योगेश्वर दत्त जीवनी - Biography of Yogeshwar Dutt in Hindi Jivani Published By : Jivani.org योगेश्वर दत्त एक भारतीय कुश्ती खिलाड़ी हैं। इन्होंने २०१२ ग्रीष्मकालीन ऑलंपिक्स में कुश्ती की ६० किग्रा फ़्रीस्टाइल स्पर्धा में कांस्य पदक जीता था। स्कॉटलैंड के ग्लास्गो में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स २०१४ में योगेश्वर दत्त ने ६५ किलोग्राम भार वर्ग में फ्रीस्टाइल कुश्ती में कनाडाई पहलवान को हराकर भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता। २०१२ में भारत सरकार द्वारा इन्हें राजीव गाँधी खेल रत्न का सम्मान दिया गया। योगेश्वर दत्त का जन्म 2 नवंबर 1982 हरियाणा के सोनीपत में हुआ था। योगेश्वर एक भारतीय कुश्ती खिलाड़ी हैं। योगेश्वर दत्त 8 साल की उम्र से पहलवानी कर रहे हैं। योगेश्वर दत्त ने साल 2012 में कुश्ती की 60 किग्रा फ्रीस्टाइल स्पर्धा में कांस्य पदक जीता था। कॉमनवेल्थ गेम्स 2014 में योगेश्वर दत्त ने 65 किलोग्राम भार वर्ग में फ्रीस्टाइल कुश्ती में कनाडाई पहलवान को हराकर भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता था। इंचियॉन एशियन गेम्स में 65 किलोग्राम वर्ग फ्रीस्टाइल कुश्ती में गोल्ड मेडल जीते थे। 2012 में भारत सरकार ने योगेश्वर दत्त को राजीव गांधी खेल रत्न सम्मान से नवाजा है। योगेश्वर 2008 और 2012 ओलिंपिक में हिस्सा ले चुके हैं। अपनी इच्छा के अनुसार वे जल्द ही पहलवानी कोच राल्फ से पहलवानी सीखने लगे। इसके बाद कई पहलवानी प्रतिस्पर्धा जीतने के बाद 1999 के World Championship में गोल्ड जीतकर पहली बार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी मजबूत दावेदारी को पेश किया। योगी के जीवन में एक ऐसा भी समय आया, जब वे (Knee Injury) इंजर्ड हो गए थे, फिर भी 2006 के Doha Games में भाग लिया। लेकिन उनका फ़ाइनल मुक़ाबला होने से ठीक पहले उनके पिता का देहांत हो गया। फिर भी हिमालय की तरह अटल योगी ने साहसपूर्वक अपने आप को इमोशनली और फिजिकली संभाला और गोल्ड जीतकर ही दम लिया। 2008 में उन्होंने Asian Championships में गोल्ड जीता, जिससे उन्हें बीजिंग ओलिंपिक्स में एंट्री तो मिल गई। लेकिन यह ओलिंपिक्स उनके लिए कुछ खास नहीं रहा, जहां जापान के केनीची यूमोटों से क्वार्टर फाइनल में हार गए। 2010 का कॉमनवेल्थ गेम्स उनके लिए ओलिंपिक्स से मिले असफलतायों को भुलाने वाला साबित हुआ, जहां उन्होंने दुनिया के जाने-माने 60 किलोंग्राम के केटेगरी के कई पहलवानो को हराकर सोने पर कब्जा किया। कुश्ती से लगाव योगेश्वर दत्त को कुश्ती के गुर स्वर्गीय मास्टर सतबीर भैंसवालिया ने सिखाए थे। सतबीर पेशे से पीटीआई थे और रिटायर होने के बाद वह अखाड़ा चलाने लगे थे। योगेश्वर दत्त को अपने कॅरियर के दौरान कई बार चोट लगी है। वास्तव में वह बचपन से ही चोट का शिकार रहे हैं, लेकिन उन्होंने कुश्ती के प्रति अपने लगाव को कम नहीं होने दिया। उन्होंने 8 साल की उम्र से ही कुश्ती से नाता जोड़ लिया था और अब उनकी सफलता से तो हर कोई परिचित ही है। सोनीपत, हरियाणा के योगेश्वर ने अपनी तैयारी किसी और के साथ नहीं बल्कि वर्ल्ड चैंपियनशिप और एशियन गेम्स में मेडल विजेता रहे बजरंग के साथ की है। रियो ओलम्पिक-2016 योगेश्वर दत्त ब्राजील में आयोजित रियो ओलम्पिक, 2016 के लिए भारत की ओर से कुश्ती में पदक जीतने वाले प्रमुख दावेदार थे, किंतु वे अपना पहला ही मुकाबला हारकर इस प्रतिस्पर्धा से बाहर हो गए। उन्हें मंगोलियाई पहलवान गैंजोरिंग मंदाकनरन ने 3-0 से शिकस्त देकर पदक की दौड़ से बाहर कर दिया। 65 किलोग्राम वर्ग में योगेश्वर दत्त मंगोलियाई पहलवान के सामने अपनी चुनौती दमदार ढंग से पेश नहीं कर पाए। योगेश्वर दत्त के लिए कांस्य पदक हासिल करने की उम्मीद तभी बन पाती, जब मंदाकनरन फ़ाइनल तक पहुंचते, लेकिन मंदाकनरन क्वार्टर फ़ाइनल से आगे नहीं बढ़ पाए और इस तरह योगेश्वर दत्त के रियो ओलंपिक में पदक हासिल करने का सपना टूट गया। रियो ओलम्पिक में भारत की मात्र दो महिला खिलाड़ी ही पदक जीत सकीं। साक्षी मलिक महिलाओं की कुश्ती स्पर्धा में भारत की ओर से काँस्य पदक जीतने में सफल रहीं। जबकि बैडमिंटन में पी. वी. सिंधु ने भारत के लिए रजत पदक हासिल किया। 2012 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक 12 अगस्त 2012 को, योगेश्वर दत्त ने 2012 के लंदन ओलंपिक में पुरुषों के फ्रीस्टाइल 60 किग्रा में एक यादगार कांस्य का दावा करके भारत के पदक के साथ एक पदक प्रदान किया, इस प्रकार 1 9 52 में केडी जाधव और सुशील के बाद ओलंपिक पदक जीतने वाली तीसरी भारतीय पहलवान बन गए। 2008 और 2012 में कुमार उन्होंने कांस्य पदक जीतने में उत्तर कोरियाई री जोंग-मायोंग को हराया था और इस तरह उन्होंने लंदन ओलंपिक 2012 में भारतीय दल के लिए पांचवें पदक जीता था। इससे पहले, योगेश्वर ने 2012 ओलंपिक के लिए क्वालीफास्ट एस्टाना में एशियाई क्वॉलिफिकेशन टूर्नामेंट में रजत पदक जीतकर क्वालीफाई करने के लिए अर्हता प्राप्त की, जहां वह फाइनल में ईरानी मासुद एस्मेइलपुर (2 '3, 0' 1) से हार गए। ओलंपिक में वह रूसी बी कुडूखोव से 1-1, 0, 2 ए 0 से हार गए और पूर्व-क्वार्टर फाइनल दौर से बाहर हो गए। उन्हें दोहराव के दौर में लड़ने का मौका मिला क्योंकि कुदुखो घटना के फाइनल में पहुंचे थे। अपने पहले दोहराव के दौर में उन्होंने 1 € 0, 1â € 0 के स्कोर के साथ पर्टो रीको के फ्रैंकलिन गेमेज़ को हराया। वह अपने प्रतिद्वंद्वी से भाग्यशाली रहे, दोनों अवसरों पर टॉस जीतकर क्लिंच की स्थिति हासिल करने के लिए। योगेश्वर ने 7 वें मिनट में फिर से मसूद एस्मेइलपौर को हराकर रेपर्चेज राउंड 2 में गिनती अंक 3 से 1 अंक के साथ स्कोर किया। Esmaeilpour ने उस वर्ष की शुरुआत में एशियाई योग्यता में योगेश्वर को हराया था। आखिरकार उसने अपना उत्तर कोरियाई प्रतिद्वंद्वी को कांस्य पदक (0 '1, 1', 0, 6 '' 0) हासिल कर लिया। वह अंतिम दौर में असाधारण था, और इसे सिर्फ 1:02 मिनट में मिला। ( 13 ) 2 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 1