संजय मिश्रा जीवनी - Biography of Sanjay Mishra in Hindi Jivani Published By : Jivani.org संजय मिश्रा भारतीय फिल्म अभिनेता जो कि हिन्दी सिनेमा और टेलीविजन में अपने काम की वजह से जाने जाते हैं। वे नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के छात्र रहे हैं और इसका अक्स उनके अभिनय में भी देखने को मिलता है। उनके डॉयलाग 'ढ़ोढूं जस्ट चिल' और फिल्म वन टू थ्री में उनकी कॉमिक टाइमिंग से उन्हें काफी पहचान मिली। पटना बिहार में जन्मे संजय मिश्रा ने महान अभिनेताओं की ही तरह नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा से ग्रेजुएशन किया है. एक ऐसा अभिनेता जिसने अपने करियर के शुरुआत में, चाणक्य सीरियल की शूटिंग के पहले सीन में 28 रीटेक लिए, आज बॉलीवुड के जाने पहचाने चेहरों में से एक है. संजय मिश्रा ने अपनी पहली फिल्म ओ डार्लिंग ये है इंडिया में एक हारमोनियम बजाने वाले का रोल किया था. ऑफिस ऑफिस सीरियल के पान चबाते हुए शुक्ला जी के रोल में संजय मिश्रा की पहचान बनी. दिल से फिल्म में टेररिस्ट और बंटी और बबली फिल्म में Q Q कुरैशी रोल के बाद संजय को फिल्मों के ऑफर मिलने लगे. संजय मिश्रा ने खासकर इन फिल्मों में अपनी बढ़िया अदाकारी का उदाहरण पेश किया. अपना सपना मनी मनी के असली सरजू महाराज बनारसवाले, धमाल फिल्म के बाबूभाई, फस गए रे ओबामा के भाईसाब, बिन बुलाये बाराती के हजारी, दम लगा के हइसा में आयुष्मान खुराना के पिता और दिलवाले के ऑस्कर भाई. आल द बेस्ट फिल्म में RGV के रोल का डायलाग Dhondu Just Chill तो बहुत ही पसंद किया गया. करियर- अमिताभ बच्चन के साथ मिरिंडा के विज्ञापन में आने से पहले संजय ने कई और विज्ञापनों और फिल्मों में छोटे रोल्स किए। उनकी पहली फिल्म थी ओह डार्लिंग ये है इंडिया जिसमें उन्होंने हारमोनियम बजाने वाले की एक छोटी सी भूमिका अदा की थी। इसके बाद उन्होंने सत्या और दिल से जैसी फिल्मों में काम किया। इसके बाद ऑफिस ऑफिस नाम के सीरियल में उनके द्वारा निभाए गए शुक्ला जी के किरदार से उन्हें काफी पहचान मिली। Sanjay Mishra ने बॉलीवुड में अपने कैरियर की शुरुवात 1995 में फिल्म “ओह डार्लिंग ये है इंडिया” से की थी,| जिसमें उन्होंने हारमोनियम बजाने वाले की एक छोटी सी भूमिका अदा की थी, इस फिल्म में Sanjay mishra के एक्टिंग की बहुत तारीफ की गई, साथ ही सत्या और दिल से जैसी फ़िल्मों भी में काम किया। “ऑफिस ऑफिस”नाम के सीरियल में उनके द्वारा निभाए गए शुक्ला जी के किरदार से उन्हें काफी पहचान मिली। 2005 में धारावाहिक छोड़ने के बाद उन्होंने “बंटी और बबली” और “अपना सपना मनी मनी” फ़िल्मों में अपनी भूमिका निभाई| उनके जीवन की सबसे दुर्भाग की बात तो ये थी की उन्होंने १०० से ज्यादा फिल्मो में अभिनय करने के बावजूद उन्हें कोई पहचान नहीं मिल पाई, उन्हें अपने पिता जी से बहुत लगाव था, इसलिए जब उनके पिता का देहांत हुआ तब उन्होंने फिल्म जगत से अपना नाता तोड़ लिया और फिल्म जगत से बहुत दूर ऋषिकेश जाकर एक ढाबे में काम करने लगे, वहां पर वो सब्जियां काटते, खाना बनाते और लोगों को खिलाते इसी तरह उनका समय धीरे-धीरे बीतने लगा | उन्होंने फिल्मों में काम करने की आशा छोड़ दी थी, और अपनी जिंदगी से पूरी तरह से निराश हो चुके थे | उनकी जिंदगी में बहुत बड़ा परिवर्तन तब आया जब उनके ढाबे पर जाने-माने निर्देशक रोहित शेट्टी पहुच गए चूँकि संजय रोहित की फिल्म “गोलमाल” में काम कर चुके थे इसलिए रोहित संजय को तुरंत पहचान गए | रोहित को उनकी हालात पर काफी अफ़सोस हुआ | उस समय रोहित अपनी फिल्म “All The Best” पर काम कर रहे थे, उन्होंने संजय को उस फिल्म में काम करने के लिए राजी किया | पढ़ाई- स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा ज्वाइन कर लिया। शादी- संजय की शादी किरन मिश्रा से हुई है। उनके दो बच्चे हैं- पाल मिश्रा और लम्हा मिश्रा। प्रसिद्ध फिल्में- ओह डार्लिंग ये है इंडिया, सत्या, दिल से, फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी, साथिया, जमीन, प्लान, ब्लफमास्टर, बंटी और बबली, गोलमाल, अपना सपना मनी मनी, गुरू, बॉम्बे टू गोवा, धमाल, वेलकम, वन टू थ्री, क्रेजी 4, गाड तुसी ग्रेट हो, गोलमाल रिटर्न्स, ऑल द बेस्ट: फन बिगिन्स, अतिथि तुम कब जाओगे, गोलमाल 3, फंस गए रे ओबामा, चला मुसद्दी ऑफिस ऑफिस, सन ऑफ सरदार, जॉली एलएलबी, बॉस, आंखो देखी, भूतनाथ रिटर्न्स, किक, दम लगा के हईशा ( 2 ) 11 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 3