यूक्लिड जीवनी - Biography of Euclid in Hindi Jivani Published By : Jivani.org यूक्लिड कभी-कभी एलेग्जेंड्रिया के यूक्लिड या फिर मेगारा के यूक्लिड के नाम से भी जाने जाते है, वे एक ग्रीक गणितज्ञ जो और साथ ही वे “ज्यामिति (ज्योमेट्री) के जनक” भी कहलाते है। टॉलेमी प्रथम के साम्राज्य में एलेग्जेंड्रिया में वे काफी सक्रीय थे। गणित के इतिहास में उन्होंने काफी प्रभावशाली कार्य किया है।19 वी शताब्दी से 20 वी शताब्दी तक वे अपने द्वारा लिखित किताब से ही गणित का अभ्यास करते थे और उस समय में उनके द्वारा प्रकाशित किताब काफी प्रसिद्ध थी। यूक्लिड ने ज्यामिति के बहुत से अवयवो की खोज की थी जिसे आज हम यूक्लिडियन ज्यामिति के नाम से भी जानते है, जिनमे सूक्तियो की छोटी आकृति का उपयोग किया जाता था। इसके साथ ही यूक्लिड ने दृष्टिकोण, शांक्व वर्ग, गोलीय ज्यामिति, नंबर सिद्धांत और सावधानियो पर भी अपने लेख और किताबे लिखी है। क्लिड ग्रीक नाम का अंग्रेजी रूपांतर है जिसका अर्थ विशिष्ट और तेजस्वी से है। यूक्लिड के अस्तित्व की कुछ ही जानकारियाँ इतिहास में मौजूद है, इसीलिये उनकी जिंदगी के बारे में हमें बहुत कम जानकारी मिलिती है। उनके जन्म और मृत्यु की तारीख, जगह और परिस्थितियाँ दोनों का ही अब तक पता नही चला नही है लेकिन कुछ लोगो ने इसका अंदाज़ा अपने-अपने हिसाब से जरुर लगाया है। कुछ लोग उन्हें ग्रीक गणितज्ञ के नाम से भी जानते थे। उनके जीवन से संबंधित कुछ जानकारियाँ उनकी मृत्यु के बहुत समय बाद प्रोक्लुस सी. 450 AD और एलेग्जेड्रिया के पप्पुस ने 320 AD में दी थी। ग्रीक गणितज्ञ थेलीज ने जब मिस्त्रवासियों के इन ज्यामितीय नियमो के बारे में सुना तो उसे आश्चर्य हुआ कि उनका प्रयोग इतना सही कैसे उतरता है | ज्यामितीय को विज्ञान के रूप में विकसित करने के लिए यही जिज्ञासा पहला कदम सिद्ध हुयी | अपनी जिज्ञासा के समाधान के लिए थेलीज ने यह नियम बनाया कि किसी भी सिद्धांत के निष्कर्ष तक पहुचने के लिए ज्ञात तथ्यों को ही आधार मानना चाहिए और जहा तक हो सके इन्ही के सहारे अपनी चिन्तन-प्रक्रिया को आगे बढाना चाहिए | थेलीज जानता था कि ज्यामितीय एक व्यावहारिक विज्ञान है जिसका उपयोग नौचालन और ज्योतिर्विज्ञान में उसी तरह किया जा सकता है जिस तरह जमीन नापने या पिरामिड बनाने में | ज्यामिति के विकास में अगला कदम पाइथोगोरस और उसके शिष्यों ने उठाया | उन्होंने ज्यामिति को उसके व्यवहारिक पक्ष से अलग कर लिया | वे ज्यामितीय तथ्यों के तर्कपूर्ण प्रमाण को खोजने में ही लगे रहे | इस प्रणाली को उन्होंने इस प्रकार विकसित किया कि वह इतना समय बीत जाने के बाद आज भी स्थिर है और उसका क्षेत्र ज्यामितीय तक सिमित नही बल्कि उसकी उपयोगिता मानवीय बुद्धि के हर क्षेत्र में सिद्ध हो चुकी है तर्क की इस प्रणाली को निष्कर्ष प्रणाली कहती है | पहले से स्वीकृत तथ्यों का उपयोग करके किसी समस्या का हल निकालना , यही इस प्रणाली का उपयोग है | सामान्यता: प्रत्येक जासूसी कहानी किसी निष्कर्ष विधि का उदाहरण हुआ करती है | इस तरह विज्ञान एक बहुत बड़ी जासूसी कहानी है | युक्लिड ने थेलीज , पायथोगोरस , प्लेटो तथा अन्य यूनानी और मिस्त्री वैज्ञानिकों द्वारा रचित सारी सामग्री को संकलित किया | ज्यामितीय की विविध समस्याओं का समाधान युक्लिड की देन नही है | एलिमेन्ट्स यूक्लिड का सबसे बड़ा ग्रंथ 'एलीमेंट्स' (Elements) है, जो १३ भागों में है। इससे पहले भी बहुत से गणितज्ञों ने ज्यामितियाँ लिखी थीं, परंतु उन सब के बाद जो ज्यामिति यूक्लिड ने लिखी उसकी बराबरी आज तक कोई नहीं कर सका है और न संसार में आजतक कोई ऐसी पुस्तक लिखी गई जिसने किसी विज्ञान के क्षेत्र में बिना बदले हुए लगभग २,००० वर्षो तक अपना प्रभुत्व जमाए रखा हो और जो मूल में १९वीं शताब्दी के अंत तक पढ़ाई जाती रही हो। यूक्लिड ने नई उत्पत्तियाँ दी। उत्पत्तियों के क्रम भी बदल दिए, जिससे पुरानी उत्पत्तियाँ सब बेकार हो गई। यह मानना ही पड़ेगा कि पुस्तक की अभिकल्पना उसकी अपनी थी। उसने उस समय तक के सभी अनुसंधानों को अपनी पुस्तक में दे दिया था। उसने सभी तथ्यों को बड़े तार्किक ढंग से ऐसे क्रम में लिखा कि प्रत्येक नया प्रमेय उसके पहले प्रमेयों के तथ्यों पर आधारित था। ऐसा करते करते यूक्लिड ऐसे तथ्यों पर पहुँचे जिनके लिये प्रमाण की आवश्यकता नहीं थी। उन्होंने ऐसे तथ्यों को स्वयंसिद्ध कहा। ऐसे स्वयंसिद्धों की संख्या कहीं छह, या कहीं बारह है। अंतिम स्वयंसिद्ध इस प्रकार है। यदि एक रेखा दो रेखाओं को काटे और एक ओर अंत:कोणें का योग दो समकोण से कम है। बहुत दिनों तक तो इस स्वयंसिद्ध के विषय में किसी को आलोचना करने का साहस नहीं हुआ, परंतु लोग इसको स्वयंसिद्ध मानने में आपत्ति करते रहे। यहाँ तक कि बहुत अन्वेषण हुए। १९वीं शताब्दी में ही लोग इस निष्कर्ष पर पहुँच पाए कि उपर्युक्त स्वयंसिद्ध सत्य नहीं है, जिससे उन्होंने अयूक्लिडीय ज्यामिति का आविष्कार किया। ( 12 ) 12 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 2