शमशाद बेगम जीवनी - Biography of Shamshad Begum in Hindi Jivani Published By : Jivani.org शमशाद बेगम (अप्रैल १४, १९१९ – अप्रैल २३, २०१३ एक भारतीय गायिका थीं, जो हिन्दी सिनेमा उद्योग में आरंभिक पार्श्वगायिका के रूप में आयी थीं। शमशाद बेगम एक बहुमुखी कलाकारा थीं, जिन्होंने हिन्दी के अलावा बंगाली, मराठी, गुजराती, तमिल एवं पंजाबी भाषाओं में लगभग ६००० से अधिक गाने गाये थे। इन्हें सन २००९ में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये महाराष्ट्र राज्य से हैं। बेल्लुम का जन्म 14 अप्रैल 1 9 1 9 को लाहौर में पाकिस्तान में हुआ था, जिस दिन अमृतसर के पास के शहर में जलियांवाला बाग नरसंहार हुआ था। वह आठ बच्चों, पांच बेटों और तीन बेटियों में से एक थी, जो सीमित साधनों के रूढ़िवादी मुस्लिम परिवार से पैदा हुई थी। उसके पिता, मियां हुसैन बख्श मान, एक मैकेनिक के रूप में काम करते थे, और उनकी मां गुलाम फातिमा, रूढ़िवादी स्वभाव की एक पवित्र महिला थी, एक समर्पित पत्नी और माता जो अपने बच्चों को पारंपरिक पारिवारिक मूल्यों के साथ उठाती थी। 1932 में, किशोर शमशाद एक हिंदू कानून छात्र Ganpat Lal Batto, जो एक ही पड़ोस में रहते थे के संपर्क में आया और जो उससे कई साल पुराना था उन दिनों में, दुल्हन और दुल्हन बहुत ही कम समय में विवाह किया जाता था, और शमशाद के माता-पिता पहले से ही उसके लिए उपयुक्त गठबंधन की तलाश कर रहे थे। उनके प्रयास 1 9 34 में फल पैदा करने की कगार पर थे, जब गणपतलाल बटतो और शमशाद ने एक-दूसरे से शादी करने का फैसला किया था। 1 9 34 में, धार्मिक मतभेदों के कारण अपने दोनों परिवारों से सख्त विपक्ष के बावजूद, 15 वर्षीय शमशाद ने गणपतलाल बटो से शादी की। इस युगल को केवल एक ही बच्चा, उषा नामक एक बेटी के साथ ही आशीर्वाद मिला, जिसने एक हिंदू सज्जन, भारतीय सेना के एक अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल योगेश रात्रा से शादी की। गायन की शुरुआत पहली बार शमशाद बेगम की आवाज़ लाहौर के पेशावर रेडियो के माध्यम से 16 दिसम्बर, 1947 को लोगों के सामने आई। उनकी आवाज़ के जादू ने लोगों को उनका प्रशंसक बना दिया। तत्कालीन समय में शमशाद बेगम को प्रत्येक गीत गाने पर पन्द्रह रुपये पारिश्रमिक मिलता था। उस समय की प्रसिद्ध कम्पनी जेनोफ़ोन, जो कि संगीत रिकॉर्ड करती थी, उससे अनुबन्ध पूरा होने पर शमशाद बेगम को 5000 रुपये से सम्मानित किया गया था। प्रसिद्धि शमशाद बेगम की सम्मोहक आवाज़ ने महान् संगीतकार नौशाद और ओ. पी. नैय्यर का ध्यान अपनी ओर खींच लिया था और इन्होंने फ़िल्मों में पार्श्वगायिका के रूप में इन्हें गायन का मौका दिया। इसके बाद तो शमशाद बेगम की सुरीली आवाज़ ने लोगों को इनका दीवाना बना दिया। पचास, आठ और सत्तर के दशक में शमशाद बेगम संगीत निर्देशकों की पहली पसंद बनी रहीं। शमशाद बेगम ने 'ऑल इंडिया रेडियो' के लिए भी गाया। इन्होंने अपना म्यूज़िकल ग्रुप 'द क्राउन थिएट्रिकल कंपनी ऑफ़ परफॉर्मिंग आर्ट' बनाया और इसके माध्यम से पूरे देश में अनेकों प्रस्तुतियाँ दीं। इन्होंने कुछ म्यूज़िक कंपनियों के लिए भक्ति के गीत भी गाए। मशहूर संगीतकार ओ. पी. नैयर ने उनकी आवाज़ को 'मंदिर की घंटी' बताया था। शमशाद बेगम ने उस समय के सभी मशहूर संगीतकारों के साथ काम किया। शमशाद बेगम की सुरीली आवाज़ ने सारंगी के उस्ताद हुसैन बख्शवाले साहेब का ध्यान भी अपनी ओर खींचा और उन्होंने इन्हें अपनी शिष्या बना लिया। लाहौर के संगीतकार ग़ुलाम हैदर ने इनकी जादुई आवाज़ का इस्तेमाल फ़िल्म 'खजांची' (1941) और 'खानदान' (1942) में किया। वर्ष 1944 में शमशाद बेगम ग़ुलाम हैदर की टीम के साथ मुंबई आ गई थीं। यहाँ इन्होंने कई फ़िल्मों के लिए गाया। इन्होंने पाश्चात्य से प्रभावित पहला गीत 'मेरी जान मेरी जान सनडे के सनडे' गाकर धूम मचा दी थी। इनकी गायन शैली पूरी तरह मौलिक थी। उनकी आवाज ……….. आइए उनकी पुण्यतिथि पर उनके बारे में और बातें करने से पहले उनके कुछ सदाबहार गीतों को याद करें जो आज भी इस ‘मिलीनियल-युग’ में, किसी डीजे की पसंद में शामिल होकर नौजवानों को थिरकने पर मजबूर कर देते हैं. याद कीजिए सन् 1949 की फिल्म ‘पतंगा’ का सी रामचंद्रन का संगीतबद्ध किया वह गाना जिसे परदे पर खूबसूरत निगार सुल्ताना और गोप ने गया था. गाना यहां से शुरू होता है, ‘हेल्लो... हिंदुस्तान का देहरादून?... हेल्लो... मैं रंगून से बोल रहा हूँ... मैं अपनी बीवी रेणुका देवी से बात करना चाहता हूं.’ गाना सूनने से पहले ये भी जान लीजिए कि ये पहली फिल्म थी जिसमें ‘स्प्लिट-स्क्रीन’ का प्रयोग किया गया था. आधे परदे पर रंगून और आधे पर देहरादून: और आज भी पैरों में थिरकन पैदा कर देने वाला, सी.आई.डी.(1956) का वह गाना जिसमें सदाबहार देवानंद अपनी माशूका शकीला को लुभाने के लिए, सड़कों पर गाकर, भीख मांगने वाली एक जोड़ी के साथ अपनी हिरोइन का पीछा करते हैं और अपने दिल की बात उनकी जबान से करते हैं. ‘लेके पहला-पहला प्यार’. निधन भारतीय सिनेमा में अपनी सुरीली आवाज़ से लोगों का दिल जीत लेने वाली मशहूर पार्श्वगायिका शमशाद बेगम का निधन 23 अप्रैल, 2013 को मुम्बई में हो गया। शमशान बेगम ने हिन्दी फ़िल्म जगत से भले ही कई वर्ष पहले दूरियाँ बना ली थीं, किंतु अपने पूरे कैरियर में बेशुमार और प्रसिद्ध गानों को अपनी आवाज़ दी। ( 15 ) 2 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 5