कर्णम मल्लेश्वरी जीवनी - Biography of Karnam Malleswari in Hindi Jivani Published By : Jivani.org स्वतंत्र भारत के इतिहास में खेलो के महत्व को लोकप्रियता के उच्च शिखर तक स्थापित करने के कितने प्रयास किये गये हो ; स्थानीय ,राष्ट्रीय ,अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैचो के दौरान जिस प्रकार अपने घर-बाहर के सब जरुरी कामकाज छोडकर दर्शक स्टेडियमों में भीड़ जुटाते है और घरो में टीवी सेटों के सामने जमे रहते है उसे देखते हुए खेलो में अपेक्षित रूचि एवं जानकारी भले ही उस राष्ट्रीय बुखार की संज्ञा देते हो , इन सबके बीच यह भी कटु सत्य है कि कई मायनों में भारत अभी भी विभिन्न खेलो में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की महारत हासिल नही कर पाया है | विशेष रूप से पी.टी.उषा , कर्णम मल्लेश्वरी ,सानिया मिर्जा जैसे इक्का दुक्का नाम छोडकर अभी इस क्षेत्र में बहुत पीछे है | इस दृष्टि से यदि भारोत्तोलक कर्णम मल्लेश्वरी (Karnam Malleswari) “ओलम्पिक पदक जीतने वाली भारत की प्रथम महिला” के रूप में सामने आती है तो इसे देश का गौरव ही कहा जाएगा | दिसम्बर 2000 में भारत के लिए पहला ओलम्पिक पदक जीतने वाली मल्लेश्वरी को TIME पत्रिका ने वर्ष की प्रथम एशियाई महिला कहकर मान बढाया था | कर्णम मल्लेश्वरी का जन्म 1 जून,1975 को श्रीकाकुलम, आंध्र प्रदेश में हुआ था। उन्होने अपने करियर की शुरुआत जूनियर वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप से की, जहां उन्होंने नंबर एक पायदान पर कब्जा किया। 1992 के एशियन चैंपियनशिप में मल्लेश्वरी ने 3 रजत पदक जीते। वैसे तो उन्होंने विश्व चैंपियनशिप में 3 कांस्य पदक पर कब्जा किया है, किन्तु उनकी को सबसे बड़ी कामयाबी 2000 के सिडनी ओलंपिक में मिली, जहां उन्होने कांस्य पर कब्जा किया और इसी पदक के साथ वे ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी। विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक कर्णम मल्लेश्वरी की प्रतिभा को ‘अर्जुन पुरस्कार’ विजेता मुख्य राष्ट्रीय कोच श्यामलाल सालवान ने पहचाना, जब वह अपनी बड़ी बहन के साथ 1990 में बंगलौर कैम्प में गई थीं। प्रशिक्षक ने उन्हें भारोत्तोलन खेल अपनाने की सलाह दी। बस यहीं से उनका खेल प्रेम जाग उठा और वह पूरी तरह खेल में रम गईं। उनकी मेहनत रंग लाई और मात्र एक वर्ष में भारतीय टीम की दावेदारी में आ गईं। 1992 में वह विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक पाने में सफल रहीं। इसी उत्साह ने उन्हें 1994 व 1995 में विश्व चैंपियन बना दिया। उसके बाद मल्लेश्वरी सफलता की सीढ़ियां चढ़ती गईं। लेकिन 2000 में जब सिडनी ओलंपिक के लिए खिलाड़ियों का चयन हो रहा था, तब उनका नाम लिस्ट में शामिल किये जाने पर यह कह कर आलोचना की गई कि वह भारतीय सरकार के खर्चे पर टूरिस्ट बन कर जा रही हैं। जब कुंजारानी को हटाकर मल्लेवरी को टीम में चुना गया, तब सभी ओर से उसकी आलोचना की गई। यही कारण था कि जब 19 सितम्बर, 2000 को 69 किलो वर्ग में मल्लेश्वरी का नाम विजेताओं में लिया गया और पुरस्कार दिया गया, तब केवल 7 भारतीय वहां मौजूद थे। भारतीय खिलाड़ियों की बड़ी टीम में से तीन तथा उन 42 पत्रकारों में से, जो ओलंपिक खेलों को कवर करने गए थे, केवल 4 व्यक्ति उस विजय का आनन्द लेने के लिए उपस्थित थे। मल्लेश्वरी ने अपने दोनों हाथ रगड़ कर अपनी पकड़ मजबूत की और फिर अपने शरीर के भार से दोगुने वजन को झटके से उठा कर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। इस प्रकार भारतीय खेलों के इतिहास में वह प्रथम महिला बनीं, जो ओलंपिक मैडल जीत सकी। इस प्रकार पदक जीतकर अपने सभी आलोचकों का मुंह बंद कर दिया। व्यक्तिगत जीवन मल्लेश्वरी ने 1997 में शादी की और प्रतिस्पर्धी वजन उठाने से अल्प विराम हेतु यमुनानगर, हरियाणा चली आई। 1998 में बैंकाक एशियाई खेलों में भाग लेने के लेए जब लौटी तो रजत पदक जीता। हालांकि, वे 1999 के एथेंस विश्व भारोत्तोलन चैंपियनशिप में पदक जीतने में असमर्थ रही, किन्तु 2000 के लिए भारत की ओलिंपिक टीम में विवाद के बावजूद उन्होने कांस्य पदक पर कब्जा जमाया। उपलब्धियां : o 1990-91 में 52 किलो वर्ग में राष्ट्रीय चैंपियन बनी | o 1992 से 98 तक 54 किलो (शारीरिक वजन) वर्ग में राष्ट्रीय चैंपियन बनी | o 1994 के एशियाई चैंपियनशिप मुकाबलों में कोरिया में 3 स्वर्ण पदक जीते । o इस्ताबूंल में 1994 के विश्वचैंपियनशिप में 2 स्वर्ण व एक रजत पदक जीता | o दक्षिण कोरिया में 1995 के एशियाई चैंपियनशिप के 54 किलो वर्ग में 3 स्वर्ण पदक जीते | o चीन में 1995 में विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीते | o 1996 में जापान में एशियाई प्रतियोगिता में एक स्वर्ण पदक जीता | o 1997 के एशियाई खेलों में 54 किलो वर्ग में रजत पदक जीता | o 1998 के बैंकाक एशियाई खेलों में 63 किलो वर्ग में रजत पदक जीता । o 2000 में ओसका एशियाई चैंपियनशिप में 63 किलो वर्ग में मल्लेश्वरी ने स्वर्ण जीता, लेकिन अंततः कुल मिलाकर तृतीय स्थान पर रहकर संतोष करना पड़ा | o खेलों का सर्वोच्च पुरस्कार ‘अर्जुन पुरस्कार’ उसे प्रदान किया गया | o इसके अगले वर्ष मल्लेश्वरी को ‘राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार’ दिया गया | o उसे ‘पद्मश्री पुरस्कार ‘ भी प्रदान किया गया । o कर्णम मल्लेश्वरी से सभी भारतवासियों को एथेंस ओलंपिक 2004 में पदक जीतने की बड़ी आशा थी | इस बार मल्लेश्वरी ने 69 किलो वर्ग के स्थान पर 63 किलो वर्ग में भाग लिया था | लेकिन सभी की आशा के विपरीत मल्लेश्वरी वजन उठाने में नाकामयाब रही और पदक हासिल नहीं कर सकी | ( 13 ) 8 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 3