चरक जीवनी - Biography of Charaka in Hindi Jivani Published By : Jivani.org चरक एक महर्षि एवं आयुर्वेद विशारद के रूप में विख्यात हैं। वे कुषाण राज्य के राजवैद्य थे। इनके द्वारा रचित चरक संहिता एक प्रसिद्ध आयुर्वेद ग्रन्थ है। इसमें रोगनाशक एवं रोगनिरोधक दवाओं का उल्लेख है तथा सोना, चाँदी, लोहा, पारा आदि धातुओं के भस्म एवं उनके उपयोग का वर्णन मिलता है। आचार्य चरक ने आचार्य अग्निवेश के अग्निवेशतन्त्र में कुछ स्थान तथा अध्याय जोड्कर उसे नया रूप दिया जिसे आज हम चरक संहिता के नाम से जानते है। चरकसंहिता आयुर्वेद में प्रसिद्ध है। इसके उपदेशक अत्रिपुत्र पुनर्वसु, ग्रंथकर्ता अग्निवेश और प्रतिसंस्कारक चरक हैं। प्राचीन वांमय के परिशीलन से ज्ञात होता है कि उन दिनों ग्रंथ या तंत्र की रचना शाखा के नाम से होती थी। जैसे कठ शाखा में कठोपनिषद् बनी। शाखाएँ या चरण उन दिनों के विद्यापीठ थे, जहाँ अनेक विषयों का अध्ययन होता था। अत: संभव है, चरकसंहिता का प्रतिसंस्कार चरक शाखा में हुआ हो। चरकसंहिता में पालि साहित्य के कुछ शब्द मिलते हैं, जैसे अवक्रांति, जेंताक (जंताक - विनयपिटक), भंगोदन, खुड्डाक, भूतधात्री (निद्रा के लिये)। इससे चरकसंहिता का उपदेशकाल उपनिषदों के बाद और बुद्ध के पूर्व निश्चित होता है। इसका प्रतिसंस्कार कनिष्क के समय 78 ई. के लगभग हुआ। त्रिपिटक के चीनी अनुवाद में कनिष्क के राजवैद्य के रूप में चरक का उल्लेख है। किंतु कनिष्क बौद्ध था और उसका कवि अश्वघोष भी बौद्ध था, पर चरक संहिता में बुद्धमत का जोरदार खंडन मिलता है। अत: चरक और कनिष्क का संबंध संदिग्ध ही नहीं असंभव जान पड़ता है। पर्याप्त प्रमाणों के अभाव में मत स्थिर करना कठिन है। दो हजार वर्ष पूर्व भारत में ऐसे ही स्वनामधन्य चिकित्सक (Doctor) चरक हुए है. जिन्होंने आयुर्वेद चिकित्सा के क्षेत्र में शरीर विज्ञान, निदान शास्त्र और भ्रूण विज्ञान पर ”चरक संहिता” नामक पुस्तक लिखी. इस पुस्तक को आज भी चिकित्सा जगत में बहुत सम्मान दिया जाता है. चरक वैशम्पायन के शिष्य थे. इनके चरक संहिता ग्रन्थ में भारत के पश्चिमोत्तर प्रदेश का ही अधिक वर्णन होने से यह भी उसी प्रदेश के प्रतीत होते है. संभवतः नागवंश में इनका जन्म हुआ था. चरक कहते थे- ” जो चिकित्सक अपने ज्ञान और समझ का दीपक लेकर बीमार के शरीर को नहीं समझता, वह बीमारी कैसे ठीक कर सकता है. इसलिए सबसे पहले उन सब कारणों का अध्ययन करना चाहिए जो रोगी को प्रभावित करते है, फिर उसका इलाज करना चाहिए. ज्यादा महत्वपूर्ण यह है की बीमारी से बचाना न की इलाज करना ”. चरक ऐसे पहले चिकित्सक थे जिन्होंने पाचन, चयापचय (भोजन – पाचन से सम्बंधित प्रक्रिया) और शरीर प्रतिरक्षा की अवधारणा दी थी. उनके अनुसार शरीर में पित्त, कफ और वायु के कारण दोष उत्पन्न हो जाते है. यह दोष तब उत्पन्न होते है जब रक्त, मांस और मज्जा खाए हुए भोजन पर प्रतिक्रिया करती है. चरक ने यहाँ पर यह भी स्पष्ट किया है की समान मात्रा में खाया गया भोजन अलग – अलग शरीरो में भिन्न दोष पैदा करता है अर्थात एक शरीर दूसरे शरीर से भिन्न होता है. उनका कहना था कि बीमारी तब उत्पन्न होती है जब शरीर के तीनो दोष असंतुलित हो जाते है. इनके संतुलन के लिए इन्होने कई दवाईयाँ बनायीं. चरक संहिता का महत्व आचार्य चरक (Charaka) के जीवन के बारे में इतिहास में उल्लेख नही है लेकिन उनकी लिखी चरक सहिंता (Charaka Samhita) से उनके जीवन की झलकियाँ प्राप्त होती है | चरक सहिंता (Charaka Samhita)आयुर्वेद का प्राचीनतम ग्रन्थ है | वस्तुत: यह ग्रन्थ ऋषि आत्रेय तथा पुनर्वसु के ज्ञान का संग्रह है जिसे चरक ने कुछ संशोधित कर अपनी शैली में प्रस्तुत किया | कुछ लोग अग्निवेश को ही चरक कहते है | द्वापर युग में पैदा हुए अग्निवेश चरक ही है | अलबरूनी ने लिखा है कि “औषध विज्ञान की हिन्दुओ की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक चरक सहिंता है ” | संस्कृत भाषा में लिखी गयी इस पुस्तक को 8 स्थान और 120 अध्यायों में बांटा गया है जिसमे 12 हजार श्लोक और 2000 दवाइया है सूत्र स्थान में आहार-विहार ,पथ्य-अपथ्य ,शारीरिक और मानसिक रोगों की चिकित्सा का वर्णन है | निदान स्थान में रोगों के कारणों को जानकर 8 प्रमुख रोगों की जानकारी है | विमान स्थान में स्वादिष्ट ,रुचिकर ,पौष्टिक भोजन का उल्ल्लेख है | शरीर स्थान में मानव शरीर की रचना ,गर्भ में बालक के विकास की प्रक्रिया तथा उसकी अवस्थाओं का महत्व बताया गया है | इन्द्रिय स्थान में रोगों की चिकित्सा पद्दति का वर्णन , चिकित्सा स्थान में कुछ विशेष रोगों के इलाज कल्प स्थान में साधारण इलाज सिद्धि स्थान में कुछ सामान्य रोगों की जानकारी है इनमे शल्य चिकित्सा पद्दति का उल्लेख नही मिलता है सर्वश्रेष्ठ पुस्तक आयुर्वेद की सर्वश्रेष्ठ कृति मानी जाने वाली “चरक संहिता” में भारत के अलावा यवन, शक, चीनी आदि जातियों के खानपान और जीवनशैली का भी जिक्र मिलता है। इस पुस्तक को विभिन्न भाषाओं में अनुवादित भी किया जा चुका है। अरब के प्रसिद्ध इतिहासकार और विद्वान अल-बरूनी ने भी कहा था “हिन्दु ओं की एक पुस्त क चरक के नाम से प्रसिद्ध है, जोकि औषधि की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक मानी जा सकती है।“ ( 20 ) 23 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 4