चंद्रिमा शाह की जीवनी - Biography of Chandrima Shah in hindi jivani Published By : Jivani.org नाम : चंद्रिमा शाह जन्म दि : 14 अक्टूबर 1952 67 वर्षे ठिकाण : कलकत्ता व्यावसाय : प्रोफेसर प्रारंभिक जीवनी : चंद्रीमा शाह का जन्म 14 अक्टूबर 1952 को कलकत्ता मे हुआ था | शाह ने कलकत्ता विश्वाविघ्यालय से स्त्रातक कि उपाधि प्राप्त कि थी | और 1980 मे इंडियन केमिकल बायोलॉजी संस्थान से डॉक्टरेट अनुसंधान पूरा किया था | उन्हेाने कलकत्ता विश्वाविघ्यालय से पीएचडी कि उपाधि प्राप्ता कि थी | अपने पेास्टा डॉक्टरेल काम के लिए, वह 1980: 1982 तक कैनसस मेडिकल सेंटर विश्वाविघ्यालय शामिल हो गए थे | वह 1983: 1984 तक जनसंख्या परिषद, न्यूयॉर्क शहर मे भी रही है | वह एक वैज्ञानिक के रुप मे 1984 मे नई दिल्ली मे नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ इम्यूनोलॉजी मे शामिल हो गए थे | कार्य : चंद्रिमा शाह एक भारतीय जीवविज्ञानी है | वर्तमान मे नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ इम्यूनोलॉजी मे प्रोफेसर है | वह संस्थान कि पूर्व निदेशक है | शाह ने राष्ट्रीय अकादमी इलाहाबाद 2016: 2017 के रुप मे कार्य किया है | भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी नई दिल्ली 2015 के परिषद सदस्या के रुप मे भी कार्य किया है | वह नेचर पब्लिशिंग ग्रूप लंदन कि साइंटिफिक रिपोर्टस के एडिटोरियल बोर्ड कि सदस्या थी | अपने करियर के दौरान, वह विश्वा स्वास्था संगठन जेनेवा 1990: 1992 पुरुष गर्भनिरोधक न्यूयॉर्क 1997 पर इंटरनेशनल कंसोर्टियम के पुरुष प्रजनन क्षमता के विनियमन के लिए संचालन समिती कि सदस्या थी | वह बायोटेक्नोलॉजी पर आधारित डीबीटी टास्का फोर्स फॉर वूमेन 2012: 2014 कि चेयरमैन थी | मानव जेनेटिक्सा और जीनोम बोर्ड भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद 2013: 2016 कि सदस्या थी | वह वर्तमान मे आयआयटी गांधीनगर कि गवर्निग काउंसिल मेंबर और 2018 कि लीडर कॉन्क्लेव कि सदस्या है | आयसीएमआर वैज्ञानिक सलाहकार समिती उन्हेाने वैज्ञानिक सलाहकार समिती जीवनी विज्ञान अनुसंधानब बोर्ड डीएडीओ 2012: 2016 मे कार्य किया था | शाह का अनुसंधान कार्यक्रम एककोशिकीय और बहुकोशिकिया जीवों मे कोशिका मृत्यू मार्गो और सेलुलर रक्षा प्रक्रियाओं कि समझा कि और केंद्रित है | जो विभिन्ना रोगों के लिए चिकित्सा के डिझााइन पर महत्वापूर्ण असर डालते है | काला आजार, एक उपेक्षित उष्णकटिबंधिय बीमारी है जो देश के कुछ हिस्स्सों मे स्थानिनकमारी वाली एक बडी समस्या है जो देश के कुछ हिस्सों मे स्थानिकमारी वाली एक बडी समस्या है | परजीवी कि मृत्यू कैसे होती है , यह समझाना महत्वापूर्ण है क्योंकि परजीवी कि सफल हत्या से रोग का बोझा कम हो जाता है | अनुसंधान ने मेटोजोअस के समान मौत के फेनोटाइप को निष्पादित के लिए लीशमैनिया परजीवी की क्षमता का प्रदर्शन किया और प्रायोगिक साक्ष्या ने एपोप्टोसिस मे एकल माइट्रोकॉन्ड्रियन मे शामिल होने का प्रदर्शन किया था | जिसमें से एक सबसे प्रांरभिक यूकेरियोटस मे मृत्यू था | पूरस्कार और सम्मान : 1) अध्यक्ष चुनाव, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी 2020: 2022 | 2) शाती स्वरुप भटनागर पदक, आयएनएसए 2019| 3) अनुभागीय अध्याक्ष, जैविक विज्ञान राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी| 4) निर्वोचित परिषद सदस्या, राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी इलाहाबाद 2016| 5) निर्वाचित भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, 2016 के उपाध्याक्ष| 6) विज्ञान के क्षेत्र मे उत्कृष्टता के लिए रविवार स्टैाडर्ड देवी पुरस्कार से सम्मानित| 7) ओप्रकाश भसीन पूरस्कार 2015| 8) इलेक्टेड फेलो द वर्ल्ड एकेडमी ऑफ साइंसेज टीउब्यूएएस ट्राएस्टे इटली 2014| 9) श्रीमती अर्चना शर्मा मेमोरियल अवार्ड, राष्ट्रीय विज्ञान आकादमी 2013| 10) च्रद्रकला होरा मेमोरियल मेडल भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी 2013| 11) इलेक्टेउ वेस्टा बंगाल एकेडमी ऑफ साइंस एंड टेकनोलॉजी 2011 के फेलो | 12) बेसिक मेडिकल रिसर्च 2010 के लिए रैनबैक्सी साइंर्स फाउंडेशन अवार्ड| 13) डॉ. दर्शन रंगनाथन मेमोरियल अवार्ड, 2010| 14) जेसी बोस नेशनल फेलोशिप विज्ञान और प्रौघोगिकी विभाग 2009| 15) शकुंतला अमीरचंद भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली 1992| पूस्तके : 1) कैप्टन मोमेंटस : ए लाइफ ऑफ शंभू शाह, चंद्रिमा शाह कलकत्ता 2000| ( 20 ) 2 Votes have rated this Naukri. Average Rating is 4