Published By : Jivani.org मल्लिका श्रीनिवासन मैसी फार्ग्युसन ट्रैक्टर और कृषि उपकरण बनाने वाली कंपनी टैफे (टीएएफई) की अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। मैसी फार्ग्युसन ट्रैक्टर और कृषि उपकरण बनाने वाली कंपनी टीएएफई की अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी मल्लिका श्रीनिवासन को हाल ही में बिज़नेस पत्रिका फ़ोर्ब्स की एशिया की 50 सबसे ताक़तवर कारोबारी महिलाओं में जगह दी है. टैफे की प्रमुख होने के अलावा मल्लिका श्रीनिवासन को हाल ही में अमरिका के एजीसीओ कॉरपोरेशन के निदेशक मंडल के लिए चुना गया है. एजीसीओ वैश्विक स्तर पर कृषि उपकरणों को बनाने और वितरण करने वाली कंपनी है. कैरियर 27 साल की उम्र में वर्ष 1986 में वह टैफे में शामिल हो गयीं। कंपनी में शामिल होने के बाद मल्लिका ने शुरू से ही सहज व सात्विक कारोबारी रणनीति अपनाई। जब उन्होंने ने टैफे ज्वाइन किया था उस समय कंपनी का टर्नओवर लगभग 85 करोड़ रूपए था और आज के समय में यह बढ़कर लगभग 160 करोड़ अमेरिकी डॉलर हो गया है। अपने पिता और टैफे टीम के समर्थन और मार्गदर्शन से मल्लिका एक के बाद एक सकारात्मक परिवर्तन लाती गयीं और धीरे-धीरे टैफे ने अपने कारोबार को बहुत क्षेत्रों में डाइवर्सिफाई कर लिया जिसमें प्रमुख हैं ट्रैक्टर, कृषि मशीनरी, डीजल इंजन, इंजीनियरिंग प्लास्टिक, हाइड्रोलिक पंपों और सिलेंडर, बैटरी, ऑटोमोबाइल फ्रेंचाइजी और वृक्षारोपण। अपनी कड़ी मेहनत, विश्वास और लगन से मल्लिका ने टैफे को एक ऐसी कंपनी बना दिया जो उच्च तकनीक पर आधारित थी। हालाँकि ये सब उतना आसान नहीं था, जितना आज दिखाई देता है। एक समय ऐसा भी आया जब उनको चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी ट्रैक्टर की पुरानी तकनीक को बदलना। मल्लिका कहती हैं, “भारतीय किसान डिमांडिंग हैं और अपना पैसा खर्च करने के मामले में अत्यंत चतुर। हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती थी ट्रैक्टर की सालों पुरानी तकनीक, डिजाइन व मॉडल को बदलना। उनमें नए-नए फीचर्स जोड़ना, पर लागत व मूल्य न बढ़ने देना।’’ 90 के दशक में ट्रैक्टर मार्केट भी मंदी की गिरफ्त में आ गया। ऐसे कठिन समय में मल्लिका ने सूझ-बूझ का परिचय दिया और बिजनेस ग्रोथ, टर्न ओवर व मार्जिन को दांव पर लगाकर प्रोडक्शन घटा दिया। उन्होंने अपने डीलर्स को विश्वास दिलाया कि कंपनी प्रतिकूल परिस्थितियों में भी उनके साथ है। इस सोच ने टैफे की मार्केट में साख बढ़ाई। वर्ष 2005 में उन्होंने आयशर के ट्रैक्टर्स इंजन व गीयर्स कारोबार को खरीद लिया। इससे टैफे को दो फायदे हुए। एक, कम हॉर्स पावर के ट्रैक्टर मार्केट में एंट्री मिली और दूसरे, अमेरिकी बाजार में घुसपैठ हुई। इस अधिग्रहण के साथ कंपनी दक्षिण भारतीय न रहकर राष्ट्रीय बन गई और टैफे ट्रैक्टर मार्केट में दूसरे (प्रथम महिंद्रा एंड महिंद्रा) नंबर पर आ गया। कंपनी का कारोबार लगभग 67 देशों में पहुंचा। वन बिलियन डॉलर कंपनी बनने के साथ-साथ टैफे ट्रैक्टर व फार्म इक्विपमेंट उद्योग की ग्लोबल खिलाड़ी बन गई। समाज सेवा के कार्य भारत में शिक्षा और स्वास्थ्य के विकास को सुनिश्चित करने में उनकी ख़ास रुचि है और इसी दिशा में उन्होंने 'शंकर नेत्रालय', चेन्नई, में कैंसर अस्पताल और तिरुनेलवेली ज़िले में शैक्षिक और स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़े हुए कई संगठनों की मदद की है। पुरस्कार और सम्मान o भारतीय अर्थव्यवस्था में उनके योगदान के लिए उनको ढेर सारे पुरस्कार और सम्मान दिए गए हैं। वे इस प्रकार हैं:- o 1999 में बी.बी.सी. द्वारा फर्स्ट बिज़नेस वीमेन ऑफ़ द ईयर अवार्ड फॉर इंडिया o 2005 में ज़ी अस्तित्व पुरस्कार o 2005 में आई.आई.एम. लखनऊ[7] द्वारा नेशनल लीडरशिप पुरस्कार o 2005-2006 में इकनोमिक टाइम्स द्वारा बिज़नेस वुमन ऑफ़ द ईयर o 2007 में पेनसिलवेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल ऑफ़ बिज़नेस ने उन्हें 125 सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों की सूची में शामिल किया। o 2004-2010: बिज़नेस टुडे द्वारा 25 मोस्ट पावरफुल वीमेन इन इंडियन बिज़नेस की सूची में लगातार 7 साल तक रहीं। o 2010 में मद्रास विश्वविद्यालय द्वारा वीमेन’स डे अवार्ड दिया गया। o 2010 में इंडिया टुडे द्वारा 25 पावर वीमेन के सूची में शामिल किया गया। o 2010 में द इकनोमिक टाइम्स ने उन्हें इंडिया'ज़ मोस्ट पावरफुल वीमेन लीडर्स चुना। o 2011 में अर्न्स्ट एंड यंग ने एंट्रेप्रेनुएर ऑफ़ द ईयर चुना। o 2012 में फ़ोर्ब्स एशिया पत्रिका ने उन्हें एशिया की 50 पावर वीमेन की सूची में रखा। o 2012 में द इकनोमिक टाइम्स ने उन्हें इंडिया इंक्स मोस्ट पावरफुल CEOs 2012 और टॉप वीमेन CEOs चुना। o 2012 में फ़ोर्ब्स इंडिया ने उन्हें ‘फ़ोर्ब्स इंडिया लीडरशिप अवार्ड्स 2012′ में वूमेन लीडर ऑफ़ द ईयर चुना। o 2012 में फार्च्यून इंडिया ने उन्हें इंडिया’ज़ मोस्ट पावरफुल वीमेन इन बिज़नेस की सूची में दूसरे स्थान पर रखा। o 2013 में ‘एन.डी.टी.वी. प्रॉफिट बिज़नेस लीडरशिप अवार्ड्स’ में उन्हें बिज़नेस थॉट लीडर ऑफ़ द ईयर 2012 चुना गया। o 2014 में भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया। ( 4 ) 1 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 2